ग्रामीणों ने चंदा इकट्ठा कर मां कात्यायनी मंदिर को बचाने का लिया संकल्प
ग्रामीणों ने चंदा इकट्ठा कर मां कात्यायनी मंदिर को बचाने का लिया संकल्प
बागमती नदी के कटाव को रोकने के लिए ग्रामीणों ने किया निरोधात्मक कार्य शुरू
बागमती नदी का कटाव हुआ तेज, पांच फीट से भी कम बचा मंदिर कटने कोमामला उत्तर माड़र पंचायत के तीनगछिया गांव की] दर्जनों एकड़ जमीन समा चुका नदी में
खगड़िया. ग्रामीणों की उम्मीद से अधिकारियों से टूट चुका है. अब ग्रामीण स्वयं कटाव निरोधी कार्य में जुट गए हैं. सदर प्रखंड के उत्तर माड़र, रसौंक, माड़र उत्तरी पंचायत के ग्रामीणों ने चंदा इकट्ठा कर प्राचीन धरोहर मां कात्यायनी मंदिर यानी माइजी थान को कटाव से बचाने के लिए संकल्प ले लिया है. कटाव निरोधी कार्य तीव्र गति से शुरू कर दिया है. इधर, जिला परिषद सदस्य प्रतिनिधि सुनील चौरसिया ने जिलाधिकारी नवीन कुमार को आवेदन देकर कहा कि बदला-करांची तटबंध के 38.40 किलोमीटर के सामने प्राचीन मां कात्यायनी मंदिर बागमती नदी के दांए उत्तर माड़र में स्थापित है. जिला परिषद सदस्य प्रतिनिधि ने कहा कि बागमती नदी के घटते जलस्तर के दौरान मंदिर परिसर का अधिकांश भाग नदी में समाहित हो गया है. इस मंदिर से लाखों श्रद्धालुओं की आस्था जुड़ी है. कहा कि इस मंदिर में प्रत्येक सप्ताह के सोमवार व शुक्रवार को हजारों पशुपालक द्वारा मां कात्यायनी को दूध चढ़ाने व दही-चूड़ा लेकर ब्राह्मण को जमाने आते हैं. मंदिर के कटाव से आस-पास के लाखों श्रद्धालु मर्माहत हैं. उन्होंने कहा कि अविलंब कटाव निरोधक कार्य कराकर प्राचीन धरोहर मां कात्यायनी मंदिर को बचाया जाय.अधिकारियों से टूट चुका है उम्मीद, चंदा इकट्ठा कर बचाव कार्य में जुटे ग्रामीण
ग्रामीण सुबोध यादव,अरविंद यादव, डॉ सुमन कुमार, संजय ठाकुर, राम साह, राजेंद्र शर्मा, राजीव शर्मा, बीशो चौधरी, रणजीत, संजीत, सोहिल उद्दीन, कारे चौधरी, प्रकाश साह, कर्मवीर, अजय बबलू, गंगा चौधरी आदि ने बताया कि बीते 15 दिनों से बागमती नदी में कटाव हो रहा है. बाढ़ प्रमंडल के जेई व एसडीओ को आवेदन देकर शिकायत की गयी. लेकिन, सिर्फ स्थलीय जांच कर खानापूर्ति की गयी. सोमवार को गाव-गांव व घर-घर लोगों से चंदा इकट्ठा किया. चंदा के रूपये से रस्सी, बांस व अन्य सामग्री की खरीदारी की गयी. दोपहर में दर्जनों लोगों ने रस्सी व बांस से नदी की धारा को मोड़ने का प्रयास किया. बताया कि मंगलवार को ग्रामीणों की बैठक होगी. बैठक में सर्वसम्मति से बचाव कटाव के लिए ठोस निर्णय लिया जायेगा.
150 एकड़ खेती की उपजाऊ जमीन समा चुका बागमती नदी में
सदर प्रखंड के उत्तर माड़र पंचायत के तीनगछिया गांव स्थित बड़ी मां कत्यायनी मंदिर कभी भी बागमती नदी में समा सकता है. अब पांच फीट से भी कम जमीन मंदिर कटने के लिए बचा है. ग्रामीणों ने बताया कि किसानों का 150 एकड़ से अधिक जमीन नदी में समा चुका है. मंदिर परिसर का अधिकांश भाग नदी में समा चुका है. अब मात्र पांच फीट से भी कम दूरी बचा है. कभी भी मंदिर नदी में समा जायेगा. ग्रामीणों ने बताया कि 15 दिनों से नदी की धार का कटाव तेज हो गया है. बागमती नदी में कटाव की जानकारी अधिकारी को दी गयी. लेकिन, अधिकारी स्थलीय निरीक्षण कर शांत हो गए हैं. जिला प्रशासन की तरफ से कटाव निरोधी कार्य में कोई दिलचस्पी नहीं है.नदी की गोद में बसा है मां कात्यायनी मंदिर
बताया जाता है कि मां कात्यायनी मंदिर नदी की गोद में स्थित है. बागमती नदी के किनारे दो सौ वर्ष पूर्व इस मंदिर की स्थापना की गयी थी. सुदूर बहियार में स्थित इस मंदिर तक जाने के लिए आबतक एप्रोच पथ नहीं है. श्रद्धालुओं को मंदिर तक पहुंचने में काफी परेशानी होती है. लोगों को बागमती नदी की उपधारा नाव से पार करना होता है. उसके बाद पैदल मंदिर तक जाना होता है. हालांकि मंदिर के आस पास सोहरी व तीनगछिया गांव है. जहां सैकड़ों परिवार बसते हैं.
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