योजना . देशी गायों को खास पहचान मुहैया कराने के लिए बनेंगे हेल्थ कार्ड
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दुधारू पशुओं के भी बनेंगे आधार कार्ड
योजना . देशी गायों को खास पहचान मुहैया कराने के लिए बनेंगे हेल्थ कार्ड पांच साल यानी 2020 तक किसानों की आय दोगुना करना सरकार की प्राथमिकता है. यह तब संभव होगा, जब देश में दूध का उत्पादन बढ़ेगा. केंद्र सरकार एक साफ्टवेयर लांच कर रही है. इसे इ-पशु हाट से जोड़ा जायेगा. जहानाबाद : […]
पांच साल यानी 2020 तक किसानों की आय दोगुना करना सरकार की प्राथमिकता है. यह तब संभव होगा, जब देश में दूध का उत्पादन बढ़ेगा. केंद्र सरकार एक साफ्टवेयर लांच कर रही है. इसे इ-पशु हाट से जोड़ा जायेगा.
जहानाबाद : अब दुधारू पशुओं (गाय, भैंस, बकरी) के भी आधार जैसे पहचान पत्र बनेंगे. गाय-भैंस के कान के पीछे धातु का छोटा-सा टैग या बिल्ला लगाया जायेगा. इसमें राज्य का कोड और मवेशी की पहचान संख्या होगी. मवेशी की नस्ल, प्रजनन की जानकारी एक कार्ड में तैयार होगी. इसकी एक कॉपी पशुपालक के पास होगी, दूसरी मैदानी सरकारी अमले के पास होगी. पशुधन का पहचान कार्ड बनेगा. इसे पशु के गले पर टैग लगाया जायेगा.
योजना से बेहतर नस्ल को आगे बढ़ाया जा सकेगा. पशुधन उत्पादन बढ़ाने के लिए उचित खान-पान दिया जा सकेगा. दरअसल, मवेशियों को पहचानपत्र मुहैया करने का मकसद प्रदेश सहित देश में दूध उत्पादन बढ़ाना है.
ऐसे होगा अमल : स्वास्थ्य पत्र से मवेशी चिकित्सकों को मवेशियों के स्वास्थ्य परीक्षण से अधिक आसानी होगी. दुधारू पशुओं के पहचानपत्र और स्वास्थ्य पत्र राज्य सरकार की मदद से लागू किये जायेंगे. देशी गायों की जितनी नस्लें हैं उनमें 70 प्रतिशत छोटे और गरीब किसानों के पास हैं. इन सबका पहचानपत्र यानी आधार कार्ड बनेगा. इसमें पशु से संबंधित सभी जानकारी मुहैया होगी. उच्च गुणवत्ता वाली नस्ल विकसित करने की दिशा में काम करेंगे.
इससे छोटे और गरीब किसानों की आय भी बढ़ेगी, जो ज्यादातर देशी गाय पालते हैं. देशी गायों को खास पहचान मुहैया करने के साथ ही उनका हेल्थ कार्ड भी तैयार किया जायेगा. दूध उत्पादन, किसी पूर्व बीमारी से ग्रसित रहने सहित सामान्य स्वास्थ्य जानकारियां शामिल होंगी.
इसलिये पड़ी पहचानपत्र की जरूरत : पशु चिकित्सा विभाग के अफसरों के मुताबिक पिछले कुछ दिनों पहले गुजरात के जूनागढ़ की एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के बायोटेक्नोलाॅजी डिपार्टमेंट की फूड टेरिटग लेबोरेटरी ने दावा किया था कि गायों के मूत्र में सोना होता है. एक लीटर गोमूत्र में 10 से 30 मिलीग्राम सोना होता है. रिसर्च में पाया गया कि एक लीटर गोमूत्र में 10-30 मिलीग्राम सोना, दो मिलीग्राम चांदी, 0.5 मिग्रा जस्ता और 1.2 मिग्रा बोरॉन भी होता है. इनके अलावा अन्य 5100 रसायनों की भी पहचान की गी, जिनमें एंटी कैंसर, एंटी कोलेस्ट्रॉल, एंटी डायबिटीज, एंटी एंजिंग के गुण वाले रसायन भी शामिल हैं.
स्थानीय नस्ल को देंगे बढ़ावा
उच्च आनुवांशिक एवं उत्पादन देनेवाले पशुओं का डाटाबेस एकत्रित करेंगे. देसी गोवंश को प्रोत्साहित करने के लिए गोपाल पुरस्कार योजना में 1459 पुशपालकों को पुरस्कृत करेंगे. वत्स पालन प्रोत्साहन योजना में 2024-25 तक 50 हजार हितग्राहियों को लाभ देंगे.
पांच सालों में िकसानों की आय दुगुनी करने के िलए की जा रही पहल
किसानों को यह फायदा
पशुपालक या किसानों को उनके दुधारू मवेशियों की अलग पहचान मिलेगी. जल्द पशुओं को उपचार मिल सकेगा. दूध उत्पादन में यदि गिरावट आती है, तो डाटाबेस के आधार पर डाइट बढ़ा कर दूध उत्पादन बढ़ाया जा सकता है. विशेषज्ञ डॉ नीरज कुमुद ने बताया नयी व्यवस्था से किसानों को क्वालिटी वाले दुधारू पशु मिलेंगे. प्रति पशु दूध उत्पादकता दो लीटर से पांच लीटर करनी है.
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