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संत के शिष्य की तलाश में इंटरपोल से मांगा सहयोग
गोपालगंज : संत ज्ञानेश्वर के सबसे करीबी शिष्य रहे रामसहाय सिंह की हत्याकांड में पुलिस टीम अब इंटरपोल से सहयोग मांगा है. नेपाल के आश्रम में हत्याकांड का तार जुड़ने की संभावना बनी है. राम सहाय कांड के मुख्य आरोपित हरेराम चौधुर की तलाश में पुलिस खाक छान रही है. पुलिस को संभावना है कि […]
गोपालगंज : संत ज्ञानेश्वर के सबसे करीबी शिष्य रहे रामसहाय सिंह की हत्याकांड में पुलिस टीम अब इंटरपोल से सहयोग मांगा है. नेपाल के आश्रम में हत्याकांड का तार जुड़ने की संभावना बनी है.
राम सहाय कांड के मुख्य आरोपित हरेराम चौधुर की तलाश में पुलिस खाक छान रही है. पुलिस को संभावना है कि हरेराम चौधुर भी संत ज्ञानेश्वर के परिजनों के साथ नेपाल या जयपुर में ठिकाना बना सकता है. राम सहाय सिंह पर संत ज्ञानेश्वर के हत्यारों से मिल जाने का आरोप भी लग चुका था. ध्यान रहे कि गत 16 मई को बाराबंकी के रैसड़ा स्थित संत ज्ञानेश्वर के आश्रम के कथित उत्तराधिकारी राम सहाय सिंह की गोली मार कर कर दी गयी थी.
फुलवरिया में छापेमारी में कोई सुराग नहीं लगा और पुलिस टीम बैरंग वापस लौट गयी. हत्याकांड की तफ्तीश के नाम पर पुलिस के पास ले देकर रैसड़ा का ही रहनेवाला प्रताप पासी ही उपलब्ध है, जिससे पुलिस पूछताछ कर रही है.
नेपाल में है संत का परिवार : पुलिस को संत ज्ञानेश्वर के भाई और भतीजों के नेपाल में होने के प्रमाण मिले हैं. हालांकि इस सिलसिले में पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की है. संत के परिजनों से संपर्क करने के पुलिस के प्रयास भी अब तक व्यर्थ रहे हैं. नामजद अभियुक्तों में नेपाल के लोग भी शामिल हैं.
संत की जयंती के जश्न में डूबा पुरु षोत्तम धाम आश्रम : बाराबंकी के जिस पुरु षोत्तम धाम आश्रम में सर्वोच्च कर्ता-धर्ता रामसहाय सिंह की हत्या कर दी गयी थी. वह आश्रम संत ज्ञानेश्वर की जयंती के जश्न में डूबा नजर आया. आश्रम में दीप जले, प्रवचन हुआ और श्रद्धालु भक्ति-भाव में जम कर नाचे भी. यह नजारा देख कर अनुमान भी नहीं लगाया जा सकता था कि यह वही आश्रम है, जहां कुछ दिन पहले ही नृशंसतापूर्वक इसके उत्तराधिकारी की ही हत्या कर दी गयी थी. कुचायकोट के बंगरा आश्रम में भी संत ज्ञानेश्वर की जयंती मनायी गयी है.
क्या कहते हैं अधिकारी
हत्याकांड की मिस्ट्री काफी उलझी हुई है. इतनी जल्दी इसे सुलझाना संभव नहीं है. पुलिस प्रयास कर रही है. जिन लोगों को नामजद किया गया है, वह भी बाराबंकी के रहनेवाले नहीं हैं. इसलिए इसे सुलझाने में समय लगेगा. जश्न कैसा है? हत्या के बाद जश्न पर पुलिस गंभीरता से पड़ताल में जुटी है.
कुलदीप सिंह
एएसपी, बाराबंकी, कांड का अनुसंधानकर्ता
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