किऊल नदी में अस्थायी रास्ते को किया गया चालू
किऊल नदी में अस्थायी रास्ते को किया गया चालू
खगौर व वृंदावन के ग्रामीण तीन दिनों से अस्थायी रास्ते को बनाने का कर रहे थे कार्य
रेलवे पुल के समानांतर किऊल नदी में अस्थायी रास्ता चालू होने से लखीसराय व किऊल के अलावा चानन प्रखंड के लोगों को मिलेगी सुविधा
लखीसराय. लगभग चार महीने के बाद किऊल नदी में रेलवे पुल के समानांतर अस्थायी रास्ते का निर्माण कर आवागमन को चालू कर दिया गया. बुधवार को दिनभर के अथक प्रयास के बाद आखिरकार दोपहर बाद उक्त अस्थायी रास्ते को चालू कर दिये जाने से लोगों ने राहत की सांस ली. इस रास्ते के चालू हो जाने से लोगों को सदर प्रखंड के खगौर, वृंदावन सहित चानन प्रखंड के कई गांवों के लोगों को लखीसराय जिला मुख्यालय आवागमन में सुविधा मिल जायेगी. साथ ही लखीसराय से लोगों को किऊल जंक्शन पर ट्रेन पकड़ने के लिए आने जाने में भी सुविधा मिलेगी.बता दें कि किऊल नदी में रेलवे पुल के समानांतर अस्थायी रास्ते का निर्माण प्रत्येक वर्ष करना पड़ता है. सदर प्रखंड के खगौर व वृंदावन के समाजसेवियों व ग्रामीणों द्वारा इस कार्य को आगे बढ़कर करने से उनके अलावा चानन प्रखंड व लखीसराय वासियों को भी काफी सुविधा मिलती है. साल में लगभग चार महीने तक किऊल नदी में पानी ज्यादा रहने से यह रास्ता क्षतिग्रस्त हो जाता है. जिस वजह से पानी कम होने के बाद ग्रामीण इसके पुनर्निर्माण में जुट जाते हैं. मौके पर मौजूद समाजसेवी नवल मंडल व रविकांत यादव ने बताया कि विगत तीन दिनों से जेसीबी की मदद से स्थानीय समाजसेवी व ग्रामीण अस्थायी रास्ते व पुलिया को सही करने में लगे हुए थे. बुधवार की दोपहर बाद रास्ते को दुरुस्त कर आम लोगों के लिए खोल दिया गया है. विगत वर्ष नदी में कम पानी होने की वजह से दुर्गा पूजा तक अस्थाई कच्चा रास्ता सह पुलिया का निर्माण कर लिया गया था. इससे की लोगों को दुर्गा पूजा के मेला घूमने में काफी आसान हो गया था, लेकिन इस बार नदी में पानी होने की वजह से देर से कच्चा रास्ता सह पुलिया का निर्माण कराया जा रहा है. हालांकि छठ पर्व के पूर्व पुलिया निर्माण होने से छठ व्रतियों को राहत मिलेगी. उन्होंने बताया कि विगत कुछ माह पूर्व पास में ही प्रस्तावित पुल निर्माण का कार्य प्रारंभ किया गया है. पुल निर्माण कार्य में लगे लोगों ने बताया कि अगले वर्ष से उन लोगों को रास्ता बनाने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी, काम चलाऊ रास्ता बन जायेगा, हालांकि ग्रामीणों ने बताया कि पुल का पुर्ण निर्माण में दो से तीन वर्ष का समय लग सकता है.
बता दें कि आरसीसी पुल के नहीं होने से साल के लगभग चार महीने लोगों को आवागमन में कष्ट उठाना पड़ता है. हलके वाहनों को भी लगभग सात किलोमीटर की दूरी तय कर किऊल-लखीसराय के बीच आवागमन करना पड़ता है. हालांकि पैदल यात्री किसी तरह रेलवे पुल पर बने संकरे रास्ते से आवागमन कर लेते हैं लेकिन भारी सामान रहने पर उन्हें काफी परेशनियों का सामना करना पड़ता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है
