22.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

गांधी सेतु : जल्द मरम्मत नहीं हुई, तो रोकना पड़ सकता है यातायात, डाउन स्ट्रीम लेन में बदलने पड़ेंगे 40 हिज बेयरिंग

पटना : पिछले वर्ष 19 नवंबर से गांधी सेतु को तोड़ने का काम शुरू हुआ और इसके अपस्ट्रीम लेन को तोड़ कर बनाने में अभी कम-से-कम 15 महीना और लगेगा. तब तक पुल का सारा ट्रैफिक डाउन स्ट्रीम लेन से पास होना है. लेकिन कई जगहों पर इसकी स्थिति ऐसी नहीं है कि वह 15 […]

पटना : पिछले वर्ष 19 नवंबर से गांधी सेतु को तोड़ने का काम शुरू हुआ और इसके अपस्ट्रीम लेन को तोड़ कर बनाने में अभी कम-से-कम 15 महीना और लगेगा. तब तक पुल का सारा ट्रैफिक डाउन स्ट्रीम लेन से पास होना है. लेकिन कई जगहों पर इसकी स्थिति ऐसी नहीं है कि वह 15 महीने तक और चल सके.

पथ निर्माण विभाग के महात्मा गांधी सेतु प्रमंडल ने 40 घिसे सेंट्रल हिज बेयरिंग को बदलने और टूट-फूट की आशंकावाले स्थलों पर कंक्रीट स्लैब को स्टील केबल्स का सपोर्ट देने समेत कई ऐसे प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजे हैं, जिन पर शीघ्र अमल नहीं करने पर पुल पर अधिक दिनों तक यातायात का परिचालन संभव नहीं हो पायेगा. प्रस्तावित मरम्मत कार्य पर लगभग 19 करोड़ रुपये खर्च होंगे.

बारी-बारी से तोड़े जायेंगे दोनों लेन : नया सुपर स्ट्रक्चर पूरी तरह इस्पात निर्मित होगा. पुल पर आवागमन नहीं रुके इसलिए दोनों लेनों को बारी-बारी से तोड़ने का निर्णय लिया गया. अपस्ट्रीम लेन में इसे हाजीपुर की तरफ से तोड़ा जा रहा है. निविदा में काम शुरू होने के बाद उसे पूरा करने के लिए दो वर्ष की अवधि तय की गयी है, जिसमें लगभग 15 महीने अभी बाकी हैं. सुनील कुमार सिंह (कार्यपालक अभियंता, महात्मा गांधी सेतु प्रमंडल, आरसीडी) ने बताया कि हिज बेयरिंग, एक्सपेंशर ज्वाइंट और अन्य जरूरी मरम्मत कार्य के लिए 19 करोड़ का प्रस्ताव बना कर भेजा गया है. यदि मरम्मत कार्य नहीं किया गया, तो डाउन स्ट्रीम लेन से अपस्ट्रीम लेन का निर्माण पूरा होने तक यातायात का परिचालन मुश्किल होगा.
डेक में तय सीमा से अधिक होता है कंपन
पुल के 40 सेंट्रल हिज बेयरिंग खराब हो चुके हैं. भारी वाहनों के गुजरने से डेक में तय सीमा से अधिक कंपन होता है, जिससे पायों पर जोर पड़ता है. इससे पाये क्षतिग्रस्त हो सकते हैं. निर्माणाधीन स्टील सुपर स्ट्रक्चर के निर्माण में भी बाधा आयेगी क्योंकि उन्हें पुराने पाये पर ही स्थापित किया जाना है. गांधी सेतु का निर्माण प्री स्ट्रेस इंटरनल स्टील केबल्स के माध्यम से हुआ है, जो कई जगहों पर ढीले हो चुके हैं. ऐसी जगहों पर पुल को टूट-फूट से बचाने और उसके भार वहन क्षमता को बनाये रखने के लिए बाहर से स्लैब को स्टील केबल का समर्थन देना जरूरी है. कई जगह गांधी सेतु का एक्सपेंशर ज्वाइंट भी काम के लायक नहीं रह गया है. वाहन गुजरने पर यह इतना अधिक दब जाता है कि एक दूसरे से बिल्कुल अलग हो जाता है. रोड सुरक्षा की दृष्टि से यह घातक है और क्षतिग्रस्त ज्वाइंट को बदलना पड़ेगा.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें