Bihar Election 2025: व्यक्तिगत आरोप प्रत्यारोप में उलझा चुनाव, किशनगंज में गायब हुए जनता के असली मुद्दे

Bihar Election 2025: चुनावी माहौल में अब उम्मीदवार एक-दूसरे के प्रति आरोप-प्रत्यारोप का राग अलाप रहे हैं. कुल मिलाकर कहा जाए तो यहां चुनावी बिसात पर मुद्दे ओझल हो गए हैं और जुबानी जंग ही हथियार बन गए हैं.

By Ashish Jha | November 3, 2025 10:57 AM

Bihar Election 2025: किशनगंज. जिले के चार विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से 35 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं. कुछ प्रमुख राजनीतिक दलों का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, तो अधिकतर निर्दलीय एवं अन्य पार्टियों से हैं. चुनाव में सबको जीत चाहिए. खासकर प्रमुख दलों के प्रत्याशी, इसी प्रत्याशा में चुनाव लड़ रहे हैं कि बाजी वे ही मारेंगे. इसके लिए ये दिन-रात जनता से आशीर्वाद मांग रहे हैं, लेकिन हैरत की बात यह है कि जनता को यह भरोसा नहीं दे पा रहे हैं कि जनता अगर उन्हें जीत दिलाती है, तो वे जनता के लिए क्या करेंगे. यह स्थिति केवल नए प्रत्याशियों की नहीं, बल्कि पुराने और अनुभवी उम्मीदवारों की भी है.

Bihar Chunav: पुराने उम्मीदवारों में से तीन लग गये किनारे

जिन उम्मीदवारों ने पिछले पांच वर्षों तक जिले की जनता का प्रतिनिधित्व किया, उनमें से तीन तो इस बार टिकट नहीं मिलने के कारण मैदान से बाहर है. सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार, पलायन, उद्योग धंधे या उद्योग जैसे बुनियादी मुद्दों पर कोई स्पष्ट जवाब नहीं दिया जा रहा. इसके उलट चुनावी माहौल में अब केवल एक-दूसरे पर आरोप लगाने और पुराने मामलों को कुरेदने की राजनीति हावी है. उम्मीदवार एक-दूसरे के प्रति आरोप-प्रत्यारोप का राग अलाप रहे हैं. कुल मिलाकर कहा जाए तो यहां चुनावी बिसात पर मुद्दे ओझल हो गए हैं और जुबानी जंग ही हथियार बन गए हैं.

Bihar Chunav: सोशल प्लेटफार्म पर भी चल रही जुबानी जंग

प्रत्याशियों की यह जुबानी जंग इंटरनेट मीडिया पर सिर चढ़कर बोल रही है. इंटरनेट मीडिया और सोशल प्लेटफार्म चुनावी रैलियों और सभाओं से ज्यादा आरोप-प्रत्यारोप के वीडियो से भरे पड़े हैं. एक प्रत्याशी एक वीडियो में अपने प्रतिद्वंद्वी पर हमला करते हुए कहते हैं कि अगर वह जीत गया तो जनता की नहीं सुनेगा, अफसरशाही हावी हो जाएगी और जिले का विकास रुक जाएगा. वहीं दूसरे दल के उम्मीदवार पुराने मामलों को उछालते हुए अपने विरोधियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे हैं. वह अतीत में हुई कार्रवाइयों और विवादों को उठाकर एक अन्य प्रत्याशी के कारनामों का जिक्र कर रहे हैं.

Bihar Chunav: न किसी के पास विजन ना ही रोडमैप

एक और प्रत्याशी एक वीडियो में पिछले कार्यकाल में हुए कार्यों को दिखाते नजर आते हैं. इनसे अलग एक प्रमुख दल के प्रत्याशी अवश्य विकास की बात करते हैं, लेकिन उनकी बातें सामान्य और अस्पष्ट रहती हैं. वह किन विशिष्ट मुद्दों को लेकर चुनावी मैदान में हैं और उनकी जीत का रोडमैप क्या है, इसे स्पष्ट करने से वे बचते नजर आ रहे हैं. तीसरे दल के प्रत्याशी विकास की बातें तो कर रहे हैं, लेकिन यह स्पष्ट नहीं कर पा रहे कि उनके विकास की परिभाषा क्या है और वह किन ठोस योजनाओं के साथ मैदान में उतरे हैं. कहने का लब्बोलुआब यह कि मतदाताओं के बीच जाने, नुक्कड़ सभाओं और इंटरनेट मीडिया के मंचों पर मुख्य फोकस मुद्दों से हटकर व्यक्तिगत आरोपों पर केंद्रित हो गया है.

Bihar Chunav: हर दल के पास एजेंडों का अभाव

प्रचार के दौरान प्रत्याशियों के बीच विकास के विजन पर बहस होने की बजाय, एक-दूसरे की कमजोरियों को उजागर करने और पुरानी बातों को कुरेदने की होड़ मची हुई है. केवल छोटी सभाएं ही नहीं, बल्कि बड़े राजनीतिक दलों की सभाओं और रैलियों में भी यही बानगी देखने को मिल रही है. बड़े नेताओं के भाषणों में भी विकास के वादों से अधिक समय विपक्षी दलों पर हमला बोलने में व्यतीत हो रहा है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि एजेंडा और मुद्दों का अभाव कहीं न कहीं प्रत्याशियों की कमजोरी को दर्शाता है.अब इस परिस्थिति में मतदाताओं को यह तय करना है कि वे किसको अपना मत देते हैं.

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