डिग्री के बावजूद नहीं मिल रही नौकरी
मुजफ्फरपुरः एमआइटी कॉलेज से बी-फॉर्मेसी कोर्स पूरा कर चुके सैकड़ों छात्र-छात्राओं का भविष्य फिलहाल अधर में लटका हुआ है. देश की बड़ी-बड़ी कंपनियां इन छात्र-छात्रओं को अपने यहां जॉब देने से इनकार कर रही है. यही नहीं बिहार से बाहर ड्रग इंस्पेक्टर पद की बहाली में भी इनके आवेदनों को अस्वीकार किया जा रहा है. ऐसा एमआइटी के बी-फॉर्मेसी कोर्स को फॉर्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआइ) की मंजूरी नहीं प्राप्त होने के कारण हो रहा है. कॉलेज प्रशासन विगत 21 सालों से इसके लिए प्रयास कर रहा है, पर उसे सफलता नहीं मिली है. इधर, कोर्स में नामांकित व पास आउट छात्र लगातार इसके लिए कॉलेज प्रबंधन पर दबाव बना रहे हैं.
1993 से है पीसीआइ की रोक
एमआइटी कॉलेज में बी-फॉर्मेसी कोर्स के लिए पंद्रह सीट निर्धारित है. इन सीटों पर नामांकन बिहार संयुक्त प्रवेश परीक्षा के आधार पर होती है. वर्ष 1993 में पीसीआइ ने सुविधाओं का हवाला देते हुए कोर्स को मंजूरी देने से इनकार कर दिया. उसका मानना था कि कॉलेज में कोर्स के मानकों के तहत फैकल्टी का अभाव है. लैब की सुविधा भी उपलब्ध नहीं है. 1999-2000 में एक बार फिर पीसीआइ की निरीक्षण टीम ने कॉलेज का दौरा किया, पर इस बार भी कोर्स के पंजीयन से इनकार कर दिया. विगत कुछ वर्षो से कॉलेज ने पीसीआइ को 25 हजार रुपये वार्षिक शुल्क भी नहींभेजा है.
हाइकोर्ट में भी चल रहा है मामला
एमआइटी से बी-फॉर्मेसी कोर्स करने के बावजूद नौकरी से वंचित रहने वाले कई छात्र-छात्रओं ने इस मामले को हाइकोर्ट में भी उठाया है. इस संबंध में पीसीआइ, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग व एवं कॉलेज प्रशासन को कई बार नोटिस भी प्राप्त हो चुकी है. पर फिलहाल कॉलेज प्रबंधन इस मामले में खुद को असहाय बता रही है.