काफी देर तक दोनों पक्ष के बीच बैठक हुई. इस दौरान वित्त परामर्शी, वित्त अधिकारी, कुलानुशासक, कुलसचिव, विकास अधिकारी व परीक्षा नियंत्रक भी मौजूद थे. वार्ता के क्रम में एजेंसी के प्रतिनिधि ने राजभवन के पत्र के आलोक में पूर्व में भुगतान के लिए चेक बना लिये जाने का मामला व आखिरी समय में उसे रद्द कर दिये जाने का मामला उठाया. उनका आरोप था कि ऐसा कमीशन के लिए किया गया था. हाइकोर्ट में भी दर्ज मामले में भी इसी तरह का आरोप लगाया गया है. प्रतिनिधि ने निगरानी की जांच में क्लीन चिट दिये जाने के आधार पर किये गये कार्य के भुगतान की मांग की.
हालांकि, अधिकारियों ने इसे नकार दिया. उनका तर्क था कि निगरानी में दर्ज मामला अभी तक खत्म नहीं हुआ है. यही नहीं अब हाइकोर्ट में भी एजेंसी ने मामला दर्ज करा रखा है. ऐसे में जब तक इस पर कोई फैसला नहीं हो जाता, तब तक भुगतान मुश्किल है.