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जिले में शुगर, ब्लड प्रेशर व डिप्रेशन का डेरा

बदली आबोहवा व आगे बढ़ने की होड़ के बीच शुगर व ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियां आम हो गयी हैं. इनके मरीजों की संख्या दिनोंदिन बढ़ रही है. इसके आकड़े डॉक्टरों को डराते हैं, लेकिन जो हालात हैं, उनमें इन बीमारियों का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है. इन दो बीमारियों के साथ हाल के सालों […]

बदली आबोहवा व आगे बढ़ने की होड़ के बीच शुगर व ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियां आम हो गयी हैं. इनके मरीजों की संख्या दिनोंदिन बढ़ रही है. इसके आकड़े डॉक्टरों को डराते हैं, लेकिन जो हालात हैं, उनमें इन बीमारियों का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है.
इन दो बीमारियों के साथ हाल के सालों में डिप्रेशन (अवसाद) की बीमारी भी बढ़ी है. इससे भी बड़ी आबादी प्रभावित हो रही है. डॉक्टर इस सबके पीछे बिगड़ी जीवन शैली को जिम्मेवार मान रहे हैं.
मधुबनी : जिला मुख्यालय से आठ किमी दूर सतलखा गांव के कल्याण जी (35) के परिवार में चार लोग शुगर (डायबिटीज) से पीड़ित हैं. इनके छोटे भाई को भी शुगर है. डॉक्टर ने सभी को परहेज करने को कहा है.
कल्याण बताते हैं, उनके मोहल्ले के 20 फीसदी युवा शुगर की चपेट में हैं. गांव के बद्री झा कहते हैं, नया जमाना है, इसलिए नयी-नयी बीमारियां हो रही हैं. हमने कभी ज्यादा मिठाई भी नहीं खाई लेकिन शूगर हो गया. कमाई के साथ डॉक्टर का खर्च भी बढ़ गया है.
2.78 लाख डायबिटीज के मरीज. ये हालत सिर्फ सतलखा गांव की नहीं. विभाग की ओर से जो आकड़े जुटाये गये हैं, वो चौकानेवाले हैं. इनके मुताबिक शुगर के रोगियों की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी हो रही है. पिछले तीन साल में खासकर युवा वर्ग में ये बीमारी 4.65 फीसदी बढ़ी है.
2012-13 में डायबिटीज पीड़ित युवकों की तादाद 11.92 प्रतिशत थी, जो अब बढ़कर 16.47 प्रतिशत हो गई है. इसमें करीब 11 प्रतिशत शहरी युवा शामिल हैं. जबकि 35 से 65 आयु के बीच यह प्रतिशत 42.27 है. इस तरह जिले के दो लाख 78 हजार लोग डायबिटीज की चपेट में हैं.
हर तीसरे को ब्लड प्रेशर
रक्त चाप (ब्लड प्रेशर) की बीमारी अब आम बात मानी जा रही है. सदर अस्पताल के चिकित्सक डॉ विमलेश प्रकाश बताते हैं कि ओपीडी में उनसे दिखाने के लिये आया हर तीसरा मरीज रक्तचाप से ग्रसित होता है. पहले अधिकांशत: पुरुषों में एक उम्र के बाद यह बीमारी होती थी.
अब ग्रामीण महिलाओं व युवाओं में भी बीमारी हो रही है. ब्लड प्रेशर से लोगों का रहन-सहन व खान-पान जिम्मेवार है. डॉ प्रकाश की मानें तो जिले में 18 वर्ष से अधिक आयु वाले 31.93 फीसदी लोग रक्तचाप से पीड़ित हैं.
युवाओं में बढ़ा डिप्रेशन
डायबिटीज के साथ युवाओं (18 से 35 साल) में डिप्रेशन बढ़ रहा है. शहरी क्षेत्र के युवाओं में इसका ज्यादा असर देखा गया है. मनोचिकित्सक डॉ एमएन शुक्ला बताते हैं, मौजूदा दौर प्रतिस्पर्धा का है. इसका सबसे ज्यादा असर युवाओं पर है. यही वजह है कि पिछले तीन साल में डिप्रेशन के शिकार 641 रोगियों का इलाज किया गया है.
2014-15 में सबसे ज्यादा 271, 2015-16 में अब तक 139 लोग डिप्रेशन का इलाज करा चुके हैं. 35 से 65 आयु वर्ग के 9.12 फीसदी लोग अवसाद से ग्रसित हैं. डॉ शुक्ला का मानना है कि हर क्षेत्र में प्रतियोगिता इतना ज्यादा बढ़ गयी है, जो लोगों के दिमाग पर असर डाल रही है.
बीमारी उम्र(18 से 35) (36 से 65 वर्ष)
डायबिटीज 16.47 31.12
ब्लड प्रेशर 19.00 42.01
डिप्रेशन 6.05 13.01
कैंसर 0.08 1.01
मोटापा 7.09 17.02
(नोट : आंकड़ा सदर अस्पताल मधुबनी व जिले के विभिन्न रेफरल अस्पतालों के ओपीडी से संकलित)
छह से नौ फीसदी स्वास्थ्य पर खर्च
नेशनल सैंपल सर्वे (एनएसएसओपी) 2011-12 की रिपोर्ट के अनुसार गांव के लोग शहरी लोगों से ज्यादा स्वास्थ्य पर खर्च करते हैं. रिपोर्ट के अनुसार एक ग्रामीण अपने मासिक खर्च का करीब नौ फीसदी रकम स्वास्थ्य पर खर्च करता है, जबकि शहर में रहनेवाला छह फीसदी ही खर्च करता है.

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