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बिहार : पटना-दीघा रेलखंड की जमीन का मूल्यांकन 21 मार्च तक कराएं
पटना : पटना-दीघा रेलखंड पर बिहार सरकार व रेलवे के बीच जारी विवाद पर पटना हाईकोर्ट ने गंभीर रुख अख्तियार करते हुए पटना के डीएम को 21 मार्च तक जमीन का वास्तविक मूल्यांकन कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है. जस्टिस डॉ रवि रंजन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस मामले पर स्वत: लिये […]
पटना : पटना-दीघा रेलखंड पर बिहार सरकार व रेलवे के बीच जारी विवाद पर पटना हाईकोर्ट ने गंभीर रुख अख्तियार करते हुए पटना के डीएम को 21 मार्च तक जमीन का वास्तविक मूल्यांकन कर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है. जस्टिस डॉ रवि रंजन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इस मामले पर स्वत: लिये गये संज्ञान पर मंगलवार को सुनवायी करते हुये दो टूक में कहा कि इस ट्रैक पर जनहित में सड़क बनना चाहिये. अदालत ने सुनवायी के दौरान भूमि मूल्यांकन के लिए गठित कमिटी में रेलवे के अधिकारी को भी शामिल करने का निर्देश दिया.
सुनवाई के क्रम में राज्य सरकार की ओर से पटना-दीघा रेल ट्रैक के आसपास हुए अतिक्रमण के बारे में पूरा ब्योरा पेश किया. कोर्ट का मानना था कि हर हालत में आम लोगों के यातायात व्यवस्था की समस्या को देखते हुए वैकल्पिक मार्ग बनाया जाना आवश्यक है. इस मामले पर 21 मार्च को सुनवाई की जायेगी. बता दें कि पटना घाट से दीघा घाट रेलवे लाइन की कुल लंबाई करीब 18 किलोमीटर है. इस रेलखंड पर चलने वाली ट्रेन से रेलवे को करीब छह लाख रुपये का घाटा प्रतिमाह उठाना पड़ रहा है. रेलवे द्वारा इस डर से उक्त रेलखंड पर ट्रेन का परिचालन इसलिए नहीं रोक रही है कि परिचालन रोकने से कहीं जमीन पर कब्जा न हो जाये.
नाममात्र का फायदा
हालांकि इस रेलखंड पर ट्रेन के परिचालन से नाममात्र के लोगों को ही फायदा हो रहा है. इसके कारण जाम से दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. बिहार सरकार और रेलवे विभाग के बीच जमीन के वास्तविक मूल्यांकन को लेकर विवाद उत्पन्न हो जाने के कारण इस रेलखंड पर फोरलेन सड़क निर्माण में समस्या हो गयी थी.
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