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एसआरएम में परिजनों का हंगामा

आक्रोश. अस्पताल को बताया लूट-खसोट का अड्डा, बिचौलियागिरी हावी एसआरएम अस्पताल आये दिन अपनी कारगुजारियों को लेकर चर्चा में रहता है. सोमवार को एक बार िफर अस्पताल में यहां भरती मरीज के परिजनों ने हंगामा किया. कटिहार : शहर के डीएस कॉलेज नहर के पास अवस्थित एसआरएम अस्पताल में मरीज के परिजनों ने एक बार […]

आक्रोश. अस्पताल को बताया लूट-खसोट का अड्डा, बिचौलियागिरी हावी

एसआरएम अस्पताल आये दिन अपनी कारगुजारियों को लेकर चर्चा में रहता है. सोमवार को एक बार िफर अस्पताल में यहां भरती मरीज के परिजनों ने हंगामा किया.
कटिहार : शहर के डीएस कॉलेज नहर के पास अवस्थित एसआरएम अस्पताल में मरीज के परिजनों ने एक बार फिर सोमवार को जम कर हंगामा किया. परिजनों ने एसआरएम अस्पताल को लूट-खसोट का अड्डा बताते हुए घंटों हंगामा किया. घटना की जानकारी मिलते ही नगर थानाध्यक्ष दलबल के साथ एसआरएम अस्पताल पहुंचे तथा लोगों को समझा-बुझाकार मामला शांत कराया. आक्रोशित लोगों ने लूट खसोट का अड्डा बताते हुए अस्पताल प्रबंधक पर बिचौलियागिरी करने का भी आरोप लगाया. परिजनों ने कहा कि मरीज मरें या जियें इससे प्रबंधन को कुछ लेना-देना नहीं. बस उसे उसका बिल मिलते रहना चाहिए.
अगर इस बीच आप चिकित्सक या प्रबंधक की बात की अनसुनी करते हैं, तो आपकी खैर नहीं है. एसआरएम अस्पताल को खुले अभी कुछ महीने ही बीते हैं कि कई बार अस्पताल परिसर में हंगामा हो चुका है. अस्पताल का उद्घाटन राज्यपाल रामनाथ कोविंद ने की थी. इसमें गरीबों की मुफ्त इलाज की बात कही गयी थी. लेकिन वह महज एक घोषणा ही रह गयी. यहां बताते चलें कि यह अस्पताल कई बार अपनी करतूतों की वजह से चर्चा में रहा है.
यहां हालिया घटना हुए अभी एक महीना भी नहीं बीता है. यहां मरीज की मौत के बाद प्रबंधक शव को कस्टडी में रख कर राशि लेने के बाद ही शव परिजनों के सुपुर्द करते हैं. इतना ही नहीं एक ताजा घटना के अनुसार मरीज के परिजनों को बिना सूचित किये ही उसे एंबुलेंस से कहीं और लेकर अस्पताल प्रबंधन जा रहा था. इस बीच मरीज के परिजनों की नजर पड़ जाने के बाद बात आगे बढ़ी थी और परिजनों ने जम कर हंगामा किया था.
जानकारी के अनुसार डीएस कॉलेज समीप स्थित एसआरएम अस्पताल में नंद किशोर यादव ने अपनी पुत्री को सांस व गले में समस्या को लेकर उसे एक अप्रैल को एसआरएम अस्पताल में भरती कराया था. अस्पताल प्रबंधक ने नंदकिशोर की पुत्री चंदा को आइसीयू में भरती कर लिया, लेकिन तीन दिनों के अंदर मरीज की हालत में सुधार नहीं हुआ. जबकि अस्पताल प्रबंधन की ओर से उसके परिजन को बिल मिलता रहता. तीन दिनों में परिजनों ने अस्पताल को 20 हजार रुपये का भुगतान कर दिया.
बार-बार चिकित्सक व प्रबंधक परिजन को मरीज की हालत में जल्द सुधार हो जाने की बात कहते थे. इस पर नंदकिशोर ने पुत्री की बीमारी के बारे में पूछा. कहा मरीज ठीक नहीं हो रही, तो उसे रेफर कर दें. लेकिन चिकित्सक व प्रबंधक ने उसकी एक न सुनी और तीन दिन में तीस हजार से अधिक का बिल नंदकिशोर को दे दिया. इधर, मरीज की हालत में किसी प्रकार का सुधार भी नहीं दिख रहा था. रेफर की बात किये जाने पर प्रबंधक परिजन को मरीज के गंभीर होने की बात कह डालते. इस बात को लेकर नंदकिशोर व अस्पताल प्रबंधक अनामिका के बीच बहस हो गयी. इसके बाद परिजनों ने जम कर हंगामा किया.
शंभु को सिलीगुड़ी कराया रेफर तो बच सकी जान
शहर के दौलतराम चौक निवासी मृत्युंजय भगत ने शंभू प्रसाद भगत को सीने में कफ को लेकर एसआरएम अस्पताल में भरती कराया था. मरीज के परिजन ने बताया कि मात्र दो घंटे में 15 हजार रुपये का बिल भुगतान कराया तथा अपने मरीज की स्थिति में सुधार नहीं होते देख प्रबंधक पर दबाव बनाकर रेफर कराया. मरीज के परिजन मृत्युंजय उसे सिलीगुड़ी लेकर गये,
जहां चिकित्सक ने मरीज के अटेंडेंट को गलत इलाज होने की बात कही. हंगामा की बात सुनकर मृत्युंजय भी एसआरएम अस्पताल पहुंचे तथा एसआरएम में लूट-खसोट सहित बिचौलियागिरी किये जाने का भी आरोप लगाया. मृत्युंजय ने कहा कि इस नर्सिंग होम में मरीज को भरती तो ले लिया जाता है, लेकिन मरीज की बीमारी के अनुसार चिकित्सक नहीं रहने पर मरीज का इलाज बाहर करवाते हैं. इसमें अच्छी-खासी कमीशन साथ ही आइसीयू के नाम पर मोटी रकम एसआरएम अस्पताल मरीज के परिजन से लेता है.
10 जनवरी को हफलागंज की सुमित्रा देवी को एसआरएम अस्पताल में भरती कराया गया था. इलाज के क्रम में महिला की मौत हो गयी थी. परिजनों ने आरोप लगाया था कि बीपीएल कार्डधारी होने के बावजूद उससे आइसीयू चार्ज लिया गया और प्रबंधक ने महिला की मौत के बाद 25 हजार रुपये की मांग की थी. जब परिजनों ने शव मांगा तो उसके शव को घंटों अस्पताल प्रबंधक ने यह कहकर कस्टडी में रखा कि जबतक अस्पताल का बकाये का भुगतान नहीं होगा शव नहीं दिया जायेगा.
24 मार्च को मुकेश्वर मंडल समेली प्रखंड के छोहार निवासी को इलाज के लिए भरती कराया गया था. इस दौरान अस्पताल प्रबंधन ने 33 हजार रुपया इलाज के नाम पर भी लिया, लेकिन मरीज को बगैर बताये ही दूसरी जगह इलाज कराने ले जा रहे थे. इस घटना में भी मरीज के परिजनों ने जमकर हो हंगामा किया था.

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