मधुबनी : एक ओर गौ रक्षा को लेकर देश भर में आवाजें उठायी जा रही है. कई संगठन इस दिशा में काम कर रही है. प्रशासन भी पशु क्रूरता व अवैध रूप से पशुओं की तस्करी पर रोकथाम लगाने के दिशा में पहल कर रही है तो दूसरी ओर जिला मुख्यालय में खुद प्रशासन द्वारा ही करीब 30 गायों के साथ जिस प्रकार की अनदेखी की जा रही है वह मानवीय संवेदनाओं को झंकझोर देने वाली है. बचे गायों में से एक एक कर गाय मौत की ओर बढ़ती जा रही है.
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एक-एक कर मर रहीं गायें, अब तक सात की हो चुकी मौत
मधुबनी : एक ओर गौ रक्षा को लेकर देश भर में आवाजें उठायी जा रही है. कई संगठन इस दिशा में काम कर रही है. प्रशासन भी पशु क्रूरता व अवैध रूप से पशुओं की तस्करी पर रोकथाम लगाने के दिशा में पहल कर रही है तो दूसरी ओर जिला मुख्यालय में खुद प्रशासन द्वारा […]
आलम यह है कि प्रशासन इन गायों को लाकर छोड़ दिया. इन गायों के भोजन व सही से रखने तक का इंतजाम प्रशासन के द्वारा नहीं किया गया है. ना ही किसी को इसकी जिम्मेदारी ही दी गयी है. जिस कारण अब करीब एक दर्जन गाय मरनासन्न अवस्था में पहुंच गयी है. आम लोग इन गायों को देख ले तो प्रशासन व पशु तस्करी करने वालों के खिलाफ आक्रोश स्वत: ही पैदा हो जाये. अब एक एक कर गायें मौत के मुंह में जा रही है और प्रशासन मूकदर्शक बन देख भर रहे हैं. वो तो भला हो गौशाला संरक्षण समिति का और स्थानीय लोगो को जो इन गायों को कभी कभार भूसा व चारा भी दे देते हैं. पर एक साथ तीस गायों को चारा देना आम लोगों के बस के बाहर की बात है.
सात की हो चुकी है मौत . बीते 25 जुलाई को पशु तस्करी के लिये ले जा रहे 35 गाय को लोगों ने पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया था. जिसे एसडीओ के निर्देश व पहल पर मधुबनी अवस्थित गोशाला को सूर्पूद किया गया था. इन 35 गाय में पांच गाय की मौत 26 जुलाई की सुबह ही हो गयी थी. बाद में दो गाय की मौत फिर हो गयी. इस प्रकार अब तक सात गाय की मौत हो चुकी है. इसके बाद भी प्रशासनिक स्तर पर बांकी बचे गायों को सुरक्षित रखने के लिये किसी प्रकार की विशेष पहल नहीं की गयी. छोटी सी जगह में शेष बचे 28 गाय को रख दिया गया है. इनमें से वर्तमान स्थिति में करीब एक दर्जन गाय मरनासन्न है. जो कब मर जाये कुछ कहा नहीं जा सकता. गोशाला के पदेन अध्यक्ष सह सदर अनुमंडल पदाधिकारी अभिलाषा कुमारी शर्मा के निर्देश पर जिला पशुपालन पदाधिकारी द्वारा प्रतिदिन इलाज की खानापूरी की जा रही है. पर गायों के स्वास्थ्य में कोई सुधार होता नहीं दिख रहा.
किसी तरह पिलाया जाता है पानी. गोशाला में बचे 28 गाय में से आठ गाय की हालत काफी नाजुक बनी हुई है. गोशाला पर पशु क्रुरता सोसाईटी के सदस्य प्रवीण कुमार प्रणव ने बताया कि 8 गाय तो दाना पानी लेना भी छोड़ चुकी है. किसी तरह से गाय के मुंह को उठाकर पानी दिया जाता. कई गाय तो पानी भी नहीं पी रही है. गायों की ऐसी हालत के संबंध में श्री प्रणव ने बताया कि बूढी व बीमार गाय को तस्कर ले जा रहे थे. पुलिस द्वारा गायों को पकड़कर गोशाला में रख दिया गया है. कुछ ऐसे भी गाय है जिन्हें चोट भी लगी हुई है.
एक ही कमरे में हैं सभी गायें. मधुबनी गोशाला काे समृद्ध माना जाता है. पर गोशाला के अधिकतर जमीन पर निजी लोगों को किराया दिया जा चुका है. जिस कारण गोशाला के लिए वर्तमान में एक ही हॉल बचा है जहां गायों को सुरक्षित रखा जा सकता है. ऐसे में एक कमरे में 28 गाय को किसी तरह ठूस कर रखा गया है. वैसे गौशाला प्रबंधन ने गायों को सुरक्षित रखने के लिए पंखा की व्यवस्था की है.
गोशाला में ही दफन हो रहीं
गौशाला में मरने वाले गाय को गोशाला में दफन किया जा रहा है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार 26 जुलाई को जिन सात गाय की मौत हो गयी थी. उन सभी को परिसर में ही दफना दिया गया है. गौशाला के खाली पड़े एक भूभाग में नगर परिषद से जेसीबी मंगाकर 13 फीट गड्डा खोदकर उसमें मृत गायों को नमक देकर दफनाया गया है.
क्या कहते हैं गोशाला
के सचिव
गोशाला में तस्करी के लिए ले जायी जा रहीं गायों को रखने का कोई प्रावधान नहीं है. उन्होंने कहा कि पुलिस अपनी जिम्मेदारी को कम करने के लिए गायों एवं बछड़ों को गौशाला में पटक कर चली गयी. 25 जुलाई की रात पुलिस द्वारा लायी गयी 35 गाय एवं बछड़े की हालत खराब थी . तीन तो मरी हुई थी जो प्राथमिकी में भी दर्ज है. चार गाय अगले दिन मर गई. शेष बचे जानवरों को गोशाला प्रबंधन इलाज करा रहा है. इनमें अधिकतर बीमार बछड़े हैं जिन्हें तस्करी करने ले जा रहे थे.
धीरेंद्र कुमार मंडल, गोशाला के सचिव
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