उर्दू दिवस पर कवियित्री गोष्ठी आयोजित फोटो संख्या : 16 फोटो कैप्सन : गोष्ठी करती छात्राएं प्रतिनिधि , मुंगेर शहर के शाह जुबैर प्रांगण में उर्दू दिवस पर महिला कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया. उसकी अध्यक्षता छात्रा शगुफ्ता परवीन ने की. उपस्थित कवियित्री ने एक से बढ़ कर एक कविता, शेर-शायरी पेश की. कवियित्री गोष्ठी का प्रारंभ शगुफ्ता परवीन के नज्म से हुआ. उनके नज्म थे ” फकत ख्वाहिशों से नहीं गिरते फल झोली में, वक्त की हालात को मेरे दोस्त सुलझाना होगा, कुछ नहीं होता है अंधेरों को बुरा कहने से, अपने हिस्से का दीया खुद ही जलाना होगा ”. संचालन करते हुए साहित्यकार मधुसूदन आत्मीय ने भारत के पूर्व गौरव की वापसी के लिए राजनेताओं, अफसरों एवं उद्योगपतियों में देश के प्रति सेवा सर्मपण की भावना-एकता का महत्व इस काव्यांश में रेखांकित किया. जिसके बोल थे ” जात नहीं कोई धर्म नहीं आतंकी की, परवाह करें क्यों इनकी दहशतगर्दी की, खुशबू-पवन सी मिली-जुली उर्दू-हिंदी, मोहब्बत कम न होगी मुसलमां-हिंदू की ”. बुशरा नाज ने सुनाया ” कितनी प्यारी जबान है उर्दू, शायरों की जान है उर्दू, जज्बातों को रुप-रंग देती है, हमारी शहरी जबान है उर्दू ”. छात्रा फरहा नाज ने बनावटीपन को जिंदगी का अभिशाप बताते हुए सुनाया ” नक्श फरियादी है, किसकी शोखी तहरीर का, कागजी है पीरहन हर पैकर तस्वीर का ”. छात्रा नाहिदा परवीन का शेर था ” शक्ति भी शांति भी भक्तों के गीत में है, धरती के वासियों की मुक्ति प्रीत में है, मुक्ति पथ के शमा की बानगी मां के महत्व को दर्शा गयी, जब मां की दुआएं लेकर घर से निकलते है, महसूस ये होता है जन्नत में टहलते है ” था. इसके अलावे आफरीन, अफसाना, शमा परवीन, राजिया ने भी अपनी-अपनी कविता का पाठ किया.
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अपने हिस्से का दीया खुद ही जलाना होगा…
उर्दू दिवस पर कवियित्री गोष्ठी आयोजित फोटो संख्या : 16 फोटो कैप्सन : गोष्ठी करती छात्राएं प्रतिनिधि , मुंगेर शहर के शाह जुबैर प्रांगण में उर्दू दिवस पर महिला कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया. उसकी अध्यक्षता छात्रा शगुफ्ता परवीन ने की. उपस्थित कवियित्री ने एक से बढ़ कर एक कविता, शेर-शायरी पेश की. कवियित्री […]
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