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पटना : परंपरागत वोटरों को फिर से जोड़ने के लिए कांग्रेस ने बनायी व्यापक रणनीति

दीपक कुमार मिश्रा पटना : मौजूदा राजनीतिक परिस्थिति में गठबंधन का राजनीति की अनिवार्यता को स्वीकारते हुए कांग्रेस फिर अपने पुराने जड़ को मजबूत करने में लगी है. कांग्रेस अपने परंपरागत वोटरों को अपने पाले में करने के लिए व्यापक रणनीति बनायी है. पार्टी ने अपनों के लिए दरवाजे खोल दिये हैं. पार्टी में घर […]

दीपक कुमार मिश्रा
पटना : मौजूदा राजनीतिक परिस्थिति में गठबंधन का राजनीति की अनिवार्यता को स्वीकारते हुए कांग्रेस फिर अपने पुराने जड़ को मजबूत करने में लगी है. कांग्रेस अपने परंपरागत वोटरों को अपने पाले में करने के लिए व्यापक रणनीति बनायी है. पार्टी ने अपनों के लिए दरवाजे खोल दिये हैं.
पार्टी में घर वापसी भी शुरू हो गयी है. पार्टी नेताओं का मानना है कि गठबंधन की राजनीति में दमदार मौजूदगी के लिए बिछड़ गये परंपरागत और आधार वोट का जुड़ाव आवश्यक है. पार्टी नेताओं का कहना है कि दिल्ली का रास्ता तो हिंदी पट्टी से ही होकर जाता है. कांग्रेस ने परंपरागत ब्राह्मण वोटर सहित अगड़े वोटरों को अपने पाले में करने की लिए व्यापक कार्ययोजना पर काम भी करना शुरू कर दी है. 2019 के लोकसभा चुनाव में यह दिखेगा भी.
कांग्रेस नेताओं का मानना है कि अगड़े उनके साथ आ गये तो पार्टी को दो और आधार वोट मुसलमान और अनुसूचित जाति को वोटर भी उनके साथ हो जायेंगे. करीब 28 साल के बाद पार्टी नेतृत्व ने किसी ब्राह्मण नेता को पार्टी की प्रदेश की कमान सौंप यह संकेत भी दे दिया है. नब्बे के दशक में डाॅ जगन्नाथ मिश्र कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष हुआ करते थे.
इसके बाद इस साल डॉ मदन मोहन झा को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया. साथ ही अखिलेश सिंह को चुनाव अभियान समिति का अध्यक्ष बनाया गया है. चार कार्यकारी अध्यक्ष में दो अगड़े एक मुस्लिम और एक अनुसूचित जाति के हैं.
पार्टी ब्राह्मणों को अपने पाले में करने के लिए मैथिल ब्राह्मण के बाद अब कान्यकुब्ज और सरयुपारी ब्राह्मण को रिझाने के लिए काम शुरू करने जा रही है. सारण चंपारण, शाहाबाद और अंग क्षेत्र में ब्राह्मण की इस उपजाति की संख्या है, लेकिन संगठन में अब तक इन्हें बहुत अधिक तरजीह नहीं मिली है.
इससे इस बिरादरी में नाराजगी है, जबकि पार्टी के चार विधायकों में से तीन इसी उप जाति से आते हैं. इसके अलावा पार्टी का फोकस अब कोसी और सीमांचल इलाके पर भी है. इस क्षेत्र के युवा नेताओं की सांगठनिक क्षमता का पार्टी उपयोग करेगी. तारिक अनवर के कांग्रेस में आने के बादपार्टी इस इलाके में और मजबूत होगी. अभी पार्टी के दोनों मौजूदा सांसद सहित आठ विधायक इसी इलाके से आते हैं.
विधानसभा चुनाव में अगड़े उम्मीदवारों ने दिया था बेहतर परिणाम
कांग्रेस का विधानसभा में अभी 27 विधायक हैं. इसमें से 12 विधायक अगड़ी जाति के हैं. विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने कुल 41 उम्मीदवारों में से 16 सीट पर अगड़े उम्मीदवार दिये थे, जिसमें से 12 चुनाव जीत गये थे. इसमें चार-चार ब्राह्मण और भूमिहार, एक कायस्थ और तीन राजपूत जाति से हैं. पार्टी को 41 में से 27 सीट पर सफलता मिली थी. जीत के लिहाज से अगड़ों का सफलता का रेशियो काफी बेहतर रहा. पार्टी की रणनीति है कि लोकसभा चुनाव में अपने परंपरागत आधार वोट वाले अधिक से अधिक लोगों को मैदान में उतारा जाये.
महागठबंधन के वोट में अगर परंपरागत वोट का समावेश हो जायेगा तो पार्टी को सफलता मिलेगी और भाजपा को वह हरा सकेगी. वहीं, अगड़े इन दिनों भाजपा से नाखुश नजर आ रहे हैं. कांग्रेस को लग रहा है कि यह माकूल समय है, जब वह अपने से बिछड़ों को फिर से अपने पास ला सकती है.

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