मिली कुर्सी. 5 वर्ष बाद जमशेद फिर मैदान में लौटे
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जानकी ने दिलायी खोयी राजनीतिक प्रतिष्ठा
मिली कुर्सी. 5 वर्ष बाद जमशेद फिर मैदान में लौटे नप चुनाव के नवनिर्वाचित अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के समर्थकों में खुशी है. लोगों का मानना है कि जानकी ने जमशेद की खोयी प्रतिष्ठा वापस दिलायी है. किशनगंज : नगर परिषद अध्यक्ष पद पर शुक्रवार को जानकी देवी ने एक मत से जीत दर्ज कर जमशेद […]
नप चुनाव के नवनिर्वाचित अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के समर्थकों में खुशी है. लोगों का मानना है कि जानकी ने जमशेद की खोयी प्रतिष्ठा वापस दिलायी है.
किशनगंज : नगर परिषद अध्यक्ष पद पर शुक्रवार को जानकी देवी ने एक मत से जीत दर्ज कर जमशेद आलम की खोयी राजनीतिक विरासत को एक बार फिर नप में प्रति स्थापित करने में सफलता पायी है. गत नप अध्यक्ष चुनाव में पूर्व नप अध्यक्ष त्रिलोक चंद्र जैन की पत्नी आंची देवी जैन से जमेशद आलम की पत्नी बिलकिश फातिमा के पराजित होने के बाद जमशेद के नगर की राजनीति हासिए पर चली गयी थी.
जमशेद आलम ने इस बार अपने प्रतिद्वंद्वी त्रिलोक चंद्र जैन की राजनीतिक बाजीगरी को भी अचंभे में डाल दिया. त्रिलोक चंद्र जैन पार्षद से ही ऊपर तक की राजनीति में आगे बढ़े और अपने चहेते सहित पत्नी को नगर अध्यक्ष पद पर काबिज भी कराया. लगातार 15 वर्षों तक परोक्ष व अपरोक्ष रूप से नगर परिषद किशनगंज की सत्ता उनके इर्द-गिर्द घूमती रही. त्रिलोक चंद्र ने कई वसंत देखे तो जमशेद को पतझड़ों का भी सामना करना पड़ा.
वहीं जानकी देवी की इस जीत से नव निर्वाचित नप उप मुख्य पार्षद जमशेद का राजनीतिक वनवास वापस लौट आया है. नप अध्यक्ष पद आरक्षित होने के बाद श्री आलम ने महादलित परिवार की जानकी देवी पर भरोसा किया. राजनीतिक विरासत बचाने के लिए उन्होंने उप मुख्य पार्षद का चुनाव लड़ा और लॉटरी के जरिये सफलता पायी. इस जीत ने जमशेद की राजनीति को भी एक नई दिशा देने की नींव रखी. नप अध्यक्ष पद पर जानकी देवी को बैठा कर जमेशद ने अपने प्रतिद्वंद्वियों को उनके गढ़ में ही मात दे दी. सूरजापुर की राजनीतिक राजधानी कहे जाने वाले किशनगंज नगर की इस राजनीतिक करवट का दूरगामी परिणाम अभी से दिखने लगा है.
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