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3.10 घंटे तक अस्पताल के गेट पर तड़पती रही गर्भवती महिला, नहीं पसीजा किसी का दिल

गया : प्रभावती अस्पताल परिसर के बरामदे में फर्श पर ही एक गर्भवती महिला करीब तीन घंटे 10 मिनट तक तड़पती रही. लेकिन, यहां किसी का कलेजा नहीं पिघला. महिला के परिजन पुर्जा लेकर इधर-उधर दौड़ते रहे. सिविल सर्जन द्वारा तैनात किये गये दो स्टाफ बार-बार डॉक्टर से इलाज शुरू किये जाने की विनती करते […]

गया : प्रभावती अस्पताल परिसर के बरामदे में फर्श पर ही एक गर्भवती महिला करीब तीन घंटे 10 मिनट तक तड़पती रही. लेकिन, यहां किसी का कलेजा नहीं पिघला. महिला के परिजन पुर्जा लेकर इधर-उधर दौड़ते रहे. सिविल सर्जन द्वारा तैनात किये गये दो स्टाफ बार-बार डॉक्टर से इलाज शुरू किये जाने की विनती करते रहे. लेकिन, किसी के बात पर डॉक्टर ने ध्यान नहीं दिया. साफ कहा कि उसके शरीर में खून की कमी है. परिजन जब खून देने के लिए तैयार हुए, तो यहां तैनात डॉक्टर ने इलाज करने से मना करते हुए पेसेंट को पटना रेफर कर दिया. एंबुलेंस के लिए भी परिजनों को घंटों इंतजार करना पड़ा.

परिजनों ने बताया कि डुमरिया थाने के भटहा गांव की रहनेवाली उर्मिला देवी को प्रसव पीड़ा होने पर प्रभावती अस्पताल मंगलवार को 11 बजे दिन में लेकर पहुंचे. यहां डॉक्टरों ने पहले इलाज की व्यवस्था नहीं होने की बात कही. कुछ कर्मचारियों ने सहयोग करना चाहा, तो उन्हें डॉक्टरों ने कहा कि खुद ही इस मरीज का इलाज कर लें. इसके बाद बहुत आग्रह के बाद डॉक्टरों ने कहा कि खून की कमी है. परिजन खून की व्यवस्था करने को भी तैयार हुए. सीएस द्वारा यहां तैनात कर्मचारी ने कोशिश कर ब्लड का इंतजाम भी करने की बात कही. सैंपल निकालने के किट भी दिया गया, लेकिन किसी ने सैंपल तक नहीं निकाला. इसके बाद भी यहां डॉक्टरों ने इलाज करने से इन्कार कर दिया.

तीन घंटे 10 मिनट बाद इस मरीज को पटना ले जाने के लिए एंबुलेंस उपलब्ध कराया गया. आश्चर्य की बात है कि जिस एंबुलेंस पर उर्मिला देवी को पटना के लिए चढ़ाया गया वहां पहले से ही रक्सा टोला गुरुआ के लखनदेव यादव की पत्नी शोभा देवी प्रसव के लिए पटना रेफर की हुई बैठी थी. बाद में किसी तरह दोनों मरीजों को एक ही एंबुलेंस पर पटना भेजा गया. दूसरी महिला मरीज के साथ लापरवाहीमंगलवार को ही प्रभावती अस्पताल में दूसरी मरीज पेट में ही बच्चे की मौत के बाद यहां पहुंची. उसके पास ब्लड का इंतजाम भी था. पहले से ब्लड एक यूनिट चढ़ाया गया था. एक यूनिट ब्लड चढ़ाते हुए अस्पताल लाया गया.

पीड़िता शहर के डेल्हा थाने के धनियाबगीचा की रहनेवाली रेखा देवी थी. यहां इस मरीज को डॉक्टरों ने देखना तक उचित नहीं समझा. परिजन जब डॉक्टर के पास सारी जानकारी देने गये, तो डांट कर भगा दिया गया. इतना ही नहीं पीड़िता को दूसरे अस्पताल ले जाने के लिए एंबुलेंस तक नहीं दिया गया. यहां भी सिविल सर्जन द्वारा तैनात किये गये कर्मचारी बार-बार डॉक्टरों से आग्रह किया. लेकिन, किसी ने नहीं सुनी. हार कर परिजन रोते हुए अस्पताल से प्राइवेट ऑटो पर मरीज को लेकर निजी अस्पताल में चले गये. क्या करें? मगध मेडिकल से आये डॉक्टर नहीं कर रहे सहयोगसरकार इतनी सुविधा दे रही है.

मरीज के साथ इस तरह का व्यवहार किया जाना बहुत गलत है. मगध मेडिकल से प्रतिनियुक्त डॉक्टर मरीज के इलाज में किसी तरह का सहयोग नहीं कर रहे हैं. मरीज के आने पर अस्पताल प्रशासन को वहां के डॉक्टर विभिन्न तरह की सुविधाओं की मांग करते हैं. उनकी हर मांग को यथासंभव पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है. इसके बाद भी किसी तरह सुविधा मरीज को नहीं मिल रही, तो बहुत दुख हो रहा है. मेडिकल कॉलेज से एसोसिएट प्रोफेसर लोगों को भेजा गया है. सोचा गया था कि उनके अनुभाव से अस्पताल को बेहतर बनाने में सुविधा मिलेगी. लेकिन, यहां काम सीधे उल्टा हो रहा है. बहुत बर्दाश्त कर काम कराने की कोशिश की जा रही है. लेकिन, इलाज करने वाले डॉक्टर मरीज को रेफर कर रहे हैं. इस संबंध में ड्यूटी पर तैनात डॉक्टरों से लिखित जवाब मांगा जा रहा है. इसकी सूचना डीएम व सिविल सर्जन को भी दी जा रही है.

डॉ सत्येंद्र कुमार चौधरी, अधीक्षक, प्रभावती अस्पताल

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