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पेंशन राशि में बढ़ोत्तरी का वादा बना चुनावी जुमला

पेंशन राशि में बढ़ोत्तरी का वादा बना चुनावी जुमला पेंशनर्स दिवस आज: -कर्मचारी पेंशन योजना 1995 के प्रावधान लागू नहीं हुए -पेंशन संघर्ष समिति ने केंद्र की लापरवाही पर जतायी नाराजगी संवाददाता, मुजफ्फरपुरपेंशनर्स दिवस 17 दिसंबर को मनाया जाता है, लेकिन इसको लेकर पेंशनरों कोई उत्साह है. इसके विपरीत उनके मन में केंद्र सरकार व […]

पेंशन राशि में बढ़ोत्तरी का वादा बना चुनावी जुमला पेंशनर्स दिवस आज: -कर्मचारी पेंशन योजना 1995 के प्रावधान लागू नहीं हुए -पेंशन संघर्ष समिति ने केंद्र की लापरवाही पर जतायी नाराजगी संवाददाता, मुजफ्फरपुरपेंशनर्स दिवस 17 दिसंबर को मनाया जाता है, लेकिन इसको लेकर पेंशनरों कोई उत्साह है. इसके विपरीत उनके मन में केंद्र सरकार व मजदूर संगठनों की उपेक्षापूर्ण नीति को लेकर नाराजगी पनप रही है. पेंशनरों का कहना है कि लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने तीन तीन गुना अधिक पेंशन देने की घोषणा की थी, लेकिन लगता है कि यह भी भाजपा का चुनावी जुमला बनकर रह गया. सत्ता में 18 महीने पूरा कर चुकी सरकार अपना वादा नहीं निभा सकी. पेंशन संघर्ष समिति के अध्यक्ष अशोक कुमार वर्मा का कहना है कि महंगाई में भी 500 से 2000 रुपये की पेंशन राशि मिलने के कारण पेंशनर भूखों मरने को विवश है. इनकी पेंशन राशि पेट काटकर जमा की गई भविष्य निधि की रकम पर तय की जाती है. पिछले चार वर्षों में प्रधानमंत्री, वित्तमंत्री, श्रम व रोजगार मंत्री तथा अन्य नेताओं से पत्राचार करने के बाद संप्रग सरकार ने लोकसभा चुनाव से पहले न्यूनतम एक हजार व तीन फीसदी महंगाई भत्ता एक अप्रैल 2014 से देने की घोषणा की. इस पर एनडीए ने संप्रग से तीन गुना यानि तीन हजार पेंशन देने का वादा किया. अच्छे दिन की आस लगाए पेंशनरों को टकटकी लगी थी. पेंशनर पारस नाथ तिवारी, हेमंत तिवारी, अब्दुल बारी आदि का कहना है कि भाजपा ने अपना वादा पूरा नहीं किया. वीआरएस वाले पेंशनरों पर भी विचार नहीं किया गया. इसके चलते असंतोष बढ़ रहा है.

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