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मिड डे मील : बच्चों के चावल में कीड़े व कंकड़
लापरवाही : न तो खाना बनाने में होता है मेनू का पालन और न ही रसोई में है साफ-सफाई की व्यवस्था पटना : मैं मिड डे मील का खाना नहीं खाती हूं, क्योंकि प्लेट गंदा रहता है. उसे साफ से धोया नहीं जाता है. चावल में कंकड़ रहते हैं. कई दिन तो काले-काले कीड़े भी […]
लापरवाही : न तो खाना बनाने में होता है मेनू का पालन और न ही रसोई में है साफ-सफाई की व्यवस्था
पटना : मैं मिड डे मील का खाना नहीं खाती हूं, क्योंकि प्लेट गंदा रहता है. उसे साफ से धोया नहीं जाता है. चावल में कंकड़ रहते हैं. कई दिन तो काले-काले कीड़े भी दिखते हैं.
इस कारण खाने का मन नहीं करता है. भूख लगती है, तो बाहर से चाट खरीद कर खा लेती हूं. स्कूल प्रशासन मिड डे मील में रजिस्टर पर भले उपस्थिति 100 फीसदी दिखाता हो, लेकिन कई ऐसे स्कूल हैं, जहां पर बच्चे गंदगी के कारण मिड डे मील खाना पसंद नहीं करते हैं. अदालतगंज स्थित प्राथमिक विद्यालय, गोलघर की कई छात्राओं ने प्रभात खबर की टीम को बताया कि अकसर खाने में खिचड़ी दी जाती है. खिचड़ी में कभी कीड़े तो कभी कंकड़ निकल जाते हैं. इससे हमें भूख भी लगती है, तो हम नहीं खाते हैं. इस स्कूल में 300 बच्चे पढ़ते हैं. मिड डे मील में उपस्थिति भी 280 और 290 तक दिखायी जाती है, लेकिन लगभग सौ बच्चे यहां पर मिड डे मील नहीं खाते हैं.
बाहर से खरीद कर खाती हैं छात्राएं : स्कूल की इन बच्चियाें ने चहारदीवारी में बाहर की तरह से एक बड़ा सा छेद बना दिया है. यह छेद बाहर सड़क पर लगी एक चाट समाेसे की दुकान के पास खुलती है. लंच हाेने के बाद इस छेद के पास सारी बच्चियां इकट्ठी हो जाती हैं और चाट खरीद कर खाती हैं. यह सब स्कूल के संरक्षण में होता है. बच्चियों ने बताया कि खिचड़ी जिस प्लेट में मिलती है, उसे मांजते नहीं हैं. बस खाने के बाद उसे पानी से एक बार धोया जाता है
छह महीने से रखा है चावल, लग रहे हैं कीड़े
स्कूल के एक कमरे में चावल की
लगभग दस बोरियां रखी हुई हैं. बोरियां एक के ऊपर एक रखी हुई हैं. बोरियां अब फट चुकी हैं. हर बोरी में कीड़े
लगे हुए हैं. कुछ चावल जमीन पर
गिरा हुआ है, तो चावल की बोरियाें में फफूंदी लगी हुई है. इसी चावल का इस्तेमाल हर दिन होता है. मध्याह्न
भोजन के मीनू में हर दिन चावल शामिल होता है. स्कूल सूत्रों के अनुसारफफूंदी लगे हुए चावल को ही धोकर बनाया जाता है.
रिपोर्ट से अलग हकीकत
रजिस्टर पर तो हर दिन मिड डे मील देने की रिपोर्ट बनती है, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और है. प्राथमिक विद्यालय, इंद्रपुरी में बच्चों को कभी खाना मिलता है, तो कभी नहीं
मिलता है. प्रभात खबर की टीम को विद्यालय में मौजूद बच्चों ने बताया कि हर दिन खाना नहीं मिलता है. इतना
ही नहीं इस स्कूल में बच्चे खड़े होकर खाना खाते हैं. क्योंकि खाने के लिए जगह नहीं होती है.
मेनू चार्ट है अलग-अलग
बुधवार को खिचड़ी और आलू का चोखा देना है. यही शनिवार को भी देना है. कुछ ऐसी ही जानकारी स्कूल की रसोइया देती है. लेकिन स्कूल की दीवार पर बुधवार और शनिवार को ऐसी खिचड़ी देने का निर्देश है, जिसमें हरी सब्जियां शामिल हों. रसोइया बताती है कि स्कूल की प्राचार्य सब्जी खरीदने के लिए पैसे नहीं देती है. ऐसे में खिचड़ी में केवल दाल ही डाल पाती है. वहीं चोखे में केवल नमक से काम चलाना पड़ता है.
स्कूल में दो कमरे, एक में पढ़ाई, एक में खाना
प्रखंड के उत्क्रमित मध्य विद्यालय नरैना में एक कमरे में कक्षा एक से आठ तक की होती है पढ़ाई. वहीं मिड डे योजना की हालत खराब है. बुधवार को प्रभात खबर की पड़ताल में उक्त बातें उजागर हुई . जब प्रभात खबर रिपोर्टर उत्क्रमित विद्यालय नरैना पहुंचा, तो पाया कि विद्यालय में दो बड़े और एक छोटे कमरे हैं.
एक कमरे में वर्ग एक से आठ तक के छात्र-छात्राओं की पढ़ाई होती है. जबकि दूसरे कमरे को मिड डे मील बनाने के लिए रसोईघर के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. विद्यालय में कुल 236 छात्र-छात्राएं नामित हैं. मध्याह्न भोजन पुस्तिका में 180 छात्रों की उपस्थिति बनायी गयी थी. मध्याह्न भोजन के समय मात्र 80 छात्र-छात्राएं मौजूद थे. खिचड़ी के साथ सिर्फ आलू का चोखा बच्चों को दिया गया, जबकि हरी सब्जी भी देनी थी.
थाली घर से लेकर आते हैं बच्चे
प्राथमिक विद्यालय पतसा में बच्चे किताब-कॉपी के साथ हाथ में थाली लेकर विद्यालय आते हैं क्योंकि यहां मिड डे मील के लिए थाली उपलब्ध नहीं है.
प्रधान शिक्षक देवीलाल ने बताया कि करीब एक साल से विद्यालय में मिड डे मील के लिए थाली उपलब्ध नहीं है. इसकी जानकारी एमडीएम प्रभारी अंजनी कुमार को कई बार दी गयी, लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी थाली उपलब्ध नहीं करायी गयी. वहीं, विद्यालय में नामांकित बच्चों की कम उपस्थिति के बारे में बताया कि बीते चार जुलाई से मिड डे मील बंद था, जिसके कारण बच्चों की उपस्थिति विद्यालय में कम हो गयी है.
प्रधान शिक्षक मिड डे मील की गुणवत्ता जांच बच्चों को खुद परोसते हैं भोजन
बुधवार को प्रखंड क्षेत्र के अमरपुरा गांव स्थित प्राथमिक विद्यालय के प्रधान शिक्षक मिड डे मिल की गुणवत्ता की जांच कर बच्चों को खुद भोजन परोसते पाये गये. वहीं विद्यालय में पदस्थापित दोनों रसोइया भोजन बनाने में व्यस्त थीं. जानकारी के अनुसार इस विद्यालय में एक से लेकर पांचवीं कक्षा तक कि पढ़ाई होती है. यहां कुल 81 बच्चों का नामांकन है, जिसमें बुधवार को 60 बच्चे उपस्थित थे.
बुधवार को मेनू के अनुसार विद्यालय में खिचड़ी-चोखा बनाया गया था जो गुणवत्तापूर्ण था. वहीं, थाली तो मौजूद थी, पर बच्चों को पानी पीने के लिए ग्लास की कमी पायी गयी. पूछे जाने पर प्रधान शिक्षक धीरेंद्र कुमार ने बताया कि मेरे कार्यकाल के दौरान बरतन खरीदने के लिए पैसे नहीं आये हैं. उन्होंने बताया कि विद्यालय में एक ही चापाकल है.
अपनी थाली खुद साफ करते हैं बच्चे
नगर के लालकोठी स्थित राजकीय मध्य विद्यालय में बुधवार को पांच रसोइया मिड डे मील बनाने के लिए किचन में जुटी हुई थीं. रसोइया ने खिचड़ी बनाने के बाद आलू का चोखा तैयार किया.
मेन्यू के अनुसार बुधवार को छात्र-छात्राओं को खिचड़ी व हरी सब्जीयुक्त चोखा देना का प्रावधान है, परंतु खिचड़ी और आलू का चोखा ही परोसा जा रहा था. स्कूल में कुल छात्र-छात्राओं की संख्या 442 है. बुधवार को उपस्थिति 252 है. बच्चों ने चापाकल और नल पर जाकर पानी पिया और अपनी थाली साफ की. खाना खाने के बाद स्कूल में उपस्थित छात्र-छात्राओं की संख्या 238 थे.
मिड डे मील खाने के बाद ज्यादातर बच्चे चले जाते
धनरूआ प्रखंड के राजकीय प्राथमिक विद्यालय चिस्तीपुर में कुल तीन शिक्षिका पदस्थापित हैं. 149 बच्चे नामांकित हैं.बुधवार को छात्रों की उपस्थिति 105 थी. मिड डे मील के मौजूद छात्रों की संख्या 43 रही. पुनपुन स्थित नवसृजित प्राथमिक विद्यालय सम्मनचक मुसहरी विद्यालय में कुल दो शिक्षक पदस्थापित हैं. प्राचार्य नागेश्वर पासवान ने बताया कि कुल नामांकित छात्रों की संख्या 73 है. बुधवार को छात्रों उपस्थिति 49 थी. मिड डे मील खाने के बाद छात्रों की उपस्थिति 23 थी.
मेनू के अनुसार नहीं मिला मिड डे मील
बुधवार की दोपहर मसौढ़ी प्रखंड काॅलोनी परिसर मेंस्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय में पहुंचने के बाद बरामदे पर प्राचार्य सियाराम मिश्रा बैठे मिले.क्लास रूम में छात्र पढ़ रहे थे. स्कूल की पश्चिम दिशा में एक बड़े से कमरे में खिचड़ी व चोखा बन कर तैयार है . बुधवार को स्कूल में नामांकित 296 छात्रों के आलोक में 190 छात्रों की उपस्थिति बनी थी.भोजन तक रहनेवाले 190 छात्रों में से 43 छात्र गायब हो गये थे. प्राचार्य स्वीकार करते है कि भोजन के बाद छात्रों की संख्या कम हो जाती है.
खाना खाकर गायब
राजकीय उत्क्रमित मध्य विद्यालय लखनी बिगहा में मिड डे मिल बनाने के लिए दो महिला रसोईयां पूर्व से मुस्तैद थीं. दोनों चावल ,दाल व आलू की सफाई कर रही थीं. समय पर सभी बच्चे अपने अपने क्लास में पढ़ाई करते देखे गये. विद्यालय में कुल 72 छात्र छात्राएं उपस्थित थे, जिन्हें मिड डे मिल मिल परोसा गया. प्रभारी प्राचार्य रेवती कांत सिंह ने बताया कि कई बच्चे खिड़की से स्कूल बैग बाहर फेंक कर बहाना बना कर भाग जाते हैं.
देर से बना भोजन
समय लगभग एक बजे दोपहर बाढ़ के वार्ड नंबर दो में स्थित आभ्यासिक मध्य विद्यालय के रसोई घर के बाहर छात्रों की भीड़ लगी हुई है. सभी कह रहे है खिचड़ी में कितनी देरी है, चोखा बन गया. रसोईया उन्हें फिलहाल इंतजार करने के लिए कहती हैं. रसोईघर में पांच महिला रसोईया खिचड़ी की छौंक लगाने में लगी हुई हैं. कुछ बच्चे बैग लेकर मेन गेट से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे हैं. वह कहते हैं कि उन्हें भोजन नहीं करना है वह घर जा रहे हैं.
गंदे रसोईघर में खाना
नगर पंचायत क्षेत्र के वार्ड संख्या 12 स्थित उत्क्रमित मध्य विद्यालय टोलापर में गंदे रसोईघर में मिड डे मील बन रहा था. रसोईघर इतना गंदा था कि देखने पर कोई मिड डे मील नहीं खाता. मिड डे मील खाने के दौरान 60 बच्चे स्कूल में थे. इसके बाद 30 बच्चे दिखायी पड़े.
स्टूडेंट्स ही परोसते हैं
फुलवारीशरीफ राजकीय मध्य विद्यालय में मिड डे मील बनाने के लिए आठ रसोइयां मुस्तैद थीं. इसके बावजूद रसोइयों के साथ मिल कर स्कूल के स्टूडेंट्स भी सभी बच्चों को मिड डे मील परोसते हैं. मिड डे मील तैयार होने के समय सभी बच्चे क्लास में पढ़ाई करते देखे गये.
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