यह जुलूस बनारस बैंक चौक होते हुए गोला रोड स्थित छोटी करबला तक गयी. जुलूस से पहले कमरा मुहल्ला स्थित मैदान में दिल्ली से आये अलसी वारसी ने तकरीर किया. इस मौके पर अंजुमने हाशमिया हसन चक बंगरा, इंजुमने जाफरिया इरानी दस्ता, शाहबे आलम जैदी ने नोहाखानी की. जुलूस में अब्बास यावर, शकील अहमद, आफताब जाफरी, वसीम अब्बास, जाफर अली, इम्तेयाज अली, फैयाज अली मौजूद थे.
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भाई का हुआ दुश्मन ये जहां मेरी जैनब
मुजफ्फरपुर: छूट रहा नाना का आस्ता मेरी जैनब, भाई का हुआ दुश्मन ये जहां मेरी जैनब. नोहाखानी करते हुए शिया समुदाय का जत्त्था आगे बढ़ता रहा. लोग 28 रजब को याद करते हुए इमाम हुसैन के मदीना छोड़ने का गम मना रहे थे. मौका था खादिमन-ए-अहलेबैत कमेटी की ओर से शुक्रवार को अमारी जुलूस का. […]
मुजफ्फरपुर: छूट रहा नाना का आस्ता मेरी जैनब, भाई का हुआ दुश्मन ये जहां मेरी जैनब. नोहाखानी करते हुए शिया समुदाय का जत्त्था आगे बढ़ता रहा. लोग 28 रजब को याद करते हुए इमाम हुसैन के मदीना छोड़ने का गम मना रहे थे. मौका था खादिमन-ए-अहलेबैत कमेटी की ओर से शुक्रवार को अमारी जुलूस का. कमरा मुहल्ला से निकले गये जुलूस में इमाम हुसैन के जुलजला का प्रतीक घोड़े की सवारी व इमाम हुसैन के भाई अब्बास का अलम भी निकाला गया.
जालिम की नहीं करेंगे बयत
जुलूस से पूर्व मजलिस को बयान फरमाते हुए मौलाना इरशाद अब्बास ने कहा कि जब यजीद बादशाह हुआ तो उसने मदीना के गर्वनर वलीद को पत्र लिखा कि इमाम हुसैन मेरी बयत में आ जाए. इमाम ने इससे इनकार कर दिया. उन्होंने अपने परिवार के साथ मदीना छोड़ दिया. वे मक्का की ओर बढ़े. लेकिन यजीद के जासूसों ने उनका पीछा नहीं छोड़ा.
इमाम को जब यह जानकारी हुई तो उन्होंने अल्लाह के घर मक्का में खून खराब करना उचित नहीं समझा व उन्होंने हज को उमरा में तब्दील कर जल्द ही मक्का से वापस हो गये. वे दो मुहर्रम को करबला पहुंचे.
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