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फुलवारी में दावत-ए-इफ्तार, जुटे जदयू के दिग्गज

फुलवारीशरीफ : बिहार राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्षा एवं जदयू नेत्री अंजुम आरा की फुलवारीशरीफ मिल्लत कॉलोनी स्थित आवास पर बुधवार को आयोजित दावत-ए-इफ्तार में जदयू सांसद आरसीपी सिंह, बिहार विधानसभा में जदयू के उपनेता एवं पूर्व मंत्री सह विधायक श्याम रजक, जदयू प्रवक्ता संजय सिंह,एमएलसी चंदेश्वर चंद्रवंशी, राज्य खाद्य सुरक्षा आयोग के सदस्य […]

फुलवारीशरीफ : बिहार राज्य महिला आयोग की पूर्व अध्यक्षा एवं जदयू नेत्री अंजुम आरा की फुलवारीशरीफ मिल्लत कॉलोनी स्थित आवास पर बुधवार को आयोजित दावत-ए-इफ्तार में जदयू सांसद आरसीपी सिंह, बिहार विधानसभा में जदयू के उपनेता एवं पूर्व मंत्री सह विधायक श्याम रजक, जदयू प्रवक्ता संजय सिंह,एमएलसी चंदेश्वर चंद्रवंशी, राज्य खाद्य सुरक्षा आयोग के सदस्य नंद किशोर कुशवाहा, प्रवक्ता ओम प्रकाश सेतु ,महादलित प्रदेश अध्यक्ष मुन्ना चौधरी, संजय गांधी, चंदन सिंह,नवीन कुमार आर्या व राजू अंसारी समेत बड़ी संख्या में रोजेदारों ने भी शिरकत की. मौके पर सांसद आरसीपी सिंह ने कहा कि रमजान के महीने में रोजेदारों को इफ्तार करानेवालों पर भी अल्लाह की रहमतों की बारिश होती है.
फुलवारीशरीफ : इमारते शरिया के भागलपुर एवं बांका के काजी शरियत मुफ्ती खुर्शीद अनवर ने बताया कि साल के बारह महीनों में रमजान का महीना मुसलमानों के लिए खास मायने रखता है. इनसान गलतियों के पुतले की तरह होता है. इनसान को गलतियों को सुधारने का मौका भी रमजान के रोजे में मिलता है.गलतियों के लिए तोबा करने एवं अच्छाइयों के बदले बरकत पाने के लिए भी इस महीने की इबादत का महत्व है. यह महीना संयम और समर्पण के साथ खुदा की इबादत का महीना माना जाता है, जिसमें हर आदमी अपनी रूह को पवित्र करने के साथ अपनी दुनियादारी की हर हरकत को पूरी तत्परता के साथ वश में रखते हुए केवल अल्लाह की इबादत में समर्पित हो जाता है..
जिस खुदा ने आदमी को पैदा किया है उसके लिए सब प्रकार का त्याग विवशता नहीं फर्ज बन जाता है. इसलिए तकवा लाने के लिए पूरे रमजान के महीने रोजे रखे जाते हैं. रमजान का महीना एक गरम पत्थर-सा मायने रखता है. उस जमाने में अरब में आज से भी भीषण गरमी होती थी. गरमी से तपते पत्थर से नसीहत लेते हुए जैसे यह सूरज की किरणों से तप रहा है, वैसे ही तुम अल्लाह की इबादत में तप कर अपने तन-बदन एवं रूह को पाक-साफ बना लो. रमजान के महीने में की गयी खुदा की इबादत बहुत असरदार होती है.
इसमें खान-पान सहित अन्य दुनियादारी की आदतों पर संयम कर जिसे अरबी में सोम कहा जाता है आदमी अपने शरीर को वश में रखता है. साथ ही तराबी और नमाज पढ़ने से बार-बार अल्लाह का जिक्र होता रहता है जिसके द्वारा इनसान की आत्मा (रूह) पाक-साफ होती है.

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