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दहशत के साये में जी रहे सदर अस्पताल के कर्मचारी

मुंगेर : सदर अस्पताल के कर्मचारी इन दिनों दहशत के साये में जीने को विवश हैं, जिस सरकारी क्वार्टर में कर्मचारी रहते हैं, वह कभी भी बड़ी दुर्घटना का गवाह बन सकता है. इतना ही नहीं यहां रहने वाले कर्मचारियों को पेयजल तक के लिए खुद का व्यवस्था करना पड़ता है. स्वास्थ्यकर्मियों के आवासीय क्षेत्र […]

मुंगेर : सदर अस्पताल के कर्मचारी इन दिनों दहशत के साये में जीने को विवश हैं, जिस सरकारी क्वार्टर में कर्मचारी रहते हैं, वह कभी भी बड़ी दुर्घटना का गवाह बन सकता है. इतना ही नहीं यहां रहने वाले कर्मचारियों को पेयजल तक के लिए खुद का व्यवस्था करना पड़ता है. स्वास्थ्यकर्मियों के आवासीय क्षेत्र में किसी प्रकार की सुविधा उपलब्ध नहीं है.

कर्मचारियों का आवास है जर्जर केंद्रीय दवा भंडार के समीप बने सदर अस्पताल के जर्जर क्वार्टर में स्वास्थ्यकर्मी अपने परिवार के साथ रहते हैं. भवन इतना जर्जर हो चुका है कि वह कभी भी गिर सकता है. एक ओर जहां पांच साल पहले से ही छत व छज्जे का प्लास्टर टूट-टूट कर गिर रहा है. वहीं वर्षों से विभाग द्वारा क्वार्टर की रंगाई-पुताई भी नहीं करायी गयी है. इसके कारण दीवारों से भी प्लास्टर का निकलना आरंभ हो चुका है.

बदतर है शौचालय की स्थितिकर्मचारियों की मानें तो यहां के संयुक्त शौचालय की स्थिति बदतर हो चुकी है. न तो इसकी नियमित सफाई हो पाती है और न ही इसमें पानी की व्यवस्था है. लोगों को यहां शौच के दौरान भी भय बना रहता है कि कहीं छत का प्लास्टर टूट कर उनके ऊपर न गिर जाय. कई बार यहां रहने वाले लोग इसके शिकार भी हो चुके हैं.पेयजल के लिए खुद की है व्यवस्थाकर्मचारियों को पेयजल के लिए खुद की व्यवस्था करनी पड़ती है.

वैसे तो यहां पर पीएचइडी विभाग द्वारा वाटर सप्लाई की व्यवस्था दी गयी है, लेकिन वह पूरी तरह अनुपयोगी है. इसके कारण कर्मचारी व उनके परिजनों को बाहर से ढो कर पानी लाना पड़ता है. कहते हैं सिविल सर्जनसिविल सर्जन डॉ श्रीनाथ ने बताया कि कर्मचारियों द्वारा इस तरह की कोई लिखित सूचना नहीं दी गयी है. वे जल्द ही खुद से ही क्वार्टर का निरीक्षण करेंगे. शौचालय व पेयजल का मामला तो पीएचइडी विभाग है. वे ही इसे देख सकते हैं.

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