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बिहार के लिए आज भी खाद्य सुरक्षा एक चुनौती
पटना : इंटरनेशनल ग्रोथ सेन्टर, बिहार ने बुधवार को आद्री में ‘इज बिहार द न्यू पोस्टर ब्वाय फॉर पीडीएस रिफाॅर्मस’ पर एक प्रसार कार्यशाला का आयोजन किया. इस कार्यशाला में शिकागो विश्वविद्यालय के चिन्मय कुमार ने अपने शोध परियोजना का परिणाम प्रस्तुत किया. उन्होंने कहा कि बिहार के लिए आज भी खाद्य सुरक्षा एक चुनौती […]
पटना : इंटरनेशनल ग्रोथ सेन्टर, बिहार ने बुधवार को आद्री में ‘इज बिहार द न्यू पोस्टर ब्वाय फॉर पीडीएस रिफाॅर्मस’ पर एक प्रसार कार्यशाला का आयोजन किया. इस कार्यशाला में शिकागो विश्वविद्यालय के चिन्मय कुमार ने अपने शोध परियोजना का परिणाम प्रस्तुत किया.
उन्होंने कहा कि बिहार के लिए आज भी खाद्य सुरक्षा एक चुनौती है. बिहार ने उचित मूल्य की दुकानों में अनाज की आपूर्ति में काफी प्रगति दिखायी है. इसके कारण बीते वर्षों में लीकेज में काफी कमी आई है.
उदाहरण के तौर पर शुरुआती 2000 में लीकेज 90 प्रतिशत था, जो अब मात्र 30–40 प्रतिशत ही रह गया है. लीकेज के स्तर में कमी प्रशंसनीय होने के बावजूद अभी भी यह अधिक है. अपनी प्रस्तुति में चिन्मय कुमार ने चार जिलों गया, मुंगेर, सहरसा और सीतामढ़ी के 20 प्रखंडों के 260 गांवों में आधरभूत सर्वेक्षण के परिणाम को दर्शाया. उन्होंने तीन प्रकार के लीकेज महीना लंघन, कम बिक्री और ओवर मूल्य निर्धरण के अनुमान को प्रस्तुत किया. परिणाम से यह पता चला कि हर परिवार ने साल में सिर्फ 8 महीने ही राशन प्राप्त किया. उन्होंने यह भी दर्शाया कि अनाज के आगमन का पता लगाने के लिए लाभार्थियों के पास कोई विश्वसनीय तरीका नहीं है.
90 प्रतिशत लाभार्थी डीलर या अन्य ग्रामवासी पर निर्भर होते हैं. चिन्मय ने यह भी कहा कि लाभार्थियों के लिए एक स्वतंत्र चैनल खुलना चाहिए और उन्हें प्रासंगिक सूचना सीधे मिलनी चाहिए. नियमित आधर पर उनका फीडबैक लेना चाहिए ताकि समवर्ती मूल्यांकन और नीति परिवर्तन किया जा सके.
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