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20 साल की हुई सप्तक्रांति सुपरफास्ट, ट्रेन को मिला लुक, केक काट कर दिखायी हरी झंडी

मुजफ्फरपुर से आनंद विहार जाने वाली सप्तक्रांति सुपरफास्ट एक्सप्रेस शुक्रवार को 20 साल की हो गयी. इस खुशी में मुजफ्फरपुर जंक्शन पर एइएन दिलीप कुमार व स्टेशन डायरेक्टर मनोज कुमार ने संयुक्त रुप से केक काटा.

मुजफ्फरपुर. मुजफ्फरपुर से आनंद विहार जाने वाली सप्तक्रांति सुपरफास्ट एक्सप्रेस शुक्रवार को 20 साल की हो गयी. इस खुशी में मुजफ्फरपुर जंक्शन पर एइएन दिलीप कुमार व स्टेशन डायरेक्टर मनोज कुमार ने संयुक्त रुप से केक काटा. फिर स्टेशन प्रबंधक अखिलेश कुमार सिंह व अन्य ने संयुक्त रुप से हरी झंडी दिखाकर आनंद विहार के लिए ट्रेन को रवाना किया.

केक काटा और एक दूसरे को मिठाइयां खिलायी

इससे पूर्व सप्तक्रांति सुपरफास्ट ट्रेन के रैक को इंजन से लेकर कोच तक को फुल से सजाया गया था. केक काटा और एक दूसरे को मिठाइयां खिलायी. कुछ यात्री भी केक काटने के दौरान मौके पर मौजूद थे. जिन्हें सप्तक्रांति से सफर करने के लिए रेलवे की ओर से धन्यवाद दिया. एक जुलाई 2002 को पहली बार सप्तक्रांति नई दिल्ली के लिए मुजफ्फरपुर जंक्शन से खुली थी. उस वक्त सिर्फ सात स्टेशनों पर रूकती थी. कानपुर में तकनीकी ठहराव हुआ करता था.

तत्कालीन रेल मंत्री ने हरी झंडी दिखाकर किया था परिचालन शुरू

बताया जाता है कि यह ट्रेन मुजफ्फरपुर- नरकटियागंज रेलखंड से दिल्ली के आनंद विहार तक चलती है. इस ट्रेन को एक जुलाई 2002 को तत्कालीन रेल मंत्री नीतीश कुमार ने मुजफ्फरपुर जंक्शन से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया था. तब से अबतक यह ट्रेन तिरहुत, मिथिलांचल के अलावा चंपारण के यात्रियों को उनके मंजिलों तक पहुंचा चुकी है.

ट्रेन को मिला है आइएसओ दर्जा

मुजफ्फरपुर के अलावा पूर्वी व पश्चिमी चंपारण के यात्रियों के लिए यह पहली पसंद है. बेहतर मेटनेंस के लिए इस ट्रेन को आइएसओ का भी दर्जा प्राप्त है. 20 साल के दौरान मुजफ्फरपुर से चलने वाली नौ ट्रेनें बिहार के अलग-अलग स्टेशन भेज दी गयी. जिलावासियों के रुख को भांपते हुए रेलवे सप्तक्रांति को मुजफ्फरपुर से अलग नहीं कर सका.

बरौनी से परिचालन करने पर लोगों ने जतायी थी नाराजगी

पहले वैशाली, पवन, लिच्छवी, हरिहरनाथ, मौर्यध्वज व सद्भावना एक्सप्रेस मुजफ्फरपुर से खुलती थी. बाद में इन ट्रेनों को दूसरे स्टेशनों से चलाया जाने लगा. रेलवे बोर्ड से लेकर मुजफ्फरपुर स्थित रेलवे के क्षेत्रीय कार्यालय ने सप्तक्रांति एक्सप्रेस को भी बरौनी स्टेशन से चलाने की मंजूरी दे दी, लेकिन स्थानीय लोगों की नाराजगी को देखते हुए रेलवे को अपना निर्णय पलट दिया. इस ट्रेन की रैक से लेकर टाइमिंग में कई बार फेरबदल भी की गई.

दो दिन मोतिहारी के रूट से चलायी जाने लगी थी वैशाली

सप्तक्रांति को मुजफ्फरपुर-नरकटियागंज रेलखंड से चलने वाली पहली ट्रेन का गौरव प्राप्त है. बड़ी लाइन बनने के बाद वर्ष 2000 से इस रूट पर केवल मालगाड़ियां चलती थी. सांसद राधामोहन सिंह ने मोतिहारी रूट से यात्री ट्रेन चलाने की मांग तत्कालीन रेल मंत्री नीतीश कुमार से की थी. तब छपरा-सीवान रूट से मुजफ्फरपुर से दिल्ली जाने वाली वैशाली एक्सप्रेस का परिचालन दो दिन के लिए मोतिहारी रूट से शुरू किया गया था. यह ट्रेन सप्ताह में दो दिन सीवान रूट से रद्द कर दी गई. इस पर सीवान के तत्कालीन सांसद व जनप्रतिनिधियों ने विरोध किया. आंदोलन के बाद रेलवे को वैशाली को मोतिहारी रूट से परिचालन के निर्देश को रद्द करना पड़ा.

उत्तर बिहार की लोकप्रिय ट्रेन है सप्तक्रांति

वैशाली के नटकटियागंज रेलखंड से परिचालन रद्द होने के बाद चंपारण के लोगों को दिल्ली जाने में दिक्कत होने लगी. जिसकी शिकायत तत्कालीन रेल मंत्री नीतीश कुमार से की गई. इसके बाद रेलवे ने नयी ट्रेन सप्तक्रांति सुपरफास्ट एक्सप्रेस की सौगात दी. तब से आजतक यह ट्रेन पूर्वी चंपारण व पश्चिमी चंपारण समेत पूरे उत्तर बिहार की लोकप्रिय ट्रेन बनी हुई है.

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