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सेवा से हटाये जायेंगे जिले के 156 शिक्षक

हाइकोर्ट का फैसला आने के बाद प्रधान सचिव ने दिया निर्देश मधुबनी : जिले में प्रारंभिक विद्यालयों में वैसे नियोजित शिक्षक-शिक्षिकाओं को हटाया जायेगा जो दक्षता परीक्षा में दो बार फेल हो चुके हैं. प्रधान सचिव शिक्षा विभाग आरके महाजन ने इस संबंध में निर्देश जारी कर दिया है. हाइकोर्ट के फैसला आने के बाद […]

हाइकोर्ट का फैसला आने के बाद प्रधान सचिव ने दिया निर्देश
मधुबनी : जिले में प्रारंभिक विद्यालयों में वैसे नियोजित शिक्षक-शिक्षिकाओं को हटाया जायेगा जो दक्षता परीक्षा में दो बार फेल हो चुके हैं. प्रधान सचिव शिक्षा विभाग आरके महाजन ने इस संबंध में निर्देश जारी कर दिया है. हाइकोर्ट के फैसला आने के बाद प्रधान सचिव ने यह आदेश जारी किया है.
क्या है मामला
जिले के प्रारंभिक विद्यालयों के नियोजित शिक्षक-शिक्षिकाओं की समय-समय पर दक्षता परीक्षा आयोजित की जाती है. राज्य शिक्षा शोध व प्रशिक्षण परिषद की ओर से दक्षता परीक्षा में दो बार फेल शिक्षक-शिक्षिकाओं की सूची उपलब्ध करायी गयी थी.
उस दौरान लोकसभा चुनाव 2014 के अंतर्गत राज्य में आदर्श आचार संहिता लागू हो गया. आचार संहिता की अवधि समाप्त होने तक संबंधित नियोजित शिक्षक शिक्षिकाओं के सेवा समाप्त करने की कार्रवाई को स्थगित कर दिया गया. इसके बाद निदेशक प्राथमिक शिक्षा द्वारा हटाने के निर्देश को अगले आदेश तक के लिये स्थगित कर दिया गया.
हाइकोर्ट ने दिया आदेश
इस बीच हाइकोर्ट पटना ने दो अप्रैल 2015 को आदेश पारित करते हुए विभाग के उक्त निर्देश को अवैध करार दिया. कोर्ट ने आदेश दिया कि आदेश निर्गत की तिथि से एक सप्ताह के अंदर वैसे नियोजित शिक्षक व शिक्षिका जो दक्षता परीक्षा में दो बार असफल रहे हैं. उन्हें निश्चित रूप से सेवामुक्त कर दिया जाये. नौ अप्रैल 2015 या इससे पूर्व सेवामुक्त करने का आदेश दिया गया. 10 अप्रैल 2015 से ये स्वत: सेवामुक्त समङो जायेंगे. यदि उनसे कार्य लिया गया तो संबंधित नियुक्ति प्राधिकार के विरुद्ध जिम्मेदारी निर्धारित की जायेगी. ऐसे शिक्षक शिक्षिकाओं के नियत वेतन का भुगतान भी नहीं की जायेगी.
क्या कहते हैं अधिकारी
प्रधान सचिव आरके महाजन ने ज्ञापांक 374 दिनांक चार अप्रैल 2015 के माध्यम से जिला शिक्षा पदाधिकारी को आदेश दिया है कि वे निर्धारित अवधि में यह सुनिश्चित करेंगे कि दक्षता परीक्षा में अनुत्तीर्ण शिक्षक व शिक्षिकाओं को सेवामुक्त कर दिया गया है. प्रधान सचिव ने डीइओ को यह भी आदेश दिया है कि इन शिक्षक शिक्षिकाओं से निर्धारित अवधि के बाद कोई काम नहीं लिया जाय. न ही इन्हें किसी प्रकार का भुगतान किया जाय. किसी प्रकार के अवैध भुगतान की जिम्मेवारी डीइओ व डीपीओ स्थापना की होगी. इस आशय की प्रतिलिपि डीएम सहित अन्य को भी प्रधान सचिव ने दी है.

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