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गंगा पार करने में छूटते हैं पसीने
कटिहार : मनिहारी-साहेबगंज गंगा घाट के बीच चलने वाले स्टीमर में यात्रियों को भेड़ बकरी की तरह ढोया जा रहा है. स्टीमर लंच में क्षमता से अधिक यात्रियों को बैठाने की वजह से हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. इस ओर जिला प्रशासन व परिवहन विभाग का कोई ध्यान नहीं है. गौरतलब हो कि […]
कटिहार : मनिहारी-साहेबगंज गंगा घाट के बीच चलने वाले स्टीमर में यात्रियों को भेड़ बकरी की तरह ढोया जा रहा है. स्टीमर लंच में क्षमता से अधिक यात्रियों को बैठाने की वजह से हमेशा दुर्घटना की आशंका बनी रहती है. इस ओर जिला प्रशासन व परिवहन विभाग का कोई ध्यान नहीं है.
गौरतलब हो कि झारखंड से बिहार आने-जाने का एक मात्र साधन कटिहार जिला से स्टीमर लंच है. जिससे बड़ी संख्या में रोजाना लोगों का आना जाना होता है. अभी गंगा नदी में पानी कम होने की वजह से स्टीमर लंच के परिचालन में थोड़ी परेशानी भी हो रही है.
यात्रियों के लिए नहीं है कोई सुविधा
स्टीमर लंच से यात्रियों का बड़े पैमाने पर प्रतिदिन आवागमन होता है. इसके लिए यात्रियों से प्रति यात्री 32 रुपये का किराया लिया जाता है. इसके बावजूद यात्रियों को किसी तरह की सुविधा उपलब्ध नहीं करायी जाती है. यात्रियों जानवरों की तरह बैठ कर यात्र करते हैं. उन्हें स्टीमर में फर्श पर ही बैठकर आना जाना पड़ता है. दो घंटे से अधिक समय स्टीमर को गंगा पार करने में लगता है. ऐसे में खासकर महिलाओं एवं बच्चों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. स्टीमर लंच पर पेयजल तक की व्यवस्था नहीं है. ऐसे में प्यास लगने पर लोगों को अपनी प्यास बुझाने के लिए बंद बोतल युक्त पानी महंगे दामों पर खरीदकर प्यास बुझाते हैं. स्टीमर पर यात्रियों के लिए शौचालय की व्यवस्था नहीं है.
जैसे-तैसे बैठते हैं यात्री
गंगा पार होने के लिए यात्रियों को कितनी परेशानियों का सामना करना पड़ता है यह तो एक बार स्टीमर लंच की सवारी करने के बाद ही पता चलता है. यात्रियों के बीच ट्रक सहित दूसरे चार चक्के व दो पहिया वाहनों को भी लोड किया जाता है. उसी के बीच यात्री अपनी जान जोखिम में डालकर बैठने को विवश होते हैं.
घाट पर भी सुविधा नदारत
स्टीमर लंच पर सवारी करने वाले लोगों को मनिहारी व साहेबगंज गंगा घाट पर घंटों इंतजार भी करना पड़ता है. गंगा घाट पर यात्री सुविधा की कमी होने से लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. स्थिति यह है कि वहां न ही यात्रियों को बैठने की कोई व्यवस्था है न ही पेयजल व शौचालय की. ऐसे में यात्रियों को परेशानी होती है. खासकर बरसात व धूप के समय में गंगा घाट पर शेड नहीं होने से और परेशानी बढ़ जाती है. जबकि साहेबगंज व मनिहारी जिला प्रशासन को प्रति वर्ष लाखों रुपये राजस्व की प्राप्ति होती है.
लाखों की कमाई
स्टीमर का परिचालन करने वाले को प्रतिमाह लाखों रुपये का फायदा होता है. ज्ञात हो कि मनिहारी व साहेबगंज गंगा के बीच दो स्टीमर लंच का परिचालन होता है. एक स्टीमर पर प्रति खेप दस हजार रुपये से अधिक का राजस्व प्राप्त होता है. चार से पांच खेप एक स्टीमर लगाता है. ऐसे में दोनों को मिलाकर एक लाख रुपये के लगभग यात्री व समान ढोने से प्राप्त होता है.
हादसे से बचाव के लिए नहीं है कोई उपाय
भगवान न करें लेकिन यदि स्टीमर में बीच गंगा में जाकर कोई तकनीकी गड़बड़ी होती है और कोई हादसा होता है तो बचाव के लिए कोई उपकरण स्टीमर में नहीं होता है. मसलन पानी में तैरने वाले उपकरण वहां प्र्याप्त संख्या में नहीं है. स्टीमर लंच पर कम से कम एक साथ तीन सौ यात्री सवारी करते हैं. इतने लोगों के बचाव के कोई उपकरण लंच पर नहीं है. ऐसे में कभी भी कोई अप्रिय घटना से इंकार नहीं किया जा सकता है.
कहते हैं अधिकारी
इस संबंध में जिला परिवहन पदाधिकारी मुर्शीद आलम ने कहा कि मनिहारी-साहेबगंज के बीच गंगा नदी पर स्टीमर लंच का परिचालन में खामी की उन्हें जानकारी नहीं है. इसका परिचालन कैसे हो रहा है. इस संबंध में पता लगाकर ही कुछ कहा जा सकता है. यदि कहीं कोई गड़बड़ी है, तो कार्रवाई की जायेगी.
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