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वर्चस्व को लेकर पहले भी हो चुका है संघर्ष

मुजफ्फरपुर: एमआइटी हॉस्टल में पहली बार वर्चस्व को लेकर छात्रों के बीच मारपीट नहीं हुई है. इससे पूर्व दिसंबर 2012 में भी वे आपस में भिड़ चुके हैं. उस दौरान पीजी-6 हॉस्टल में रह रहे छात्रों ने आपस में ही जम कर रोड़ेबाजी की थी. इस दौरान कई छात्र घायल भी हुए थे. सूचना पाकर […]

मुजफ्फरपुर: एमआइटी हॉस्टल में पहली बार वर्चस्व को लेकर छात्रों के बीच मारपीट नहीं हुई है. इससे पूर्व दिसंबर 2012 में भी वे आपस में भिड़ चुके हैं. उस दौरान पीजी-6 हॉस्टल में रह रहे छात्रों ने आपस में ही जम कर रोड़ेबाजी की थी. इस दौरान कई छात्र घायल भी हुए थे. सूचना पाकर तत्कालीन नगर डीएसपी बच्च सिंह व आधा दर्जन थानाध्यक्ष पुलिस बल के साथ हॉस्टल पहुंचे.

निरीक्षण के दौरान हॉस्टल के भीतर भारी मात्र में हॉकी स्टिक व विकेट बरामद हुए थे. यही नहीं कई कमरों की दीवार पर जातिगत आधार पर फाइलम के नाम भी लिखे थे. जिन छात्रों के बीच विवाद हुआ था, वे अलग-अलग फाइलम के थे. उस महीने यह घटना दो बार दुहरायी गयी.

उसके बाद तत्कालीन एडीजे गुप्तेश्वर पांडेय ने एमआइटी के सभी छात्रों के साथ वार्ता की व उन्हें पढ़ाई की सलाह दी. यही नहीं उनके निर्देश पर घटना में 56 छात्रों को चिह्न्ति कर उनका नाम गुंडा पंजी में भी दर्ज किया गया. उन छात्रों को आज तक कॉलेज की ओर से परीक्षा पास करने के बावजूद प्रमाण पत्र नहीं मिल सका है. इसके बावजूद एमआइटी के छात्रों का उपद्रव नहीं थमा. समय-समय पर आपसी विवाद, छेड़खानी को लेकर विवाद होता रहा.

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