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खर्च 1.62 करोड़, उपयोगिता जीरो

लापरवाही. शहर से गुजरे एनएच 83 पर रहता है अंधेरा रखरखाव के अभाव में बेकार पड़ी हैं एलइडी लाइटें जहानाबाद : शहर से गुजरे एनएच 83 पर अंधेरा कायम रहता है. बड़े ही तामझाम के साथ लगायी गयी एलइडी लाइटें अब रोशनी नहीं देती. सड़क के दोनों किनारे लाइट के खंभे शोभा की वस्तु बनी […]

लापरवाही. शहर से गुजरे एनएच 83 पर रहता है अंधेरा

रखरखाव के अभाव में बेकार पड़ी हैं
एलइडी लाइटें
जहानाबाद : शहर से गुजरे एनएच 83 पर अंधेरा कायम रहता है. बड़े ही तामझाम के साथ लगायी गयी एलइडी लाइटें अब रोशनी नहीं देती. सड़क के दोनों किनारे लाइट के खंभे शोभा की वस्तु बनी है. शहर का सौंदर्यीकरण पूरी तरह बेमानी साबित हो रहा है. तकरीबन 1.62 करोड़ रुपये की लागत से एलइडी लाइटें लगायी गयी थी. कुछ महीने तक उसकी रोशनी से शहर का प्रमुख मार्ग जगमग रहा. लेकिन धीरे-धीरे एक-एक कर लाइटें खराब हो गयी. एक साल के भीतर तो स्थिति ऐसी हो गयी कि लगभग सभी लाइटों ने अपना वजूद खो दिया.
फिलहाल एक पखवारे से सड़क के दोनों किनारे लगायी गयी एक भी लाइटें नहीं जलती. ऐसी हालत में सड़क पर अंधेरा पसरा रहता है. शाम होते ही दुकानों में जलने वाले बल्ब की हल्की रोशनी के सहारे लोग सड़क पर आवागमन करते हैं. शहरवासियों के बीच चर्चा होने लगी है कि गुणवत्ता की कमी और रखरखाव नहीं किये जाने से सरकार के डेढ़ करोड़ से अधिक रुपये व्यर्थ साबित हो रहे हैं. इसकी जांच होनी चाहिए.
काको मोड़ से अरवल मोड़ तक नहीं जलती एक भी लाइट
लगायी गयी थीं 125 लाइटें
सौंदर्यीकरण के नाम पर डीएम आवास से लेकर काको मोड़, ऊंटा मोड़,फिदा हुसैन मोड़ और अरवल मोड़ से उतर तक 125 एलइडी लाइटें लगायी थी. वुडको को लाइट लगाने की जिम्मेवारी मिली थी. एक लाइट की कीमत करीब 85 हजार रुपये थी. इस मद में तकरीबन 1.62 करोड़ रुपये व्यय किये गये थे. तीन साल तक इन लाइटों से पर्याप्त रोशनी बिखरने की जिम्मेवारी लाइट लगाने वाली वुडको कंपनी की है लेकिन वुडको अपनी जिम्मेवारियों का निर्वहन करने में लापरवाह साबित हो रहा है. लाइट लगाने के तीन-चार माह बाद से हीं लाइटें खराब होनी शुरू हो गयी थी. बीच-बीच में नगर परिषद के द्वारा लाइटों को दुरुस्त किया जाता था लेकिन नगर निकाय का चुनाव शुरू होने के पूर्व से ही नगर परिषद का ध्यान इस ओर नहीं है. बताया जाता है कि लाइटों की निगरानी का जिम्मा नगर परिषद की है. फिलहाल सभी लाइटें खराब है इस ओर किसी का भी ध्यान नहीं है. जिले के आला अधिकारियों की गाड़ियां प्रतिदिन एनएच 83 से गुजरती है पर किन्ही का ध्यान बेकार पड़ी लाइटों को दुरुस्त कराने की दिशा में नहीं है.
दरधा पुल से बतीस बंभरिया तक भी नहीं जलती हैं लाइटें
शहर को दो भागों में विभक्त करने वाली दरधा नदी के दक्षिण भी लाइटों की हालत ठीक नहीं है. दरधा पुल से लगातार बतीस बंभरिया तक लाखो रुपये की लागत से एलइडी लाइटें लगायी गयी थी. ताकि रोशनी रहने से लोगों को आवागमन में सहूलियत हो सके. लेकिन इसके लाभ से लोग वंचित हैं. अंधेरा रहने के कारण सूर्यास्त होते ही आवागमन में लोग भय महसूस करते हैं. मुख्य सड़क के अलावा गलियों में भी कई लाइटें खराब होकर बेकार पड़ी है. शहर के गांधी मैदान और नया टोला मुहल्ला में खराब लाइटों को दुरुस्त करने की कोई कार्रवाई नहीं होने से लोगो में व्यवस्था के प्रति क्षोभ व्याप्त है.

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