नयी दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में ‘समान काम, समान वेतन’ की लड़ाई लड़ रहे बिहार के नियोजित शिक्षकों को अब 12 जुलाई तक का इंतजार करना होगा. समान काम के लिए समान वेतन देने के मामले में सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को सुनवाई हुई. इस दौरान अदालत ने सरकार को चार सप्ताह में कंप्रीहेंसिव एक्शन स्कीम से संबंधित हलफनामा पेश करने करने का निर्देश दिया है. अदालत ने सरकार से कहा कि वह ऐसी योजना लाये, जिससे बिहार ही नहीं, बल्कि समान काम के लिए समान वेतन मांगनेवाले अन्य प्रदेश के सभी शिक्षकों का भी भला हो सके. साथ ही कहा कि इसके लिए केंद्र सरकार के साथ बिहार सरकार बात करें.
अटार्नी जरनल केके वेणुगोपाल की दलील पर सुप्रीम कोर्ट ने चार सप्ताह का समय दिया और कहा कि केंद्र सरकार चार सप्ताह में कंप्रीहेंसिव स्कीम बना कर अदालत में हलफनामा दाखिल करे. इसके बाद अदालत ने मामले की सुनवाई के लिए 12 जुलाई की तिथि तय कर दी. मालूम हो कि शिक्षकों को दिये जानेवाले वेतन का 70 फीसदी हिस्सा केंद्र सरकार को भुगतान करना पड़ता है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, 20 फीसदी वेतन वृद्धि के बावजूद चपरासी से कम ही होगी शिक्षकों की सैलरी
इससे पहले बिहार सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में नियोजित शिक्षकों को एक परीक्षा में उत्तीण होने पर वेतन वृद्धि करने की बात कही थी. साथ ही कहा था कि यह वृद्धि 20 फीसदी की होगी. हालांकि, अदालत ने इस पर कहा कि 20 फीसदी बढ़ाने से भी शिक्षकों की सैलरी चपरासी से भी कम ही रहेगी.
बिहार के शिक्षा मंत्री ने कहा- सु्प्रीम कोर्ट का फैसला मानने को हम तैयार
वहीं, नियोजित शिक्षकों के मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के मामले में बिहार के शिक्षा मंत्री कृष्णनंदन वर्मा ने कहा है कि हमलोग सुप्रीम कोर्ट का फैसला मानने के लिए तैयार हैं. हम सुप्रीम कोर्ट में अपनी बात रख चुके हैं. मालूम हो कि बिहार के साढ़े तीन लाख से ज्यादा नियोजित शिक्षकों की मांग को जायज ठहराते हुए पटना हाईकोर्ट ने 31 अक्टूबर, 2017 को समान काम के लिए समान वेतन लागू करने का आदेश दिया था. लेकिन, राज्य सरकार ने पैसे की कमी का होना बताते हुए फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट चली गयी.
राबड़ी देवी की सरकार ने शुरू की थी शिक्षकों को नियोजित करने की प्रक्रिया
बिहार में शिक्षकों को नियोजित करने की प्रक्रिया राबड़ी देवी सरकार में वर्ष 2003 में शुरू हुई थी. उस समय नियोजित शिक्षकों को शिक्षामित्र के नाम से जाना जाता था. तब उन्हें वेतन के नाम पर मात्र 1500 रुपये दिया जाता था. एक जुलाई, 2006 को नीतीश कुमार की सरकार ने सभी शिक्षामित्रों को पंचायत और प्रखंड शिक्षक के तौर पर समायोजित करते हुए ट्रेंड नियोजित शिक्षकों का वेतन पांच हजार और अनट्रेंड नियोजित शिक्षकों का वेतन चार हजार रुपये कर दिया. उसके बाद से बिहार में नियोजित शिक्षकों की बहाली लगातार होती रही. अब इनकी संख्या साढ़े तीन लाख से ज्यादा हो चुकी है.
नियोजित शिक्षकों को अब मिलते हैं 14 से 19 हजार रुपये वेतन
बिहार में वर्ग एक से वर्ग आठ तक ट्रेंड और अनट्रेंड नियोजित शिक्षकों और पुस्तकालयाध्यक्षों को वर्तमान में 14 हजार से लेकर 19 हजार तक वेतन मिलते हैं. मालूम हो कि समान काम के लिए समान वेतन का फैसला यदि लागू होता है, तो इन शिक्षकों का वेतन 37 हजार से 40 हजार तक पहुंच जायेगा.