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सड़क, बिजली व पानी की परेशानी से जूझ रहे वार्ड सात के निवासी

मधुबनी : सरकार भले ही अनुसूचित जाति, जनजाति के कल्याण के लिए योजनाएं चलायी हो. पर सरकारी बाबू योजनाओं को धरातल पर नहीं उतार पाते हैं. गांव की बात तो दूर शहर में इनकी बस्ती में आधारभूत संरचना के साथ- साथ बिजली, पानी, स्कूल, स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध नहीं है. यह हाल बयां करता है शहर […]

मधुबनी : सरकार भले ही अनुसूचित जाति, जनजाति के कल्याण के लिए योजनाएं चलायी हो. पर सरकारी बाबू योजनाओं को धरातल पर नहीं उतार पाते हैं. गांव की बात तो दूर शहर में इनकी बस्ती में आधारभूत संरचना के साथ- साथ बिजली, पानी, स्कूल, स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध नहीं है. यह हाल बयां करता है शहर के वार्ड नंबर 7 स्थित निजी बस स्टैंड के समीप राज कैनाल के किनारे बसे अनुसूचित जाति का मोहल्ला. चार पीढियों से यहां दर्जनों परिवार रहते हैं.

पर सुविधाओं से वंचित है. प्रभात खबर संवाददाता ने इनके बस्ती में पहुंच जानकारी ली तो पाया कि शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, बिजली, आवास संबंधी कोई भी योजना यहां नहीं पहुंची है. दिन के करीब 11 बजे इस मुहल्ला में बच्चे गंदगी के बीच खेल रहे थे. उन्हें न ही स्कूल से कोई वास्ता दिख रहा था और न ही गंदगी से कोई डर. लगता है यह उनकी नियति बन गयी है. इसी बीच वहां अपने झोपड़ी के दहलीज पर बैठी 55 वर्षीय रानी देवी से पूछा कि यहां के बच्चे किस स्कूल में पढ़ते है तो बताया कि हमारे बच्चे नहीं पढ़ते. न ही इस बस्ती में आंगनबाड़ी केंद्र है न स्कूल है. हमलोगों के पास इतना पैसा नहीं है कि बच्चों को रिक्शा या ऑटो से स्कूल भेजें. बच्चे जब बड़े हो जाते हैं तो वे काम करना शुरू कर देते है. जिससे परिवार का खर्चा चलता है. 58 वर्षीय रामपरी देवी बताती है कि बरसात में हमलोगों को घर छोड़ना पड़ता है.

कई बार बरसात अधिक होती है तो घर का छप्पर गिर जाता है. अभी तक आवास बनाने के लिए पैसा नहीं मिला है. दीपक कुमार, दुर्गा कुमार ने बताया कि हमलोग पढाई बीच में ही छोड़ दिये. इतना पैसा अभिभावक के पास नहीं था कि हाई स्कूल की शिक्षा नहीं प्राप्त कर सके. हमलोग चाहते हैं कि हमलोगों के बच्चे पढ़ें. पर इसमें कई तरह की कठिनाई है. यहां अब तक आंगनबाड़ी केंद्र नहीं है. गर्भवती महिला को न ही टेक होम राशन व पोषाहार प्राप्त होता है. रीता देवी ने बताया 60 वर्ष से यहां रहती हूं. न बिजली आयी है और न ही आवास मिला है. इसी बीच वार्ड 7 के पार्षद सुरेंद्र मंडल उस बस्ती पहुंचते है. मैंने उनसे पूछा कि अब तक इस बस्ती का विकास क्यों नहीं हुआ. तो उन्होंने जवाब दिया बस्ती के विकास के लिए विभागों को कई बार लिखा गया. पर विभाग एक भी नहीं सुनता. अब तक बिजली के पोल भी नहीं लगाये गये है. उपर से सरकार ने अब शहरी इलाकों में किरासन तेल देना भी बंद कर दिया है. बिजली विभाग को कई बार सूचित किया गया पर अबतक स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं हुआ है. आवास, शौचालय, पेयजल आदि सुविधा के लिए नगर परिषद को आवेदन दिया गया है. 40 लाभुकों को शौचालय निर्माण के लिए राशि मिली है. निर्माण कार्य चल रहा है. इस बीच पार्षद के मोबाइल पर जनवितरण प्रणाली विक्रेता का फोन आया कि लाभुकों के लिए गेहूं और चावल का वितरण किया जाएगा.

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