14 पंचायत के लिए सिर्फ 950 बैग यूरिया का हुआ है आवंटन
सीमावर्ती क्षेत्र घोड़ासहन में 107 खाद की दुकानें जिसमें आधा दर्जन से ज्यादा दुकानें सीमावर्ती क्षेत्र में सरकारी मंजूरी से कायम है, जिससे खाद की तस्करी में इजाफा हो गया है.
घोड़ासहन. सीमावर्ती क्षेत्र घोड़ासहन में 107 खाद की दुकानें जिसमें आधा दर्जन से ज्यादा दुकानें सीमावर्ती क्षेत्र में सरकारी मंजूरी से कायम है, जिससे खाद की तस्करी में इजाफा हो गया है. हालांकि दुकान खोलने की सरकार की मंशा यह है कि सीमाई इलाकों में रहने वाले भारतीय किसानों को खाद के लिए दूर भटकना न पड़े,लेकिन भारतीय किसानों के हिस्से की खाद नेपाल के खेतों की फसलों को पोषण दे रही है.जबकि सीमावर्ती पुलिस एवं एसएसबी द्वारा तस्करी पर चौकसी बरती जा रही है. क्षेत्र में एक तरफ किसानों को खाद के लिए हाहाकार मचा है वही तस्कर उर्वरक को नेपाल में भेजने की अपनी पूरी भागीदारी निभा रहे है.जिससे उन्हें चांदी ही चांदी है.हालाकि सरकार के उर्वरक विभाग द्वारा किसी प्रकार की अनियमिताओं को रोकने,किसानों को गुणवतापूर्ण उर्वरक उपलब्ध कराने तथा कालाबाजारी तथा तस्करी को रोकने के लिए कड़ी निगरानी करने के बावजूद सीमावर्ती क्षेत्र में कुछ हद तक अंकुश लगी है.
क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से उर्वरक का आवंटन सबसे कम
प्रखंड में भौगोलिक क्षेत्रफल और 14 पंचायतों के आधार पर समानुपातिक रूप से खाद का आवंटन नहीं होता है.इसी कड़ी में जिला कृषि पदाधिकारी द्वारा 26 दिसंबर 25 को जिला को एनएफएल यूरिया (1365.75 एमटी ) थोक विक्रेताओं को आवंटित किया गया है.बीएओ शिलानाथ झा ने बताया कि घोड़ासहन प्रखंड क्षेत्र के लिए सिर्फ 950 बैग यूरिया का उपावांटित किया गया है.इधर कम आवंटन होने से रबी की फसल कर रहे किसानों में मायूसी छाई है.अब सवाल यह है कि क्षेत्रफल की दृष्टिकोण से प्रखंड में कुल खेती योग्य 7609.4 हेक्टेयर भूमि पर किसान अपनी खेती करते है बावजूद इसके उर्वरक का आवंटन प्रखंड में काफी कम है.इसके लिए जिम्मेवार कौन है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
