निगरानी ने इसे पिछले सप्ताह ही वापस करते हुए सभी फोल्डर सही करने को कहा था. वर्ष 2006 से अब नियोजित शिक्षकों की जांच हाईकोर्ट के आदेश पर 10 जून 2015 से निगरानी ब्यूरो की मुजफ्फरपुर इकाई कर रही है. जांच में सहूलियत के लिए उच्च माध्यमिक, माध्यमिक व प्राइमरी के शिक्षकों को अलग-अलग कैटेगरी में बांटकर उनके नियोजन से संबंधित सारे दस्तावेज निगरानी टीम ने मांगी थी. इसी के अनुसार डीपीओ स्थापना कार्यालय से अलग-अलग फोल्डर बनाकर जांच टीम को सौंप दिया. हालांकि इसमें शुरू से ही विभागीय उदासीनता साफ दिखती रही. पहले कर्मचारियों की कमी के चलते काम प्रभावित होने की बात कही गई, तो अलग से इसके लिए कर्मचारियों की तैनाती कर दी गई. इसके बाद भी जांच में तेजी आती नहीं दिख रही है.
तीन महीने से अधिक समय गुजर गया, लेकिन निगरानी जांच किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी है. उच्च माध्यमिक विद्यालयों के फोल्डर की जांच में निगरानी को आधे-अधूरे फाेल्डरों के चलते मुश्किल हुई. मसलन, जांच के दायरे में आये शिक्षकों की संख्या मास्टर चार्ट के अनुसार 448 थी. हालांकि विभाग से इसके सापेक्ष जांच के लिए मैट्रिक के 330, इंटर के 295, बीए के 334, एमए के 284 व बीएड के मात्र 151 सर्टीफिकेट जांच को दिए गए थे. ऐसे ही जब माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों के फोल्डर खोले गए तो उसमें प्रमाण-पत्रों की कॉपी तो लगी है, लेकिन उसे आसानी से पढ़ पाना संभव नहीं है. ऐसे सैकड़ों फोल्डर निगरानी ने डीपीओ कार्यालय को वापस करते हुए प्रमाण-पत्रों की पठनीय कापी लगाने को कहा है.