परवाना की जमीन पर दखल दिलाने की मांग
गया: माउंटेन कटर दशरथ मांझी के विकलांग पुत्र भागीरथ मांझी व शिवन मांझी समेत मोहड़ा प्रखंड के गेहलौर के गांववालों को गैरमजरूआ जमीन का परवाना लगभग पांच साल पहले दिया गया है. ... पर, अब तक नापी करा कर कब्जा नहीं दिलाया गया है. नतीजतन उक्त जमीन में खेती नहीं कर पा रहे हैं. इस […]
गया: माउंटेन कटर दशरथ मांझी के विकलांग पुत्र भागीरथ मांझी व शिवन मांझी समेत मोहड़ा प्रखंड के गेहलौर के गांववालों को गैरमजरूआ जमीन का परवाना लगभग पांच साल पहले दिया गया है.
पर, अब तक नापी करा कर कब्जा नहीं दिलाया गया है. नतीजतन उक्त जमीन में खेती नहीं कर पा रहे हैं. इस बाबत बौद्ध परिषद् विहार के जिलाध्यक्ष राजकुमार बौद्ध ने स्थल जांच व नापी करा कर दशरथ मांझी के आश्रितों समेत ग्रामीणों को कब्जा दिलाने के लिए जिलाधिकारी को पत्र लिख कर अनुरोध किया है.
जिलाधिकारी को लिखे पत्र में परिषद् के अध्यक्ष श्री बौद्ध ने कहा है कि बाबा दशरथ मांझी गरीबी से जूझते रहने के बाद भी लगातार 22 वर्षो के अथक प्रयास से जनहित में छेनी-हथौड़ा से पहाड़ काट कर लंबा रास्ता बनाया. इस कार्य का न केवल देश में बल्कि विदेशों में चर्चित हैं. पर, अब तक इनके आश्रितों को न्याय नहीं मिल पा रहा है. श्री बौद्ध बताते हैं कि दशरथ मांझी के पुत्र भगीरथ मांझी व पुत्रवधू ने बताया कि जमीन नापी कर अलग नहीं किये जाने से खेती का कार्य नहीं कर पा रहे हैं.
इस संबंध में नीमचक बथानी के एसडीओ अशोक कुमार ने बताया कि दशरथ नगर में जो तीन एकड़ दो डिसमिल जमीन दशरथ बाबा को दी गयी थी, उस पर भगीरथ घर बना कर रहता है व शेष जमीन पर खेती-बारी करता है. दशरथ मांझी का जिस स्थल पर समाधि बना है, उसे अपने नाम पर करने की मांग परिजन कर रहे हैं. डीएम ने निर्देश दिया था कि उक्त जमीन अगर राज्य सरकार की है, तो उसके परिजन के नाम कर दिया जाये. एसडीओ ने बताया कि डीएम के निर्देश पर कर्मचारी वहां गये थे. लेकिन पाया कि वह जमीन वन विभाग की है. कर्मचारी ने अपनी रिपोर्ट में इसका जिक्र किया है. ऐसे में उस जमीन को देने का हक वन विभाग का बनता है. जिला प्रशासन उस जमीन को नहीं दे सकती
