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बिहार के सरकारी अस्पतालों में बुरा हाल, आयुष्मान के तहत महीनों इंतजार के बाद हृदय रोगियों का ऑपरेशन

बिहार के सरकारी अस्पतालों में कागजी प्रक्रिया, वॉल्व और स्टेंट की उपलब्धता नहीं होने के कारण औसतन 20 दिनों तक मरीज ऑपरेशन से वंचित रह रहे हैं. वहीं आयुष्मान के मरीज निजी अस्पताल जाकर इलाज कराते हैं तो दो दिन के अंदर सर्जरी हो जाती है.

पटना. आयुष्मान योजना के तहत आने वाले मरीजों को सर्जरी के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है. खासकर इन्हें सबसे अधिक परेशानी हृदय रोग की सर्जरी कराने में हो रही है. प्रदेश के बड़े सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में शामिल शहर के पीएमसीएच, एनएमसीएच, आइजीआइसी, पटना एम्स व आइजीआइएमएस में हृदय रोग का इलाज कराने के लिए आने वाले मरीजों को अस्पताल प्रबंधन लंबे इंतजार का दर्द दे रहे हैं. हृदय रोगियों का निजी अस्पताल में जहां अधिकतम दो-तीन दिन में ऑपरेशन हो जाता है, वहीं सरकारी अस्पतालों में महीनेभर का इंतजार करना पड़ रहा है.

वॉल्व रिप्लेसमेंट व स्टेंट लगाने में हो रही देरी

सबसे अधिक परेशानी आइजीआइसी व आइजीआइएमएस में मरीजों को वाल्व रिप्लेसमेंट, स्टेंट व हृदय रोग की अन्य सर्जरी कराने में हो रही है. यहां आधुनिक कैथलैब की सुविधा तो उपलब्ध है लेकिन वॉल्व व स्टेंट के लिए वेटिंग चल रही है. जानकारों की मानें तो कागजी प्रक्रिया, वॉल्व और स्टेंट की उपलब्धता नहीं होने के कारण औसतन 20 दिनों तक मरीज ऑपरेशन से वंचित रह रहे हैं. वहीं आयुष्मान के मरीज निजी अस्पताल जाकर इलाज कराते हैं तो दो दिन के अंदर सर्जरी हो जाती है.

पूरे बिहार से आते हैं मरीज

संबंधित सभी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में पटना सहित पूरे बिहार से मरीज इलाज कराने आते हैं. वहीं समय पर ऑपरेशन नहीं होने पर इसका सीधा फायदा दूसरे अस्पतालों को भी होता है. परेशान मरीजों को अस्पतालों के दलाल अपने साथ निजी अस्पताल लेकर जाते हैं. मरीज भी इंतजार से परेशान होकर एक से डेढ़ लाख रुपये का इंतजाम कर निजी अस्पताल में ही ऑपरेशन कराना मुनासिब समझते हैं.

  • केस 1- पटना के लालजी टोला निवासी सुनीता देवी (बदला नाम) को पेसमेकर लगना है. आयुष्मान योजना की वह लाभुक हैं. आइजीआइसी में करीब एक महीने होने को है. अब तक योजना के तहत पेसमेकर नहीं लग पाया है. परिजनों की माने तो सर्जरी की तारीख अभी तक नहीं बतायी गयी है.

  • केस 2 – मोतिहारी जिले के निवासी रितिक गुप्ता के सीने में तेज दर्द था. हार्ट अटैक के संदेह के बाद परिजन शहर के आइजीआइएमएस अस्पताल पहुंचे. वहीं आयुष्मान के तहत जब मरीज आयुष्मान काउंटर पर रजिस्ट्रेशन कराने गया तो उस समय लिंक फेल था. दो दिन जब आयुष्मान का लिंक नहीं आया तो बाद में मरीज ने सामान्य तरीके से भर्ती होकर अपना इलाज कराया.

आयुष्मान के तहत होता है नि:शुल्क इलाज व जांच

एंजियोग्राफी, इंजीयोप्लास्टी, दो स्टेंट लगाना, टीएमटी, होल्टर, ब्लड टेस्ट, इको, इसीजी, बाल हृदय रोग से संबंधित जन्म जात हृदय रोग की बीमारी, बाइपास सर्जरी, ओपन हार्ट सर्जरी सहित सभी तरह का हृदय रोग संबंधित जांच व इलाज होता है.

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जो परेशानी है उसे ठीक करायी जा रही है

सिविल सर्जन डॉ श्रवण कुमार का कहना है कि आयुष्मान योजना, गरीब व बीपीएल कार्ड धारी वाले मरीजों को प्राथमिकता के आधार पर इलाज करने को निर्देश जारी किया गया है. जो गड़बड़ियां हैं उन्हें ठीक कराया जा रहा है. बहुत सारी कमियां ठीक करने के साथ व्यवस्था को दुरुस्त कर लिया गया है. वहीं इलाज में देरी क्यों हो रही है इसकी जानकारी संबंधित अस्पतालों से ली जायेगी.

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