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वाटर कूलर के पास गंदगी देख भड़के स्वास्थ्य सचिव, कहा- यह पानी कैसे पी सकते हैं लोग

मुजफ्फ्फरपुर : एसकेएमसीएच में निरीक्षण करने पहुंचे प्रधान सचिव संजय कुमार ने कॉलेज के प्राचार्य विकास कुमार, अधीक्षक जीके ठाकुर व विभागाध्यक्षों के साथ बैठक की. इसके बाद करीब 11:30 बजे परिसर में बन रहे नये भवनों को देखने निकले. एमबीबीएस छात्रों के लिए बन रहे नये भवन को देखा. भवन निर्माण में जुटे ठेकेदार […]

मुजफ्फ्फरपुर : एसकेएमसीएच में निरीक्षण करने पहुंचे प्रधान सचिव संजय कुमार ने कॉलेज के प्राचार्य विकास कुमार, अधीक्षक जीके ठाकुर व विभागाध्यक्षों के साथ बैठक की. इसके बाद करीब 11:30 बजे परिसर में बन रहे नये भवनों को देखने निकले. एमबीबीएस छात्रों के लिए बन रहे नये भवन को देखा.
भवन निर्माण में जुटे ठेकेदार से भी निर्माण की जानकारी ली. इसके बाद तीन सौ छात्रों की क्षमता वाले लेक्चर थियेटर को देखने पहुंचे. वहां उन्होंने कब तक थियेटर बन कर तैयार हो जायेगा, इसकी जानकारी प्राचार्य से ली. प्रधान सचिव बीएससी नर्सिंग के लिये बन रहे कॉलेज भवन को देखने पहुंचे. वहां उन्होंने एक साल में भवन निर्माण का कार्य धीमी देख ठेकेदार को नोटिस करने की बात कही. वहां से प्रधान सचिव सीधे कॉलेज पहुंचे, जहां माइक्रोबॉयोलॉजी की जांच लैब व प्रयोगशाला का निरीक्षण किया.
परिसर में गाय भैंस देख भड़के सचिव
निरीक्षण के दौरान कॉलेज परिसर में मवेशी को देख प्रधान सचिव भड़क गये. उन्होंने कहा कि मेडिकल कॉलेज है या जानवरों का अस्पताल है. इसको ठीक कीजिए. इसके बाद प्रधान सचिव आेपीडी में निरीक्षण करने पहुंचे. उन्होंने वाटर कूलर के पास गंदगी को देख अस्पताल अधीक्षक की फटकार लगायी. उन्होंने कहां कैसे लोग यहां पानी पीते हैं, इतनी गंदगी है. इसके बाद वार्ड तीन पहुंचे.
यहां मरीज की संख्या देख दंग रह गये. उन्होंने कहा कि क्या मरीज इलाज के बाद भर्ती नहीं होते हैं. इसके बाद इमरजेंसी वार्ड पहुंचे, जहां मरीजों की भीड़ को देखा और ड्रेसिंग रूम में सफाई नहीं होने पर कर्मी से पूछताछ की.
प्रसव कराने क्या महिला सदर अस्पताल नहीं आती, मार्च में सिर्फ आठ प्रसव. एसकेएमसीएच के निरीक्षण के बाद प्रधान सचिव सदर अस्पताल पहुंचे. यहां उन्होंने सिविल सर्जन डॉ ललिता सिंह,अधीक्षक डॉ कौशल कुमार मिश्र, उपाधीक्षक डॉ एनके चौधरी के साथ बैठक की. बैठक में उन्होंने ओपीडी में कितने मरीज आते हैं, इसकी जानकारी ली.
मरीजों की संख्या कम देख उन्होंने सीएस से पूछा कि आखिर इतनी सुविधा के बाद भी मरीज क्यों कम आ रहे हैं. वे सीएस के जवाब से संतुष्ट नहीं हुए. प्रधान सचिव ने कहा कि मरीजों को सुविधा दें, ताकि उन्हें स्वास्थ्य का लाभ मिल सके. इसके बाद प्रधान सचिव प्रसव कक्ष पहुंचे. यहां उन्होंने नर्स से प्रसव की संख्या पूछी. मार्च माह में महज आठ प्रसव होने पर सीएस की फटकार लगायी. कहा कि सदर अस्पताल में क्या महिला प्रसव को लेकर नहीं आती हैं.
सदर अस्पताल में ही का प्रसव होना चाहिए, वे प्रसव के लिये मेडिकल कॉलेज क्यों जायेंगी. मेडिकल कॉलेज बड़ी बीमारियों के लिये है, न कि प्रसव कराने के लिये. इसके बाद उन्होंने परिसर में बन रहे मैटरनिटी वार्ड देखने पहुंचे. यह कब तक तैयार हो जायेगा, इसकी जानकारी ली. इसके बाद बन रहे डीइआइसी (डिस्ट्रिक अर्ली इंटरवेंशन सेंटर) को देखने पहुंचे. निरीक्षण के बाद उन्होंने अधीक्षक कौशल कुमार मिश्र से कहा कि अस्पताल की रिपोर्ट वह सरकार को नहीं देंगे. लेकिन, व्यवस्था जल्द सुधारे नहीं, तो दिक्कत हो जायेगी.

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