गया नगर निगम से बनाये जाने वाले जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र फर्जी रूप से बाजार के साइबर कैफे में 400 से एक हजार तक लेकर बनाने का मामला प्रकाश में आया है. कई दिनों से इस तरह के प्रमाणपत्र की जांच के लिए लोग निगम पहुंच रहे थे. कई लोगों को जैसे ही पता चला कि यह प्रमाणपत्र फर्जी है, वैसे ही बिना कुछ जानकारी दिये वहां से चले गये.
निगम अधिकारी के सामने दिक्कत आ रही है कि बिना किसी सटीक जानकारी के कार्रवाई किसके ऊपर की जाये. इस तरह का कई मामला वार्ड नंबर 33 के पार्षद ओमप्र काश सिंह व वार्ड 49 की पार्षद प्रमिला देवी पटवा के पास भी पहुंचा है.
वार्ड 33 के पार्षद ने कहा कि लोगों ने प्रमाणपत्र बनाने के विषय में जानकारी दी है कि पुलिस लाइन रोड के एक साइबर कैफे में प्रमाणपत्र बनवाया है. लोगों से 400 से एक हजार देकर साइबर कैफे में प्रमाणपत्र बनाने में वसूला जाता है. इन सभी जानकारी के बाद निगम प्रशासन कार्रवाई के लिए प्राथमिकी दर्ज कराने की तैयारी कर रही है.
निगम से बनने वाले सर्टिफिकेट के बारे में पहले भी कई तरह का खुलासा हो चुका है. इसमें जिंदा व्यक्ति के नाम पर मृत्यु प्रमाणपत्र बनाना, विदेश बच्चे का जन्म प्रमाणपत्र बनाना, कई जिलों समानांतर कार्यालय चलना, रजिस्ट्रार का फर्जी दस्तखत करने का मामला सामने आ चुका है. फर्जी दस्तखत करने के मामले में निगम के एक कर्मचारी जेल जा चुके हैं. इसके साथ ही इस काम को संभाल रही एजेंसी को हटा दिया गया था.
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नगर आयुक्त अभिलाषा शर्मा ने बताया की जाली प्रमाणपत्र के मामले में निगम क्षेत्र में रहनेवाले लोगों को भी पूरी तौर से सतर्क रहना होगा. इस मामले में संबंधित थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी जा रही है. अन्य स्रोत के माध्यम से इसमें संलिप्त रहने वालों की पहचान करने की कोशिश की जा रही है. निगम में जन्म-मृत्यु प्रमाणपत्र बनाने के लिए अलग काउंटर खोला गया है. लोगों को फर्जीवाड़ा करने वालों का खुलासा करना होगा. तब ही इस पर लगाम लगाया जा सकता है.