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सोच बदलने से ही महिलाएं बनेंगी सशक्त

सोच बदलने से ही महिलाएं बनेंगी सशक्त फोटो: सनत 1, 2 व 25 से 30 तक.गया कॉलेज के अर्थशास्त्र विभाग में वैश्वीकरण व महिला सशक्तीकरण विषय पर सेमिनार आयोजितवक्ताओं ने कहा-महिलाओं को कमजोर समझ कर समाज में अपना वर्चस्व दिखाने में पीछे नहीं रहते पुरुष संवाददाता, गयालोगों की सोच बदल कर ही महिलाओं को सशक्त […]

सोच बदलने से ही महिलाएं बनेंगी सशक्त फोटो: सनत 1, 2 व 25 से 30 तक.गया कॉलेज के अर्थशास्त्र विभाग में वैश्वीकरण व महिला सशक्तीकरण विषय पर सेमिनार आयोजितवक्ताओं ने कहा-महिलाओं को कमजोर समझ कर समाज में अपना वर्चस्व दिखाने में पीछे नहीं रहते पुरुष संवाददाता, गयालोगों की सोच बदल कर ही महिलाओं को सशक्त बनाया जा सकता है. प्रारंभिक काल से ही समाज में पुरुषों व महिलाओं को बराबर का अधिकार प्राप्त है. लेकिन, महिलाओं को कमजोर समझ कर पुरुष आज भी समाज में अपना वर्चश्व दिखाने में पीछे नहीं रहते. लेकिन, वैश्वीकरण के इस दौर में महिलाओं की स्थिति सुधारी है. ये बातें मंगलवार को गया कॉलेज के अर्थशास्त्र विभाग में ‘वैश्वीकरण व महिला सशक्तीकरण’ विषय पर आयोजित सेमिनार में मगध विश्वविद्यालय की प्राध्यापक डॉ मृत्युंजला कुमारी सिंह ने कहीं. सेमिनार में अर्थशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ अश्विन कुमार ने कहा कि वैश्वीकरण के दौर में भारतीय महिलाओं की स्थिति में सुधार के लिए आज करगर पहल करने की जरूरत है. सरकार महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए कई योजनाएं चला रही हैं, पर उन्हें धरातल पर उतारने के लिए इस समाज को जागृत करना होगा. उन्होंने कहा कि शिक्षा ही ऐसा हथियार है, जिसके बल पर किसी को सशक्त बनाया जा सकता है. डॉ प्रियदर्शनी ने कहा कि महिलाएं जिस दिन से जुल्म सहना बंद कर देंगी, उसी दिन सशक्त हो जायेंगी. तथाकथित पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं के हर अधिकार पर पुरुष अपना कब्जा दिखाना चाहते हैं. सरकार द्वारा आधी आबादी को राजनीति से लेकर शिक्षा व अन्य क्षेत्रों में बराबर का अधिकार देने की घोषणा की गयी है, पर महिलाओं में शिक्षा के अभाव के कारण उनके अधिकारों का उपयोग करने में पुरुष खुद को गौरवान्वित समझते हैं. उन्होंने कहा कि इन्हीं सोच से बाहर निकलने व अपने हक को जानने के लिए महिलाओं को शिक्षा पर विशेष ध्यान देना होगा. इस मौके पर डॉ अजीत कुमार सिंह, डॉ एके खान, डॉ उमेश प्रसाद, अंजलि कुमारी, हिमांशु कुमार, गौरव कुमार, सूरज राउत व विक्रम कुमार आदि ने अपने-अपने विचार व्यक्त किये. पहले की अपेक्षा बदला है समाज का नजरिया पूर्व में महिलाओं को सिर्फ गृहिणी समझा जाता था. लेकिन, आज समाज का नजरिया महिलाओं के प्रति बदला है. देश की दिशा-दशा तय करने में महिलाएं अहम भूमिका निभा रही हैं. हर्षिता कुमारीनारी को पूर्ण अधिकार दिये बिना देश-समाज का विकास संभव नहीं है. वैश्वीकरण की इस दौर में देश को विश्व पटल पर आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में महिलाओं का योगदान सराहनीय है.श्वेता कुमारीवैश्वीकरण के इस युग में भारत की महिलाएं सशक्त हुई हैं. सशक्तता बनाये रखने के लिए सरकार को महिलाओं के विकास के लिए और कारगर कदम उठाने चाहिए. शिक्षा को हथियार बना कर महिलाएं सशक्त बन सकती है.कुमारी बिंदुदेश में सही आजादी का मतलब नारी को आजादी देना होता है. नारी अधिकारों का हनन कर समाज का विकास करना संभव नहीं है. महिला शिक्षा का सकारात्मक प्रभाव देश की सफल राष्ट्रीय आय पर पड़ता है.अंजलि साहामहिलाओं को अधिकार देने के प्रति पुरुष प्रधान समाज में कभी पहल नहीं की जायेगी. अपने अधिकारों को हासिल करने के लिए महिलाओं को खुद आगे आना होगा. महिलाओं के विकास के बिना किसी भी समाज की उन्नति संभव नहीं है.भव्या कुमारीभारत में महिला सशक्तीकरण की बड़ी-बड़ी बातें की जाती हैं, पर धरातल पर सच्चाई कुछ और है. देश में भ्रूण हत्या का मामला एक बड़ी समस्या बनती जा रही है. नारी संरक्षण के बाद ही इनके सशक्तीकरण की बात की जा सकती है.निधि कुमारी

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