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मेडिकल में खुलासा : एक साल में 208 प्रसूताओं की हो जाती है मौत
डिलिवरी से पहले 90 प्रतिशत प्रसूताओं की नहीं होती अस्पतालों में जांच आनंद ितवारी पटना :स्वास्थ्य विभाग ने प्रसूताओं की हो रही मौत के कारण का जब पता लगाया, तो सच्चाई सामने आयी. इसमें बताया गया कि जिला अस्पताल और पीएचसी में कई ऐसी प्रसूता आती हैं, जिनकी डिलेवरी से पहले जांच नहीं की जाती […]
डिलिवरी से पहले 90 प्रतिशत प्रसूताओं की नहीं होती अस्पतालों में जांच
आनंद ितवारी
पटना :स्वास्थ्य विभाग ने प्रसूताओं की हो रही मौत के कारण का जब पता लगाया, तो सच्चाई सामने आयी. इसमें बताया गया कि जिला अस्पताल और पीएचसी में कई ऐसी प्रसूता आती हैं, जिनकी डिलेवरी से पहले जांच नहीं की जाती है. इसके लिए आशा को जिम्मेवार माना गया है. आशा प्रोत्साहन राशि के लिये गर्भवतियों का रजिस्ट्रेशन तो करा रही हैं, लेकिन जांच या दवाएं नहीं दिलातीं. आंकड़े भी इस बड़ी लापरवाही की गवाही देते हैं. रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी अस्पतालों में भरती होनेवाली 90 फीसदी महिलाओं की प्रसव पूर्व जांच नहीं करायी जा रही है. लिहाजा हीमोग्लोबिन की मात्रा कम होने का पता समय से नहीं चल पाने के कारण मौत हो जाती है.
ग्रामीण इलाकों में नहीं मिलतीं जरूरी दवाएं
खून के लिए भटकती हैं प्रसूताएं
राजधानी को छोड़ दिया जाये तो ग्रामीण इलाकों में प्रसूताओं को ब्लड के लिए भटकना पड़ता है. कई जिला अस्पतालों में ब्लड बैंक की व्यवस्था नहीं है. प्रसव के दौरान खून की कमी रहने से डिलेवरी में दिक्कत होती है. कई बार बच्चा और मां की जान भी चली जाती है. पूर्ण रूप से नर्सों के भरोसे प्रसव होने से भी मौत का आंकड़ा बढ़ रहा है.
अधिकतर प्रसूताओं में हीमोग्लोबिन की कमी : स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ें में पाया गया है कि अधिकतरप्रसूताओं में हीमोग्लोबिन की कमी रहती है. सदर अस्पतालों में दर्ज रजिस्ट्रेशन और जांच रिपोर्ट देखने के बाद यह मामला सामने आया है.पीएमसीएच सहित प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में कैलशियम, आयरन के अलावा ऑपरेशन के दौरान उपयोग होनेवाली दवाएं भी खत्म हो चुकी हैं.
सरकार की ओर से दी जाने वाली सुविधाएं
सुरक्षित प्रसव के लिए अस्पताल पहुंचाने के लिए 108 एंबुलेंस की सुविधा मिल रही है.डिलीवरी सरकारी अस्पताल में हो इसके लिए आशा कार्यकर्ता, प्रसूता को प्रेरित कर मेटरनिटी सेंटर पहुंचाती है. इसके एवज में उसे प्रोत्साहन राशि दी जाती है.
गर्भावस्था में टीके व उसे आयरन व फॉलिक एसिड के डोज देने की व्यवस्था है.गर्भधारण से लेकर प्रसव होने तक चार बार जांच की जानी चाहिए, ताकि गर्भवती के स्वास्थ्य के साथ-साथ गर्भस्थ शिशु का विकास हो रहा है या नहीं इसकी जानकारी मिले. इसके अलावा महिलाओं में आयरन व कैलशियम की कमी नहीं हो इसके लिए दवाओं का डोज हमेशा देना चाहिए.
डॉ वर्षा सिंह, स्त्री रोग विशेषज्ञ
यह सही है कि एक लाख के डिलेवरी पर 208 प्रसूताओं की मौत हो रही है. इसको देखते हुए स्वास्थ्य विभाग की ओर से कई योजनाएं चल रही हैं. महीने के हर नौ तारीख को प्रसूताओं के इलाज के लिए नि:शुल्क जांच कैंप की व्यवस्था गयी है.
डॉ फुलेश्वर झा, मातृ स्वास्थ्य अधिकारी, राज्य स्वास्थ्य समिति
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