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बिहार में सिर्फ महिलाओं के मत्थे है फैमिली प्लानिंग का जिम्मा
राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट में आये चौंकाने वाले आंकड़े पटना : जनसंख्या नियंत्रण के लिए परिवार नियोजन की तमाम जिम्मेदारियां महिलाओं के कंधे पर ही डाली जा रही हैं. पटना सहित पूरे बिहार में नसबंदी के आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले पांच साल में यह आंकड़ा लगातार गिरता जा रहा है. रिपोर्ट के […]
राष्ट्रीय स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट में आये चौंकाने वाले आंकड़े
पटना : जनसंख्या नियंत्रण के लिए परिवार नियोजन की तमाम जिम्मेदारियां महिलाओं के कंधे पर ही डाली जा रही हैं. पटना सहित पूरे बिहार में नसबंदी के आंकड़ों पर गौर करें तो पिछले पांच साल में यह आंकड़ा लगातार गिरता जा रहा है. रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण इलाकों में महिला नसबंदी का प्रतिशत 20.8 व शहरी क्षेत्रों 27.8 प्रतिशत है. तो वहीं पुरुषों का यह प्रतिशत मात्र 0.1 है. सूत्रों की माने तो इन दिनों नसबंदी कार्यक्रम को लक्ष्य से मुक्त कर दिया है, जिस कारण स्वास्थ्य विभाग इस ओर ध्यान नहीं दे रहा है. यही वजह है कि परिवार नियोजन के प्रति जागरूकता कम देखने को मिल रही है.
बालिग होने से पहले ही मां बन जाती हैं चार प्रतिशत लड़कियां : नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे में सामने आया कि पटना सहित पूरे बिहार में 18 फीसदी लड़कियों की शादी उनके बालिग होने से पहले ही कर दी जाती है. इतना ही नहीं 4 प्रतिशत लड़कियां बालिग होने से पहले ही मां भी बन जाती है. यह सर्वे 2016 व 2017 के बीच पूरे बिहार में किया गया था. इसमें पटना के शहरी व ग्रामीण इलाकों में सेक्स रेशियो, एजुकेशन, विवाह, गर्भ निरोधक तरीकों के इस्तेमाल आदि पर भी सर्वे किया गया था. इसके मुताबिक शहर क्षेत्र में 3 फीसदी, तो ग्रामीण क्षेत्र में 4.1 प्रतिशत लड़कियां बालिग होने से पहले मां बन जाती हैं.
जनसंख्या नियंत्रण के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से चलाये जा रहे नसबंदी कार्यक्रम में प्रदेश लगातार पिछड़ रहा है. पटना में पिछले एक साल में महज 28 पुरुषों व 1203 महिलाओं ने ही नसबंदी करवायी है. इसके अलावा मिनी लैप लगवाने वाली महिलाओं की संख्या 142 है. गर्भ निरोधक के तरीकों को इस्तेमाल करने में भी पुरुष महिलाओं से बहुत पीछे हैं.
नसबंदी से डरते हैं पुरुष
नालंदा मेडिकल कॉलेज अस्पताल की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ नीलू प्रसाद ने बताया कि परिवार नियोजन के साधनों को अपनाने में महिलाओं की जागरूकता बढ़ी है. लेकिन पुरुषों में आज भी जागरूकता की कमी देखने को मिल रही है. डॉ नीलू प्रसव के आने लिए आने वाली प्रत्येक महिला को दो बच्चों के बीच तीन साल का गैप रखने और दूसरे बच्चे के बाद नसबंदी करवाने या कॉपर-टी लगवाने की सलाह देती हैं. उनका कहना है कि नसबंदी के मामले में पुरुष आगे आने से कतराते हैं और महिलाओं को ही आगे करते हैं.
एक नजर यहां भी
तरीका शहरीग्रामीण
कॉपर टी 2.3%1.2 %
कंडोम 3.7%1.8%
गोलियां 34.1%26.1 %
जागरूकता 16.2%12.7 %
बच्चों में अंतर 9.2%10.3%
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