पटना: माइग्रेन एक ऐसी गंभीर बीमारी है, जिसमें दर्द सिर के एक हिस्से में रहता है. अब तो यह बीमारी बड़ों के अलावा युवाओं, यहां तक कि छोटे बच्चों में भी हो रही है. न्यूयॉर्क सहित कई देशों में हुए शोध से पता चला है कि अब माइग्रेन आठ से 15 साल के बच्चों में भी तेजी से फैल रहा है. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण बच्चों के जीवन के लाइफ स्टाइल में बदलाव और खाली पेट रहना है.
यह कहना है दिल्ली जीबी पंत हॉस्पिटल के न्यूरो विभाग के एचओडी डॉ देवाशीष चौधरी का. रविवार को इंडियन एप्लेप्सी एसोसिएशन की ओर से न्यूरोलॉजी अपडेट 2017 कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन बिहार के राज्यपाल सत्यपाल मलिक और आईजीआईएमएस के न्यूरो हेड डॉ अशोक कुमार ने किया. कार्यक्रम में देश-विदेश से 500 से अधिक न्यूरो के डॉक्टर जुटे थे.
देश में 25 प्रतिशत लोग चपेट में : डॉ देवाशीष चौधरी ने कहा कि इन दिनों अधिकतर बच्चे लंच करने में कतरा रहे हैं. खाली पेट ही वह स्कूल जा रहे हैं. साथ ही बच्चों में मोबाइल, लैपटॉप,आदि मनोरंजन के साधन का इस्तेमाल अधिक बढ़ गया हैं. उन्होंने कहा कि माता-पिता को खासकर 8 से 15 साल के बच्चों में अधिक ध्यान देना चाहिए. इसके अलावा 16 से 35 साल के लोगों में भी यह बीमारी अधिक देखने को मिल रही है. उन्होंने कहा कि बिहार में करीब 13 प्रतिशत ऐसे लोग हैं, जो माइग्रेन की समस्या से पीड़ित हैं. जबकि, पूरे इंडिया में 25 प्रतिशत लोग इस बीमारी की चपेट में हैं.
मिर्गी आने पर जूता सुंघाना गलत : लखनऊ से आये डॉ यूके मिश्रा ने कहा कि इन दिनों मिर्गी की समस्या लोगों में तेजी से फैल रही है. अभी भी अधिकांश ऐसे लोग हैं, जो मुर्गी आने पर जूता सुंघाते हैं. नतीजन मिर्गी खत्म होने के बजाए और अधिक बढ़ जाती है. यहां तक कि मौत भी हो जाती है. ऐसे में लोगों को मिर्गी आने पर सीधे न्यूरो के डॉक्टर के पास ले आना चाहिए. वहीं, हैदराबाद से आयीं डॉ एके मीना ने कहा कि न्यूरो प्लास्टिक की समस्या दिनों-दिन तेजी से बढ़ रही है. डॉ मीना ने कहा कि नस दब जाने के बाद लोग गंभीरता से नहीं लेते, नतीजा बाद में वह कैंसर का रूप ले लेता है.
राजगीर में कराएं न्यूरो का सम्मेलन
राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि इन दिनों न्यूरो में कई आधुनिक उपचार होने लगे हैं. लेकिन, अभी भी नये शोध व रिसर्च की जरूरत है. उन्होंने कहा कि प्रदेश के डॉक्टरों को चाहिए कि वह राजगीर में भी मेडिकल कॉन्फ्रेंस कराएं, ताकि बिहार की संस्कृति की झलक दूसरे राज्य और देश के लोगों को भी देखने को मिले. वहीं आईजीआईएमएस में मेडिकल पढ़ाई को लेकर उन्होंने कहा कि अभी हाल ही में एमसीआई का निरीक्षण हुआ है. ऐसे में अस्पताल प्रशासन को एमसीआई के साथ तालमेल और अस्पताल में आधारभूत संरचना बनाकर रखना चाहिए, ताकि यहां भी डीएम न्यूरो का कोर्स शुरू हो सके.