18 लाख आबादी, नियमित डॉक्टर मात्र 29 चिकित्सकों का टोटा, मरीज परेशानफोटो 18 मेंकैप्सन: सदर अस्पताल प्रतिनिधि, खगड़ियास्वास्थ्य व्यवस्था के नाम पर सरकार द्वारा प्रतिवर्ष भले ही करोड़ों रुपये खर्च किये जा रहे हैं, लेकिन मरीजों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है. इलाज के नाम पर जिले के सदर अस्पताल, अनुमंडल अस्पताल गोगरी व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तथा अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर खानापूर्ति की जा रही है. सदर अस्पताल तथा अनुमंडल अस्पताल में चिकित्सक का अभाव है. पर, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सक पदस्थापित हैं. सदर अस्पताल में सर्जन तथा महिला चिकित्सक का अभाव है. इलाज के नाम पर अधिकतर मरीजों को रेफर किये जाने की परंपरा सदर अस्पताल में बनी हुई है. जिले में कितने हैं चिकित्सक जिले की आबादी लगभग 18 लाख है, लेकिन नियमित चिकित्सकों की संख्या मात्र 29 है. हालांकि चिकित्सकों की कमी को पाटने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा संविदा के आधार पर चिकित्सकों को नियोजित किया गया है. नियोजित चिकित्सकों पर ही जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था टिकी हुई है. उल्लेखनीय है कि नियमित चिकित्सक के 102 रिक्त पदों के विरुद्ध जिले में मात्र 29 चिकित्सक हैं. स्वास्थ्य विभाग द्वारा सरकार के संयुक्त सचिव को पत्र लिख कर सूचना भी दी गयी है, लेकिन चिकित्सक को स्वास्थ्य विभाग द्वारा नियुक्त नहीं किया गया है. नहीं रहना चाहते हैं चिकित्सक स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था को देख जिले में चिकित्सक ड्यूटी नहीं करना चाहते हैं. संविदा पर बहाल चिकित्सक डॉ राजेश कुमार एक वर्ष पूर्व सदर अस्पताल में ड्यूटी करना छोड़ दिये हैं. सर्जन डॉ प्रेम, डॉ पवन कुमार, सदर अस्पताल में ड्यूटी करना छोड़ दिये हैं.मरीज को जाना पड़ता है बाहर जिले के सदर अस्पताल व अनुमंडल अस्पताल में एक भी सिजेरीयन ऑपरेशन नहीं होता है. इतना ही नहीं हाइड्रोसिल, हारनिया, एपेनडिक्स तथा वेस्कोटॉमी जैसे मामूली ऑपरेशन भी अस्पताल में नहीं हो रहे हैं. सिर्फ बंध्याकरण ऑपरेशन के लिए अस्पताल में भीड़ लगी रहती है. उपकरण का भी है अभाव सदर अस्पताल व अनुमंडल अस्पताल तक में चिकित्सीय उपकरण का अभाव रहता है. इसके कारण मरीजों को समुचित इलाज नहीं हो पाता है. पूर्व में लाखों रुपये मूल्य से खरीदा गया डेंटल चेयर बेकार पड़ा हुआ है. गुणवत्ता विहीन डेंटल चेयर रहने के कारण मरीजों को उसका लाभ नहीं मिल रहा है. इतना ही नहीं नेत्र विभाग, डेंटल विभाग, अस्थि विभाग में समुचित चिकित्सीय उपकरण उपलब्ध नहीं हैं. दवा का अभाव जिले के सभी अस्पतालों में दवा का अभाव रहता है. ओपीडी में 33 दवा के बदले मात्र 20 से 22 दवा ही उपलब्ध रहती है, जबकि इनडोर में 127 के बदले मात्र 50 से 60 दवा उपलब्ध रहती है. इनमें से अधिकांश दवा का उपयोग साल में यदा-कदा ही होता है. नियमित उपयोग होनी वाली दवा का अभाव देखा जा रहा है. सभी पीएचसी को दी गयी राशिजिले के सभी पीएचसी को दवा उपलब्ध कराने के लिये एक-एक लाख रुपये आवंटित किये गये हैं, ताकि पीएचसी में दवा का अभाव नहीं हो. अब तक सदर अस्पताल में दवा की उपलब्धता के लिए लगभग दस लाख रुपये खर्च किये जा चुके हैं. कहते हैं सीएस सीएस डॉ रास बिहारी सिंह ने बताया कि चिकित्सक की कमी है. दिसंबर से पहले चिकित्सक के आने की संभावना नहीं है. अब संविदा आधारित चिकित्सकों की स्थायी नियुक्ति की जा रही है. उसके बाद ही उम्मीद की जा सकती है कि जिले में पर्याप्त चिकित्सक उपलब्ध होंगे.
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18 लाख आबादी, नियमित डॉक्टर मात्र 29
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