गया: जब अत्याचार और निरंकुशता की स्थिति में समाज के अगुवाई करनेवाले मौन साध लेते हैं, तो एक ऐसा वक्त भी आता है, जब जनता का आक्रोश स्वत: फूट पड़ता है. जनता भड़क जाती है. गया में भी इस तरह की स्थिति पैदा करने की कुछ लोग कोशिशें कर रहे हैं. यहां बिजली विभाग के कर्मचारी जिस तरह निरंकुश होकर काम कर रहे हैं, उससे जनाक्रोश भड़कने की आंशका बनी हुई है. क्योंकि, बिजली विभाग वाले अपनी मनमानी से बाज नहीं आ रहे. ये बातें सेंट्रल बिहार चैंबर ऑफ कॉमर्स ने कही हैं.
उपभोक्ताओं के साथ बिजली विभाग के लोगों का सलूक ठीक नहीं है. ऊपर से जन प्रतिनिधियों ने भी चुप्पी साध रखी है. कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है. यह स्थिति कुछ ठीक नहीं लग रही. चैंबर ने अपनी इन भावनाओं के साथ जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि बाजार में घूम रहे बिजली विभाग के अधिकारियों को असीमित अधिकार दे दिये गये हैं, जिसका वे दुरुपयोग कर रहे हैं. बगैर साक्ष्य उपभोक्ताओं के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं. उन पर जुर्माना लादा जा रहा है. प्राथमिकियां दर्ज की जा रही हैं.
चैंबर के महासचिव राजेश प्रसाद के हवाले से जारी विज्ञप्ति में कहा गया है कि गिरफ्तारी के डर से निदरेष उपभोक्ता भी जुर्माने की रकम भर देते हैं. चैंबर ने कहा है कि बिजली विभाग अपनी सफलता का पैमाना राजस्व वसूली का आकार नहीं, बल्कि उपभोक्ताओं के खिलाफ किये गये एफआइआर की संख्या को समझ बैठा है.
चैंबर ने बिजली विभाग के अधिकारियों की मनमानी और अत्याचार के बावजूद जनप्रतिनिधियों की चुप्पी पर भी चिंता जतायी है. विज्ञप्ति में यह भी कहा गया है कि बिजली विभाग के जिन अधिकारियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज हो चुके हैं, उन्हें ही जांच दल में शामिल कर लोगों को परेशान कराया जा रहा है. चैंबर ने कहा है कि ऐसे अधिकारियों को जांच दल में किसी भी तरह शामिल नहीं किया जाना चाहिए.