Greater Patna Plan: बड़ा फैसला! पटना–सोनपुर में बनेगा नया ग्रेटर पटना, जानें किन 11 शहरों को मिल सकती है सेटेलाइट सिटी की सौगात
Greater Patna Plan: बिहार की राजधानी पटना अब सीमित दायरे से बाहर निकलने को तैयार है. आज राज्य सरकार एक बड़े बदलाव पर मुहर लगा सकती है, ग्रेटर पटना प्लान, जिसके तहत पटना–सोनपुर बेल्ट में नया शहर बसाने और आसपास के 11 शहरों को सेटेलाइट सिटी का दर्जा देने की संभावना है.
Greater Patna Plan: बिहार में नई सरकार के गठन के साथ ही शहरी विकास की रफ्तार पकड़ने जा रही है. मंगलवार को होने वाली कैबिनेट बैठक में वह फैसला हो सकता है, जिसका इंतजार कई वर्षों से किया जा रहा है. पटना–सोनपुर की जमीन पर बनने वाली ‘ग्रेटर पटना’ ग्रीनफील्ड टाउनशिप इस बदलाव की सबसे बड़ी शुरुआत होगी. दिल्ली–एनसीआर की तर्ज पर बिहार की राजधानी एक बड़े महानगर में तब्दील होने की दिशा में पहला कदम उठाने जा रही है.
पटना–सोनपुर की जमीन पर ‘न्यू पटना’ की नींव
नगर विकास विभाग के अनुसार इस महत्वाकांक्षी योजना में सबसे पहले पटना को चुना गया है. सोनपुर के विशाल भू-भाग को शामिल करते हुए न्यू पटना अथवा ग्रेटर पटना के नाम से एक आधुनिक, सुव्यवस्थित और ग्रीनफील्ड शहर बसाने की तैयारी है. इस टाउनशिप में चौड़ी सड़कें, हरित क्षेत्र, अस्पताल, स्कूल, बिजनेस सेंटर, आवासीय सेक्टर, आधुनिक ट्रांसपोर्ट नेटवर्क और हाई-डेंसिटी कॉरिडोर विकसित किए जाएंगे.
कैबिनेट में एक और बड़े प्रस्ताव पर मुहर लग सकती है, सीतामढ़ी में ‘सीतापुरम’ नाम की नई आध्यात्मिक सिटी. मां जानकी की जन्मभूमि को वैश्विक धार्मिक–पर्यटन मानचित्र पर मजबूत पहचान दिलाने के लिए यह टाउनशिप तैयार की जा रही है. सरकार चाहती है कि सीतापुरम वैसा ही धार्मिक–सांस्कृतिक केंद्र बने, जैसा मथुरा, अयोध्या और उज्जैन अपनी-अपनी पहचान रखते हैं.
सभी प्रमंडलीय मुख्यालयों में सैटेलाइट टाउनशिप की तैयारी
नगर विकास मंत्री नितिन नवीन ने अपने विभाग का प्रभार संभालते ही इस योजना को कैबिनेट एजेंडे में शामिल करा दिया. विभाग की ओर से कुल सात प्रस्ताव भेजे गए हैं, जिनमें सबसे प्रमुख है बिहार के नौ प्रमंडलीय मुख्यालयों में मॉडल सिटी विकसित करना. इसका मतलब यह है कि मुजफ्फरपुर, भागलपुर, गया, दरभंगा, पूर्णिया, सहरसा, चंपारण समेत सभी प्रमुख शहरों में समान तर्ज पर सैटेलाइट सिटी स्थापित की जाएंगी.
लैंड पूलिंग मॉडल—सरकार पर कम बोझ, जमीन मालिकों को बड़ा लाभ
पिछले अगस्त में ही बिहार सरकार ने नई टाउनशिप नीति को मंजूरी दी थी, जिसमें लैंड पूलिंग मॉडल को आधार बनाया गया है. दिल्ली–एनसीआर, गुजरात और हरियाणा की तर्ज पर यह मॉडल बिहार में भी लागू होगा.
जमीन मालिकों से भूमि लेकर उसे विकसित किया जाएगा और उन्हें विकसित जमीन का 55% हिस्सा वापस दिया जाएगा. शेष हिस्सा इस प्रकार विभाजित होगा, 22% सड़क व ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर, 5% पार्क, ड्रेनेज, अस्पताल, थाना व सार्वजनिक उपयोग, 3% गरीबों के लिए आवास. जबकि बचा हुआ 15% हिस्सा सरकार बाजार मूल्य पर बेचेगी या कॉलोनी विकसित कर आवासीय भूखंड उपलब्ध कराएगी.
ग्रेटर पटना—दिल्ली एनसीआर मॉडल पर विकसित होने वाला बिहार का पहला मेगासिटी प्लान
दावा किया जा रहा है कि ग्रेटर पटना बिहार का पहला ऐसा मेगासिटी होगा, जिसके लिए पूरी मास्टर प्लानिंग विश्वस्तरीय मानकों के तहत होगी. यहां ट्रैफिक मैनेजमेंट, जल-निकासी, स्मार्ट ट्रांजिट, कचरा निस्तारण और पब्लिक स्पेस डेवलपमेंट को प्राथमिकता दी जाएगी. सरकार चाहती है कि पटना–सोनपुर बेल्ट बिहार के आर्थिक विकास का भविष्य का केंद्र बने.
सोमवार देर शाम तक नगर विकास विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों सचिव अभय कुमार और बुडको के एमडी अनिमेष कुमार ने मंत्री नितिन नवीन के साथ विस्तृत चर्चा की. कैबिनेट के एजेंडे को अंतिम रूप देने का काम देर रात तक चलता रहा. विभाग को उम्मीद है कि इस बार प्रस्ताव को बिना किसी संशोधन के मंजूरी मिल जाएगी.
शहरीकरण की नयी तस्वीर—बिहार बदलने के मोड़ पर
ग्रेटर पटना, सीतापुरम और नौ प्रमंडलों में प्रस्तावित सैटेलाइट सिटीज बिहार के शहरी ढांचे को बदलने का काम करेंगी. इससे आबादी का दबाव कम होगा, रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे, शहरों में ट्रैफिक व प्रदूषण का बोझ घटेगा और निवेशकों को बेहतर माहौल मिलेगा. सरकार इसे आने वाले दशक की सबसे परिवर्तनकारी परियोजना मान रही है.
