भगवान की मूर्ति में डाला जायेगा संस्कार
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56 साल बाद गया में हाे रहा पंचकल्याणक : चैत्यसागर
भगवान की मूर्ति में डाला जायेगा संस्कार 1008 कलशों से हाेगा भगवान का अभिषेक गया : 56 वर्षाें के बाद गया में मज्जिनेंद्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महाेत्सव हाेने जा रहा है. वर्ष 1962 में गया में पंचकल्याणक हुआ था. यह बड़े गाैरव की बात है कि इतने सालाें बाद यह आयाेजन गयाजी में हाे रहा है. […]
1008 कलशों से हाेगा भगवान का अभिषेक
गया : 56 वर्षाें के बाद गया में मज्जिनेंद्र पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महाेत्सव हाेने जा रहा है. वर्ष 1962 में गया में पंचकल्याणक हुआ था. यह बड़े गाैरव की बात है कि इतने सालाें बाद यह आयाेजन गयाजी में हाे रहा है. यह महाेत्सव दाे से आठ मार्च तक हाेगा. 24 तीर्थंकराें में पहला भगवान आदिनाथ का वेदी पूजन पंचकल्याणक महाेत्सव हाेगा. ज्ञान, माेह, तप, मुक्ति व माेक्ष यही पांच पंचकल्याणक में आते हैं. इनका त्याग कर आत्मा से परमात्मा के मिलन काे पंचकल्याणक कहा जाता है. उक्त बातें रमना स्थित जैन भवन में शनिवार काे आचार्य श्री चैत्यसागर जी महाराज ने पत्रकाराें के बीच कहीं.
उन्हाेंने कहा कि गयाजी अयाेध्या नगरी बन जायेगा. भगवान आदिनाथ का जन्म अयाेध्या में ही हुआ था. भगवान की पाषाण की मूर्ति में संस्कार हाेगा. यंत्र, मंत्र, तंत्र के माध्यम से चमत्कार देखने काे मिलेगा. इस माैके पर मुंबई, दिल्ली, गुजरात, काेलकाता, इंदाैर, झुमरीतिलैया, झारखंड के अलावा देश के विभिन्न राज्याें व विदेश के श्रद्धालु भी शामिल हाेंगे. महाराज ने बताया कि कार्यक्रम के अंतिम दिन विश्व महाशांति महायज्ञ हाेगा. दाे मार्च काे पितामहेश्वर के पास स्थित मैदान व धर्मसभा भवन में कार्यक्रम की शुरुआत ध्वजाराेहण के साथ हाेगी. मंगलाष्टक, दिग्बंधक, रक्षा मंत्र, शांति मंत्र, नित्यमह अभिषेक, शांतिधारा पूजन व घटयात्रा हाेगी. दिनभर नाना प्रकार के कार्यक्रम व शाम में सांस्कृतिक कार्यक्रम हाेंगे.
हर दिन होंगे अलग-अलग कार्यक्रम: हर दिन अलग-अलग कार्यक्रम होंगे. दूसरे दिन गर्भ कल्याणक (पूर्व रूप), तीसरे दिन गर्भ कल्याणक (उत्तर रूप), चाैथे दिन जन्मकल्याणक, पांचवे दिन तप कल्याणक, छठे दिन ज्ञान कल्याणक व सातवें व अंतिम दिन माेक्षकल्याणक के साथ कार्यक्रम का समापन हाेगा. आचार्य चैत्यसागर जी महाराज के साथ दाे माताएं पावापुरी माताजी व क्षुल्लिका माताजी साथ रहेंगी. क्षुल्लिका माताजी ने बताया कि पूरा महाेत्सव आचार्य श्री चैत्यसागर जी महाराज की देखरेख में संपन्न हाेगा. उन्हाेंने बताया कि 1008 कलश से भगवान का अभिषेक हाेगा. कलश आठ याेजन गहरा, चार याेजन चाैड़ा व मुंह एक याेजन का हाेगा. इसमें क्षीरसागर का जल हाेगा, जिससे हवन हाेगा. इस क्रिया से भगवान का जन्म हाेगा. उन्हाेंने बताया कि जैन धर्म भक्त से भगवान बनने की बात बताता है. अहिंसा का पाठ पढ़ाता है. धन्यवाद ज्ञापन विकास कुमार बड़जात्या ने किया. इस माैके पर जैन समाज के अध्यक्ष प्रकाश चंद्र सेठी, पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महाेत्सव के संयाेजक देवेंद्र कुमार जैन, सह संयाेजक देवेंद्र कुमार अजमेरा, मीडिया प्रभारी मुन्ना सरकार जैन व उपाध्यक्ष माैजूद थे. महाेत्सव की तैयारी में जैन समाज के महिला-पुरुष सभी लगे हुए हैं. महिलाएं चावल, गेहूं चुनने-बिनने में लगी हैं. उधर, पुरुषाें काे अलग-अलग विभाग बना कर उनकी जिम्मेदारियां साैंपी गयी हैं.
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