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अनावश्यक खर्च पर रहे नियंत्रण

मधुबनी : वित्तीय वर्ष 2014-15 समाप्त होने में अब मात्र दस दिन ही रह गये हैं. इन अंतिम दिनों में वित्तीय अनुशासन बनाये रखने एवं अनावश्यक खर्च नियंत्रित करने के संबंध में बिहार सरकार के वित्त विभाग के प्रधान सचिव ने सभी पदाधिकारी एवं कोषागार पदाधिकारी को आवश्यक निर्देश जारी किये हैं. * प्रावधान के […]

मधुबनी : वित्तीय वर्ष 2014-15 समाप्त होने में अब मात्र दस दिन ही रह गये हैं. इन अंतिम दिनों में वित्तीय अनुशासन बनाये रखने एवं अनावश्यक खर्च नियंत्रित करने के संबंध में बिहार सरकार के वित्त विभाग के प्रधान सचिव ने सभी पदाधिकारी एवं कोषागार पदाधिकारी को आवश्यक निर्देश जारी किये हैं.

* प्रावधान के अनुसार होगी निकासी

बिहार कोषागार संहिता के प्रावधानों के अनुसार कोषागार से राशि की निकासी होगी. राशि की निकासी खर्च जरूरी होने पर ही की जायेगी. बजट में उपबंधित राशि को व्ययगत होने से बचाने के लिए राशि की निकासी नहीं की जायेगी. यदि निकासी की गयी अग्रिम राशि 31 मार्च तक व्यय नहीं होने वाली है तो उसे 31 मार्च तक कोषागार में वापस जमा कराया जायेगा.
* वित्त विभाग की सहमति जरूरी
किसी भी पदाधिकारी को बैंक में खाता खोलने एवं कोषागार से राशि की निकासी कर उसमें संचित करने से पूर्व वित्त विभाग की सहमति प्राप्त करना अनिवार्य होगा. यदि राशि की अग्रिम निकासी बैंक में रखने के लिये की जा रही है. तो कोषागार पदाधिकारी निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी से इस आशय का घोषणा पत्र विपत्र पर जरूर प्राप्त करेंगे कि उनके द्वारा बैंक खाता में जमा करने के लिये निकासी की जा रही राशि उसी बैंक खाता में जमा की जा रही है. इसके संधारण के लिए सरकार की सहमति प्राप्त है. सहमति का पत्रांक और दिनांक भी देना होगा.
* आकलन के बाद होगी निकासी
राशि की निकासी तभी की जाये जब उसका व्यय निर्धारित अवधि में हो जाने का आकलन हो. राशि की निकासी कर लंबे समय तक बैंक में जमा रखने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाया जायेगा. वित्तीय वर्ष के अंतिम माह में वित्तीय अनुशासन और सतर्कता बनाये रखने के लिये उतनी ही राशि की अग्रिम निकासी की जाय जो मार्च 2015 तक खर्च हो जाये.
* अंतिम दिनों में कैसे हो निकासी
वित्तीय वर्ष 2014-15 के योजना और गैर योजना व्यय के लिये मार्च के अंतिम दिनों में राशि निकासी के लिये मार्गनिर्देश जारी कर दिये गये हैं. एक करोड़ रुपये से अधिक राशि की निकासी वाले विपत्रों व चेकों को कोषागार द्वारा वित्त विभाग की पूर्वानुमति लेकर पारित किया जायेगा. निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी से संबंधित नियंत्री पदाधिकारी को वित्त विभाग को यह आश्वस्त करना होगा कि उक्त राशि की निकासी एवं व्यय इस वित्तीय वर्ष में नितांत आवश्यक है.
* सीमा में ही होगी निकासी
गैर योजना अंतर्गत कार्यालय व्यय, यात्रा भत्ता, वाहन का इंधन एवं रख रखाव, मशीनें व उपस्कर, सामग्री एवं पूर्तियां व मरम्मत मद में निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी के द्वारा अपने वार्षिक आवंटन का 20 प्रतिशत की सीमा में ही निकासी की जा सकती है. गैर योजना मद में एसी विपत्र या प्रोफार्मा इन्वायस पर कोई निकासी नहीं की जा सकती है. गैर योजना मद में दिसंबर 2014 तक प्राप्त आवंटन आदेशों के विरुद्ध 15 मार्च तक ही विपत्र कोषागार में प्राप्त करने का निर्देश है. बाद के आवंटनों के आधार पर 25 मार्च तक कोषागारों से विपत्र प्राप्त किये जायेंगे. 25 मार्च के बाद वैसे विपत्र ही प्राप्त किये जायेंगे जिसके लिये आवंटन आदेश में इसका स्पष्ट उल्लेख हो.
क्या कहते हैं अधिकारी
वित्त विभाग के प्रधान सचिव रामेश्वर सिंह ने आदेश दिया है कि उपरोक्त सभी निर्देशों का अनुपालन हर हाल में सुनिश्चित किया जाय. जिस विभाग को कठिनाई हो वे शिथिलीकरण के लिए अपना प्रस्ताव पूर्ण औचित्य के साथ वित्त विभाग के सचिव को भेजेंगे. क्षेत्रीय कार्यालय कठिनाई होने पर प्रशासी विभाग के माध्यम से अपना प्रस्ताव भेजेंगे. प्रधान सचिव का स्पष्ट निर्देश है कि वित्त विभाग से मिथिलीकरण आदेश प्राप्त कर ही कोषागार में विपत्र प्रस्तुत किया जायेगा. प्रधान सचिव के आदेश के आलोक में स्थापना उपसमाहर्ता मधुबनी ने ज्ञापांक 404 दिनांक 12 मार्च के माध्यम से सभी निकासी एवं व्ययन पदाधिकारी को इस आशय की सूचना दे दी है.

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