मुजफ्फरपुर: जिले में डेंगू का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है. दिन पर दिन नये मरीज सामने आ रहे हैं. वहीं, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है. एक ओर अधिकारी बार-बार कह रहे हैं कि बचाव के लिए निर्देश दिये जा चुके हैं, वहीं दूसरी ओर हकीकत इससे जुदा है. एक महीने में जिले में डेंगू के आठ केस सामने आये, जबकि 25 मरीज को डेंगू का संभावित मरीज माना जा रहा है. तब भी स्वास्थ्य विभाग वचाव के लिये सिर्फ निर्देश ही दे रहा है. कोई ठोस पहल नहीं की जा रही है.
जिले में डेंगू का पहला मरीज 26 अगस्त को मिला था.
मथुरापुर पताही की प्रीति कुमारी को पहले एनएस वन पॉजीटिव आया था. उसके बाद मेडिकल कॉलेज की एलाइजा टेस्ट में उसे डेंगू होने की पुष्टि हुई. विभाग ने पहला मरीज मिलने के बाद भी कोई दिलचस्पी नहीं ली. किसी पीएचसी में कोई इंतजाम नहीं किया गया. सितंबर के पहले सप्ताह तक मरीजों की संख्या चार हो गई. तब भी विभाग ने कोई इंतजाम नहीं किया. ग्रामीण क्षेत्रों में फॉगिंग व जागरूकता के कोई कार्यक्रम नहीं चलाये गये. हालांकि, हर बार अधिकारी कहते रहे कि फॉगिंग करायी जायेगी. लेकिन कब, इसके लिए कोई तिथि निर्धारित नहीं की गयी.
मिले आठ मरीज
सितंबर के अंतिम सप्ताह तक डेंगू मरीजों की संख्या आठ हो गयी. तब भी फॉगिंग कराये जाने की बात होती रही. आलम यह है कि अब तक इसकी कोई व्यवस्था नहीं की जा सकी है. सूत्रों की मानें तो जिले में डेंगू के 25 संदिग्ध मरीज हैं. इनका एलाइजा टेस्ट होना है. डेंगू के मरीजों की बढ़ती संख्या आम लोगों के लिए भले ही चिंता की बात हो, लेकिन विभाग इससे बचाव के लिए कोई कदम नहीं उठा रहा है.
एसकेएमसीएच में दो भरती
जिले में डेंगू के आठ मरीज मिले हैं. दो का इलाज एसकेएमसीएच में किया जा रहा है. अन्य का इलाज घर पर हो रहा है. यहां जांच व इलाज की व्यवस्था है. जरूरत पड़ने पर प्लेटलेट्स भी उपलब्ध है. सदर अस्पताल में जांच की व्यवस्था नहीं है. संदिग्ध मरीजों को मेडिकल कॉलेज भेजा जा रहा है. यहां के अधीक्षक जीके ठाकुर कहते हैं कि यहां इलाज की पूरी व्यवस्था है.