शारदीय नवरात्र . जिले में दुर्गापूजा को लेकर चरम पर उत्साह
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सर्वमंगल मांगल्ये…से गूंजा मधेपुरा
शारदीय नवरात्र . जिले में दुर्गापूजा को लेकर चरम पर उत्साह जिले में दुर्गापूजा को लेकर उत्साह चरम पर है़ गुरुवार को विभिन्न दुर्गा मंदिरों में देवी के पंचम स्वरूप की पूजा भक्तिभाव से की गयी. शुक्रवार को मां के कालरात्रि रूप की पूजा की जायेगी. मधेपुरा : जिले में दुर्गा मां के स्कन्दमाता स्वरूप […]
जिले में दुर्गापूजा को लेकर उत्साह चरम पर है़ गुरुवार को विभिन्न दुर्गा मंदिरों में देवी के पंचम स्वरूप की पूजा भक्तिभाव से की गयी. शुक्रवार को मां के कालरात्रि रूप की पूजा की जायेगी.
मधेपुरा : जिले में दुर्गा मां के स्कन्दमाता स्वरूप की पूजा के साथ ही पूजा पंडालों में पांचवें दिन की पूजा संपन्न हो गयी . वहीं पूजा के छठे दिन शुक्रवार को कालरात्रि स्वरूप माता की पूजा की जायेगी. हिंदू धर्म के इस महापर्व को लेकर जिले भर में मां का मंदिर सज धज कर तैयार हो रहा है़ भव्य व आकर्षक पंडाल बन कर तैयार हो गया है. विभिन्न जगहों के कलाकारों द्वारा माता के प्रतिमाओं को आकर्षक रूप दिया जा रहा है़ हरेक जगह माता का मंदिर श्रद्धालुओं से पट चुका है़ अष्टमी के मौके पर विभिन्न जगहों पर मेला प्रारंभ होगी. प्रशासन ने मेला में सुरक्षा व्यवस्था के चाक चौबंध व्यवस्था को लेकर तैयारी शुरू कर दी है़
जिले में सौहार्दपूर्ण माहौल कायम कर रहा बांग्ला स्कूल दुर्गा मंदिर
शहर के बांग्ला स्कूल दुर्गा मंदिर में हिंदू – मुसलमानों के सौहार्दपूर्ण दुर्गा पूजा मनाने की परंपरा है. जिले में बांग्ला स्कूल दुर्गा सौहार्दपूर्ण माहौल कायम कर रही है. बांग्ला स्कूल में सौ साल पहले से मां की आराधना हो रही है. पूजा समिति के कोषाध्यक्ष मो. इम्तियाज आलम बताते है कि बांग्ला स्कूल में इंद्रदील घोष के पूर्वजों ने मैया की पूजा अर्चना की शुरू की थी. यहां 1901 से माता की पूजा बांग्ला पद्धति से हो रही है. पूजा कमेटी के अध्यक्ष प्रमोद कुमार अग्रवाल, सचिव राय महेश्वर कुमार महेश, कार्यकारिणी सचिव त्रिदीप गांगुली, हीरा लाल एवं संगठन सचिव इंद्रदील घोषा बताते है कि 1901 में फूसनुमा घर में यहां माता की पूजा अर्चना शुरू की गयी थी. पूर्व में यहां बांग्ला स्कूल का संचालन होने से इसका नाम बांग्ला स्कूल दुर्गा मंदिर पंड़ा. इस वर्ष पूजा व पंडाल का बजट पांच लाख से अधिक का है.
सबके सहयोग से बना भव्य मंदिर.स्थापना काल से यहां बंगाली समाज के लोग पूजा अर्चना करत आ रहे है. इसके बाद बांग्ला स्कूल में सबके सहयोग से भव्य मंदिर का निर्माण किया गया. इस मंदिर की सबसे खास बात यह है कि पश्चिम बंगाल के कलाकार मो मुजफफर हसन के द्वारा माता के दरबार को आकर्षक रूप से सजाया जा रहा है. वहीं पश्चिम बंगाल के मूर्तिकार बिपलव दास माता की प्रतिमा को भव्य रूप दे रहे है. वर्षों पूर्व संचालित चितरंजन पुस्तकालय का भवन सवा सौ पूराने इतिहास का आज भी गवाह है.
मन्नतें पूरी होने पर भक्त चढ़ाते हैं चढ़ावा . शहर के पुरानी दुर्गा मंदिर में मन्नतें पूरी होने पर भक्त सोना,चांदी व सोने चांदी के आभूषण के अलावे अन्य चढावा चढाते है. मुख्य बाजार स्थित पुरानी दुर्गा मंदिर में प्रतिदिन हजारों की संख्या में भक्त माता के दरबार में हाजिरी लगाते है.
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