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रजिस्ट्रेशन काउंटर पर लगाया ताला, मरीजों ने किया रोड जाम, आशा से भिड़े मरीज, तो अस्पताल के बाहर खदेड़ा
मुजफ्फरपुर : सदर अस्पताल में भूख हड़ताल कर रही आशा ने गुरुवार को सदर अस्पताल का कामकाज बाधित कर दिया. प्रदर्शन के बार रजिस्टेशन कांउटर के कर्मियों को बाहर निकाल आशा ने काउंटर पर ताला लगा दिया. इससे पुर्जा के लिए पंक्ति में लगे मरीज आक्रोशित हो गये और हंगामा शुरू कर दिया. इस दौरान […]
मुजफ्फरपुर : सदर अस्पताल में भूख हड़ताल कर रही आशा ने गुरुवार को सदर अस्पताल का कामकाज बाधित कर दिया. प्रदर्शन के बार रजिस्टेशन कांउटर के कर्मियों को बाहर निकाल आशा ने काउंटर पर ताला लगा दिया. इससे पुर्जा के लिए पंक्ति में लगे मरीज आक्रोशित हो गये और हंगामा शुरू कर दिया.
इस दौरान मरीजों ने आशा से भिड़ना चाहा, लेकिन आशा ने उन लोगों को खदेड़ दिया. इसके बाद मरीज इसकी शिकायत करने सीएस कार्यालय पहुंचे, लेकिन सीएस के नहीं होने पर उनलाेगों ने अस्पताल प्रशासन मुर्दाबाद का नारा लगाते हुए सदर अस्पताल के बाहर रोड जाम कर दिया.
हालांकि सदर अस्पताल के सुरक्षाकर्मियों ने मरीजों को समझा कर दस मिनट में ही जाम हटा दिया. आशा सदर अस्पताल परिसर में ही सीएस, स्वास्थ्य मंत्री व सरकार के खिलाफ नारे लगाती रही. करीब तीन घंटे तक प्रदर्शन के बाद आशा ने अपना बैनर रजिस्ट्रेशन काउंटर से हटा लिया, लेकिन तबतक ओपीडी का समय समाप्त हो चुका था. रजिस्ट्रेशन नहीं होने से दो सौ मरीज बिना इलाज लौट गये.
मलेरिया विभाग के कर्मियों को साढ़े तीन घंटे रोका : रजिस्ट्रेशन काउंटर पर प्रदर्शन के बाद आशा बैनर लेकर मलेरिया विभाग पहुंचीं. यहां कालाजार के लिए बैठक होने वाली थी. आशा मुख्य द्वार को बंद कर बाहर धरने पर बैठ गयी. आशा के गेट बंद कर देने के कारण पदाधिकारी बैठक नहीं कर सके. दोपहर दो बजे से शाम साढ़े पांच बजे तक आशा बाहर बैठी हुईं थीं. कार्यालय में 12 कर्मचारी गेट खुलने के इंतजार में थे. शाम साढ़े पांच बजे कर्मियों ने अंदर से चिल्ला कर गेट खुलवाया. धक्का-मुक्की भी हुई.
हमलोग पिछले एक महीने तीन दिन से हड़ताल पर हैं. सरकार जबतक हमारी मांगें नहीं मानती, हड़ताल जारी रहेगा. हड़ताल के दौरान दो आशा बहनों की मौत हो चुकी है. सरकार या तो वेतनमान लागू करे, नहीं तो जेल भेजे. हमलोग उग्र आंदोलन करेंगे. सदर अस्पताल को ठप कर देंगे.
ललिता राय, सचिव, आशा संघ
आशा के कर्मियों को अंदर रहते हुए मुख्य द्वार बंद कर देने से करीब साढ़े तीन घंटे तक हमारे कर्मचारी फंसे थे. कई लोग गांव से आकर ड्यूटी करते हैं, इतनी ठंड में वे कैसे घर गये होंगे. मांगें नहीं मानी गयीं, तो इसमें कर्मियों का क्या दोष है. प्रदर्शन-धरना से परेशानी झेलनी पड़ी.
डॉ सतीश कुमार, मलेरिया पदाधिकारी
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