Bihar crime: पटना पुलिस ने इंटरनेशनल कॉल सेंटर खोलकर अमेरिकियों से ठगी करने वाले तीन शातिरों को गिरफ्तार किया है. तीनों फर्जी इंटरनेशनल कॉल सेंटर पाटलिपुत्र थाना क्षेत्र के एक अपार्टमेंट में चल रहा था और विदेशी नागरिकों से डॉलर में ठगी किया जता था. इस मामले का खुलासा रविवार को दीघा थाना कैंपस में सिटी एसपी सेंट्रल अम्बरीष राहुल ने की है. उन्होंने बताया कि पश्चिम बंगाल के कोलकाता और वीरभूम जिले के रहने वाले तीन शातिरों को गिरफ्तार किया गया है.
सिटी एसपी ने बताया कि आरोपियो कि पहचान मो. दानिश अरशद, आमिर सिद्दकी और सब्बीर अहमद शामिल हैं. गिरफ्तार आरोपितों में एक बीकॉम और बाकी के दो सीबीएससी के बड़े स्कूल के बारहवीं के छात्र हैं. पटना के पाटलिपुत्र थाना के तहत एक अपार्टमेंट के फ्लैट में इन लोगों ने एक कॉल सेंटर की तरह पूरा सिस्टम बना रखा था. इस गैंग का मेन सरगना पटना जिले के ही मनेर का रहने पाला पिंटू सिंह है.
दरअसल, बीते 17 सितंबर की सुबह 7 बजे के करीब दीघा थाना की पुलिस टीम पेट्रोलिंग पर थी. कुर्जी में एशियन हॉस्पिटल के पास तीनों शातिरों को संदिग्ध मानते हुए पकड़ा गया. उसी दौरान पुलिस ने एक शातिर के मोबाइल को चेक किया. तब उसमें कॉल सेंटर से जुड़े कुछ डिटेल्स दिखे. इसके बाद ही दीघा थाना लाया गया. थानेदार राजकुमार पांडेय और उनकी टीम ने पूछताछ शुरू की. फिर पूरा राज उगल दिया.
शातिर अपराधियों का अमेरिका में लोकल कनेक्शन है. इस आधार पर वहां के अलग-अलग बैंकों में अकाउंट्स हैं. जिसमें ठगी के रुपये मंगवाये जाते थे. दूसरा तरीका ये था कि कूरियर कंपनी फेडेक्स के जरिये बंद लिफाफे में कैश में रुपयों को अमेरिका के ही एक लोकल एड्रेस पर मंगवाया जाता था. इसके बाद वहां रह रहे साइबर शातिरों के साथी पटना के साइबर शातिरों को डॉलर से पैसा भेजते थे.
सिटी एसपी ने बताया कि ये सभी विदेशी नागरिकों के नाम पर अपना फर्जी पहचान पत्र और अकाउंट बनवा रखा था. जब पूछताछ में शातिरों ने पुलिस को ठगी करने का तरीका बताया तो, अधिकारी दंग रह गये. उन्होंने बताया कि रिंग सेंटर, स्काइप और टेक्स्ट नाउ जैसे एप्लिकेशन के जरिये शातिर पहले फर्जी डिटेल्स के साथ अपना अकाउंट बनाते थे. ये सभी अकाउंट सारे अकाउंट डेनियल, थॉमस, फ्रैंक और जॉन से बनाये जाते थे. इसके बाद शातिर दूसरे नाम से बने वेबसाइट पर पॉपअप लिंक्स अपलोड करते थे. जब कोई इन लिंक्स को क्लिक करता है तो फिर उसके सिस्टम पर मालवेयर या रैनसमवेयर डाउनलोड हो जाता है, जिससे पूरा सिस्टम स्लो हो जाता था.
इसके बाद रिंग सेंटर, स्काइप और टेक्स्ट नाउ के जरिये फर्जी नाम पर बनाये गये प्रोफाइल को बड़ी कंपनियों के कॉल सेंटर के नाम पर भेजा जाता था. उसमें नामी कंपनियों का होता है पर नंबर इन शातिरों के होते हैं. जब इनसे अमेरिका के लोग मदद मांगते हैं तो ये शातिर ऑनलाइन कॉल करते थे. इसके बाद उन से एनी डेस्क नाम के एप्लीकेशन को डाउनलोड करवा लेते हैं और ठगी करते थे.
पुलिस ने मामले का खुलासा करते हुए बताया कि अमेरिकी नागरिक जिसे थॉमस, फ्रैंक, जॉन को कंपनी का कर्मचारी समझते थे, असल वह पटना शहर में ठगी के कॉल सेंटर चलाने वाले शातिर को मैसेज भेजता था. इसके बाद ठग अमेरिकियों को ऑनलाइन कॉल कर के एनी डेस्क एप डाउनलोड करवाता था, जिसके बाद उनके सिस्टम का पूरा कंट्रोल इन शातिरों के पास होता है. फिर कंप्यूटर को ठीक कराने के नाम पर कई तरह के प्लान उनके सामने रखा जाता है. प्लान बेचने के दरम्यान ही ठगी होती है. रुपयों को अमेरिका के बैंक अकाउंट में ही ट्रांसफर कराया जाता है. फिर वहां से रुपये इंडिया भेजे जाते थे.
गिरफ्तार शातिरों की निशानदेही पर पहले कॉल सेंटर और फिर मनेर में पिंटू के घर पर छापेमारी हुई. पिंटू फिलहाल फरार है. पर उसके घर से छापेमारी में 10.50 लाख रुपये कैश मिले हैं. इसके साथ ही 1.79 लाख रुपये के ज्वेलरी खरीदने की रसीद मिली. जबकि, फ्लैट से 1 लैपटॉप, सीपीयू, 2 पेन ड्राइव, 3 कार्ड रीडर, 3 मेमोरी कार्ड, 3 मोबाइल, 2 बाइक, 7 बैंक अकाउंट के पासबुक और बैंक में जमा कराए गए 50 हजार रुपये का रसीद बरामद किया गया है. गिरफ्तार शातिरों के की मुलाकात पिंटू से कोलकाता में हुई थी. इसके बाद ही कमिशन पर इनकी डील तय हुई. फिर इन्हें पटना लाया गया. पूरा सिस्टम उपलब्ध कराया गया. जिसके बाद से ठगी का खेल चल रहा था. तीनों लड़के काफी पढ़े-लिखे हैं. अमेरिका के लोगों से अंग्रेजी में ही बात करते थे.