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अब तक नप ने कहीं भी नहीं बनाया रैन बसैरा

लखीसराय : दिन हो या रात शहर में रिक्शा चालक भाग-दौड़ करते दिख जाते हैं. जेठ की तेज धूप हो या पूस की सर्द रात रिक्शा चालक सवारी को उनकी मंजिल तक पहुंचाने में आनाकानी नहीं करते हैं. लेकिन दूसरों को मंजिल पहुंचाने वाले रिक्शा चालकों की खुद की जिंदगी समस्याओं में उलझ कर रह […]

लखीसराय : दिन हो या रात शहर में रिक्शा चालक भाग-दौड़ करते दिख जाते हैं. जेठ की तेज धूप हो या पूस की सर्द रात रिक्शा चालक सवारी को उनकी मंजिल तक पहुंचाने में आनाकानी नहीं करते हैं. लेकिन दूसरों को मंजिल पहुंचाने वाले रिक्शा चालकों की खुद की जिंदगी समस्याओं में उलझ कर रह गयी है.

नगर परिषद की उदासीनता के कारण शहर में जगह-जगह रिक्शा पड़ाव तक नहीं बनाये गये हैं, जहां दो रिक्शाचालक दो पल सकून के साथ बिता सकें. गरीबों के हितों की रक्षा का दंभ भरनेवाले राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता भी रिक्शा चालकों की समस्याओं को लेकर आवाज नहीं उठाते हैं. प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले में लगभग पांच सौ रिक्शा चालक हैं. जो रिक्शा चला कर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं. लेकिन इन रिक्शा चालकों को ना तो सरकारी योजनाओं का लाभ मिल पाता है व ना ही बुनियादी सुविधा.

शहर में लगभग एक दर्जन अस्थायी रिक्शा पड़ाव : नप के 33 वार्डों में विभक्त लखीसराय जिला मुख्यालय में लगभग एक दर्जन अस्थायी रिक्शा पड़ाव हैं. यह शहर के विद्यापीठ चौक, थाना चौक, शहीद द्वार के समीप, लखीसराय स्टेशन, पंजाबी मुहल्ला, पचना रोड, बाजार समिति, कोर्ट परिसर के पास बस स्टैंड व जमुई मोड़ आदि जगहों पर स्थित हैं. जहां ना कोई शेड है न ही चबूतरा. ऐसे में सर्द रात में रिक्शा चालक किसी तरह ठंड में कंपकंपाते हुए रात गुजारते हैं.

प्रशासन गंभीर नहीं

अपनी दयनीय स्थिति से प्रतिदिन दो-चार होनेवाले रिक्शा चालकों को सरकार व प्रशासन से बहुत शिकायत है. कई रिक्शा चालकों ने बताया कि रिक्शा चालकों को मनुष्य नहीं समझा जाता है. सुविधा की बात कौन कहे लोग अच्छा व्यवहार भी रिक्शा चालकों के साथ करें तो लगेगा कि हमें सब कुछ मिल गया. कोई भी सरकार आये रिक्शा चालकों के बारे में कोई नहीं सोचता. उन्होंने कहा कि कोई मजबूत संगठन नहीं होने के कारण जन प्रतिनिधि व नप प्रशासन उनकी मांगों को पूरा करने के प्रति संवेदनशील नहीं होती है.

रिक्शा चालकों का मुश्किल से होता है गुजारा

एक दौर था जब रिक्शा किफायती व सुलभ यात्रा का साधन माना जाता था. बदलते परिवेश में रिक्शा के भाड़े में भी वृद्धि हुई, बावजूद रिक्शा चालकों का इस भीषण महंगाई में मुश्किल से गुजारा होता है. आधुनिकता के इस दौर में जैसे-जैसे बड़े वाहनों के साथ ही दुपहिया वाहनों की संख्या बढ़ रही है. वैसे-वैसे रिक्शा चालकों की मांग कम होती जा रही है.

क्या कहते हैं अधिकारी

नप के कार्यपालक पदाधिकारी संतोष कुमार रजक ने बताया कि प्रशासन के द्वारा रिक्शा चालकों के लिये रैन बसेरा निर्माण के लिये अगली बैठक में चर्चा की जायेगी. रैन बसेरा निर्माण जल्द से जल्द करा कर रिक्शा चालकों को उपलब्ध करा दिया जायेगा.

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