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विशेष राज्य का दर्जा देना वित्त आयोग के हाथ में नहीं
पटना : राज्य के दौरे पर आयी 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एनके सिंह ने बिहार को विशेष राज्य दर्जा देने की मांग से पूरी तरह ले पल्ला झाड़ते हुए कहा कि यह आयोग के क्षेत्राधिकार से बाहर है. आज तक किसी वित्त आयोग ने किसी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने से संबंधित […]
पटना : राज्य के दौरे पर आयी 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एनके सिंह ने बिहार को विशेष राज्य दर्जा देने की मांग से पूरी तरह ले पल्ला झाड़ते हुए कहा कि यह आयोग के क्षेत्राधिकार से बाहर है. आज तक किसी वित्त आयोग ने किसी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने से संबंधित कोई सिफारिश नहीं की है.
इसके लिए ‘गार्डगिल-मुखर्जी’ फॉर्मूला पहले से मौजूद है, जिसके आधार पर समीक्षा करके राष्ट्रीय विकास परिषद को विशेष राज्य का दर्जा देने का अधिकार है. हालांकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बिहार के प्रति उनकी सहानुभूति और सकारात्मकता होने के अलावा इसे विकसित राज्यों बनाने के लिए हर तरह से सहायता प्रदान की जायेगी. बिहार को सक्षम बनने में आयोग हर तरह से मदद करने को तैयार है. यह किस तरह से विकसित राज्य बन सकता है, उन जरूरतों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जायेगा.
15वें वित्त आयोग की विशेष बैठक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, वित्त मंत्री सुशील कुमार मोदी समेत सभी मंत्रियों, प्रधान सचिवों और सचिवों के साथ करके आगामी पांच वर्ष के लिए राज्य की आर्थिक जरूरतों को समझा. इस दौरान राज्य की मांगों और वित्तीय आवश्यकताओं को बताते हुए 54 स्लाइड का प्रजेंटेशन भी दिया गया. इसके बाद मुख्य सचिवालय के सभागार में आयोजित प्रेस वार्ता में एनके सिंह ने कहा कि बिहार में पिछले 10 सालों में जबरदस्त ग्रोथ हुआ है. बिहार अब बहुत पिछड़ा राज्य नहीं रहा, बल्कि मध्यम आय वाले राज्यों में शुमार हो गया है. उन्होंने कहा कि विशेष राज्य दर्जा के मांग की मूल्यांकन होना चाहिए.
सीएम ने नहीं मांगा विशेष राज्य का दर्जा: उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तरफ से शानदार प्रस्तुति की गयी. यह काफी प्रभावी और आकर्षक था, जिसमें सभी मांगों और बातों को सुनियोजित तरीके से रखी गयी थी. हालांकि मुख्यमंत्री ने कहीं से अपने संबोधन और प्रस्तुति में विशेष राज्य दर्जा की मांग नहीं की है, क्योंकि वह इस हकीकत को जानते हैं कि 15वीं वित्त आयोग के अधिकार के यह बाहर की बात है.
स्थिति हुई बेहतर: उन्होंने बिहार की जमकर तारीफ करते हुए कहा कि यहां बिजली, स्वास्थ्य, कौशल विकास, रोजगार समेत अन्य सभी मूलभूत क्षेत्रों में बेहतर विकास हुआ है. इन क्षेत्रों में विकास की गति को बनाये रखने की जरूरत है, खासकर पॉवर सेक्टर में गति बरकरार बनी रहनी चाहिए.
परंतु उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि राज्य की जीडीपी के मुकाबले कर्ज काफी बढ़ रहा है, इसे नियंत्रित करने की आवश्यकता है. इसके अलावा राज्य को उत्पादकता बढ़ाने पर खासतौर से फोकस करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि बिहार में पिछले 10 साल की वार्षिक प्रगति दर 12-13 फीसदी तक रही, जो राष्ट्रीय औसत से भी ज्यादा है. यहां गरीबी में 27.90 फीसदी की कमी आयी है.
प्रति व्यक्ति आय पर खासतौर से ध्यान देने की जरूरत: अध्यक्ष ने कहा कि बिहार की आर्थिक प्रगति के बाद भी प्रति व्यक्ति आय की स्थिति में सुधार नहीं हुआ है. यहां आज भी प्रति व्यक्ति आय का प्रतिशत राष्ट्रीय औसत का पांचवां हिस्सा है. इसमें खासतौर से सुधार करने की जरूरत है.
बिहार को मिल सकता है फायदा
15वें वित्त आयोग से बिहार को वास्तव में कितना फायदा मिलेगा इसका स्पष्ट उल्लेख अध्यक्ष ने नहीं किया, लेकिन संकेत दिये कि बड़ा फायदा राज्य को मिल सकता है. केंद्रीय टैक्स शेयर पुल में वर्तमान में जो 42% राशि मिलती है, यह बढ़ कर 52 % तक भी हो सकती है.
इस पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है. 2011 की जनसंख्या को हॉरिजोंटल डिस्ट्रीब्यूशन का मुख्य आधार माना गया है, जिससे बिहार को काफी फायदा हो सकता है. इसके अलावा 99 हजार 668 करोड़ की 14 योजनाओं का समुचित तरीके से संचालन के लिए आर्थिक सहायता की मांग की गयी है. योजनावार रुपये मिलने की संभावना जतायी जा रही है. केंद्र प्रायोजित योजनाओं के फॉर्मूला में भी बदलाव किया जा सकता है.
ये चुनौतियां भी
अध्यक्ष ने आयोग के दायित्व के साथ-साथ चुनौतियों को गिनाते हुए कहा कि यह पहला आयोग है, जो अपनी रिपोर्ट योजना आयोग के समाप्त होने और वित्त आयोग के गठन के बाद रिपोर्ट सौंपने जा रहा है. प्लान और नन-प्लान को समाप्त कर दिया गया है, ऐसे में राशि के बंटवारे के फॉर्मूले पर भी काफी असर पड़ेगा. योजना आयोग के नहीं रहने पर उसकी प्रतिपूर्ति कैसे होगी, यह बड़ी चुनौती आयोग के समक्ष है.
जीएसटी लागू होने के बाद टैक्स संग्रहण में बढ़ोतरी की स्थिति स्पष्ट नहीं है. हालांकि उन्होंने जीएसटी को गेम चेंजर और रैडिकल टैक्स रिफॉर्म बताया. समानता और सक्षमता के बीच समन्वयन स्थापित किया जा रहा है. आयोग अपनी रिपोर्ट अगले वर्ष अक्तूबर में राष्ट्रपति को सौंप देगा.
बिहार चैंबर आॅफ कॉमर्स ने की मांग
बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज का एक प्रतिनिधिमंडल अध्यक्ष पीके अग्रवाल के नेतृत्व में बुधवार को 15वें वित्त आयोग से मिला और राज्य के आर्थिक व औद्योगिक विकास से संबंधित एक ज्ञापन सौंपा. चैंबर अध्यक्ष पीके अग्रवाल ने बताया कि 15वें वित्त आयोग को बताया गया कि बिहार में स्टेट डोमेस्टिक प्रोडक्ट एवं प्रति व्यक्ति आय राष्ट्रीय औसत से काफी कम हैं. इसलिए बिहार को विशेष दर्जे की भांति विशेष आर्थिक पैकेज मुहैया कराया जाये जिससे कि अन्य विकसित राज्यों के समकक्ष आ सके. बिहार की स्थिति को देखते हुए विशेष राशि का प्रावधान किया जाना चाहिए.
राजनीतिक दलों और शैक्षणिक संस्थाओं ने मांगा विशेष राज्य का दर्जा
15वें वित्त आयोग की टीम ने बुधवार को राज्य सरकार के अलावा 12 अलग-अलग राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों और कुछ शैक्षणिक संस्थान के प्रतिनिधियों के साथ भी विचार-विमर्श किया. बिहार की जरूरतों और इससे जुड़े तमाम पहलुओं पर सुझाव लिये गये. इस दौरान सभी लोगों ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की.
इनके साथ मुख्य सचिवालय के सभागार में करीब सवा घंटे तक बैठक चली. इसे लेकर एक संयुक्त ज्ञापन भी आयोग को सौंपा गया. इसमें कहा गया है कि पिछले दो दशकों में बिहार में उच्च विकास दर अब भी बरकरार है.
बावजूद इसके राज्य की अर्थव्यवस्था अन्य राज्यों की तुलना में निम्न राजकोषीय क्षमता वाला है. समानीकरण के लिहाज यह काफी आगे नहीं बढ़ पाया है.सेवा कर को छोड़कर केंद्रीय करों में बिहार का हिस्सा 12वें वित्त आयोग के 11.028 प्रतिशत से घटकर 14वें वित्त आयोग के दौरान 9.665 प्रतिशत रह गया. केंद्रीय करों में बिहार के घटते हिस्से के साथ ही केंद्र सरकार के कर राजस्व में उप-करों और अधिभारों की हिस्सेदारी 2014–15 में 6.3 प्रतिशत से बढ़कर 2018–19 के बजट अनुमान में 16.6 प्रतिशत हो गयी.
ये उप-कर और और अधिभार केंद्रीय टैक्स पुल का हिस्सा नहीं होते हैं, इन्हें शामिल किया जाये. बिहार अभी भी कृषि निर्भर समाज है, जहां की 75 फीसदी आबादी इस पर निर्भर है. कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए कार्यक्रम और योजनाएं तैयार करने के लिए कृषि रोडमैप-3 तैयार किया गया है.
ये शामिल
इस बैठक में कांग्रेस पार्टी, कम्यूनिष्ट पार्टी ऑफ इंडिया, जनता दल (यू), भाजपा, बसपा, रालोसपा, लोजपा, हम, सीपीआई (मार्क्सवादी), राजद, बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री, पटना विश्वविद्यालय, चाणक्या लॉ विश्वविद्यालय, बिहार इंडस्ट्री एसोसिएशन, पीएचडीसीसीआई और आद्री के प्रतिनिधि शामिल हुए. प्रतिनिधियों में राजद के अब्दुल बारी सिद्दकी, रामचंद्र पूर्वे, भाजपा के नीतीश मिश्रा, जदयू के नीरज कुमार, हम के वृषिण पटेल, कांग्रेस के समीर सिंह, सीपीआई के रामबाबू कुमार, सीपीएम के अरूण मिश्रा, लोजपा के सत्यानंद शर्मा एवं केशव प्रसाद सिंह और रालोसपा के प्रो. अभ्यानंद सुमन मुख्य रूप से मौजूद थे.
राज्य सरकार के सभी मंत्रियों, महकमों और उच्चाधिकारियों के साथ 15वें वित्त आयोग की विशेष बैठक तय समय के अनुसार मुख्यमंत्री सचिवालय के संवाद भवन में सुबह करीब 10:30 बजे आयोजित हुई. इसमें शामिल होने के लिए राज्य सरकार के सभी मंत्री एक-एक करके पहुंचे. परंतु इस दौरान पूरा मंत्रिमंडल बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने के मसले पर दो खेमे में बंटा दिखा.
वित्त अायोग को ज्ञापन सौंपा
पटना : एनके सिंह की अध्यक्षता में गठित 15वें वित्त आयोग द्वारा राज्य के परिभ्रमण कार्यक्रम के तहत उद्योग एवं व्यापार से जुड़े प्रतिनिधियों के साथ विचार-विमर्श मुख्य सचिवालय स्थित सभागार में आहूत बैठक में किया गया. 15वें वित्त आयोग के साथ इस बैठक में विचार -विमर्श के लिए बिहार इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया गया.
अध्यक्ष केपीएस केसरी की अध्यक्षता में एसोसिएशन का 6 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल बैठक में विचार-विमर्श के लिये शामिल हुआ.एसोसिएशन द्वारा 15वें वित्त आयोग स्वागत करते हुए शिक्षा, स्वास्थ्य, शहरीकरण, आधारभूत संरचना के विकास, इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट फंड, पर्यटन, साख जमा अनुपात, पाइप लाइन गैस एवं विद्युत ऊर्जा के लिए एकल दर निर्धारित किये जाने आदि विषयों पर अपना विस्तृत ज्ञापन वित्त आयोग को सौंपा गया.
प्रतिनिधिमंडल में अध्यक्ष केपीएस केसरी, उपाध्यक्ष रमेश चंद्र गुप्ता, महासचिव अरविंद कुमार सिंह, शैलेंद्र पी सिन्हा, अरुण अग्रवाल, संजय गोयेनका व सुनील कुमार सिंह शामिल थे.
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